उज्जैन: भाजपा नेता के वेयरहाउस से गायब हुआ 52 लाख का चना, FIR दर्ज

उज्जैन में भाजपा नेता के वेयरहाउस से 52 लाख रुपये का चना गायब होने का मामला सामने आया है। 2018 में खरीदी गई सरकारी सामग्री 2025 में खाली पाई गई। FIR दर्ज, आरोपियों की संपत्ति की जांच जारी है।

उज्जैन: भाजपा नेता के वेयरहाउस से गायब हुआ 52 लाख का चना, FIR दर्ज
भाजपा नेता का वेयरहाउस

मध्य प्रदेश के उज्जैन में एक बड़ा मामला सामने आया है, जिसमें भाजपा के एक पूर्व जिला ग्रामीण उपाध्यक्ष के वेयरहाउस से लाखों रुपये का चना गायब हो गया है। यह घटना वर्ष 2018 में हुई एक सरकारी खरीदारी से जुड़ी है, जिसमें 52 लाख रुपये से ज्यादा का चना गायब हो गया। मामला सामने आने के बाद दो लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है और अब जांच जारी है।

क्या है पूरा मामला?

यह मामला उज्जैन जिले के ग्राम मालीखेड़ी स्थित उमठ वेयरहाउस से जुड़ा हुआ है। साल 2018 में, सरकारी समर्थन मूल्य पर बड़ी मात्रा में चना खरीदा गया था। यह चना उमठ वेयरहाउस में रखा गया था, जहां 1090 क्विंटल 14 किलो चना 2050 बोरियों में स्टोर किया गया था। उस समय इस चने की कुल कीमत 52 लाख 76 हजार 278 रुपये थी।

लेकिन जब 2025 से में वेयरहाउस के क्षेत्रीय प्रबंधक, बी एल चौहान, भौतिक सत्यापन के लिए वहां पहुंचे, तो उनके होश उड़ गए। वेयरहाउस खाली पड़ा था, और यहां कोई चना नहीं था। चने की 2050 बोरियों का नामो-निशान नहीं था। चना तो दूर, यहां एक भी दाना नहीं पड़ा था। इस घटना के बाद, यह मामला उज्जैन पुलिस तक पहुंचा और FIR दर्ज की गई।

FIR और आरोपितों की पहचान

FIR में उमठ वेयरहाउस के संचालक गजेन्द्र सिंह उमठ और निलंबित शाखा प्रबंधक भगवान सिंह पटेल का नाम सामने आया है। इन दोनों के खिलाफ आईपीसी की धारा 316(2), 316(5), और 318(3) के तहत मामला दर्ज किया गया है। इस आरोप के अनुसार, इन दोनों ने मिलकर सरकारी चने की हेराफेरी की और उसे बेच दिया, जिससे सरकार को भारी नुकसान हुआ।

साल 2018 से 2025 के बीच हुई गड़बड़ी

वेयरहाउस के क्षेत्रीय प्रबंधक बी एल चौहान की रिपोर्ट के अनुसार, यह गड़बड़ी 17 मई 2018 से लेकर 6 जनवरी 2025 के बीच हुई है। इस दौरान यह चना गायब हो गया। रिपोर्ट के अनुसार, यह हेराफेरी बहुत ही सोची-समझी योजना के तहत की गई थी। यह समझा जा सकता है कि कुछ लोगों ने सरकारी चने का गलत इस्तेमाल किया, जिससे न सिर्फ सरकार को नुकसान हुआ, बल्कि आम जनता के हित भी प्रभावित हुए।

आरोपियों की संपत्ति की जांच जारी

इस मामले की जांच अभी चल रही है, और आरोपियों की संपत्ति की जानकारी जुटाई जा रही है। क्षेत्रीय प्रबंधक ने बताया कि जब आरोपियों की संपत्ति के बारे में जानकारी मिलेगी, तो उस संपत्ति से शासन को हुए नुकसान की भरपाई की जाएगी। यदि आरोप साबित होते हैं, तो आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

पहले भी सामने आ चुकी है इसी तरह की गड़बड़ी

यह कोई पहली बार नहीं है जब वेयरहाउस से सरकारी सामग्री की हेराफेरी का मामला सामने आया है। इससे पहले दिसंबर 2024 में, कांग्रेस नेता विजयसिंह गौतम के वेयरहाउस से 3 करोड़ रुपये के सरकारी गेहूं की हेराफेरी का मामला सामने आया था। उस मामले में भी वेयरहाउस के क्षेत्रीय प्रबंधक और शाखा प्रबंधक को निलंबित कर दिया गया था। इसके साथ ही, वेयरहाउस के संचालक और उनके प्रतिनिधियों के खिलाफ भी FIR दर्ज की गई थी।

सरकारी वेयरहाउस में इस तरह की गड़बड़ी क्यों हो रही है?

सवाल यह उठता है कि सरकारी वेयरहाउस में इस तरह की गड़बड़ी क्यों हो रही है? सरकारी वेयरहाउसों में रखी जाने वाली वस्तुएं जनता की संपत्ति होती हैं और इनका सही तरीके से इस्तेमाल होना चाहिए। ऐसे मामलों में गड़बड़ी का मतलब सिर्फ सरकारी धन की बर्बादी नहीं है, बल्कि इसका असर आम जनता पर भी पड़ता है, जो इन सरकारी उत्पादों पर निर्भर होते हैं।

सरकारी योजनाओं में गड़बड़ी और हेराफेरी की गंभीरता

उज्जैन के उमठ वेयरहाउस से गायब हुआ लाखों रुपये का चना एक बड़ी गड़बड़ी का हिस्सा है। यह मामला दिखाता है कि सरकार की योजनाओं का सही तरीके से पालन नहीं हो रहा है। जब तक इस तरह के मामलों में कड़ी कार्रवाई नहीं की जाती, तब तक यह समस्याएं बनी रहेंगी।

हालांकि, अब जब FIR दर्ज हो गई है और आरोपियों की संपत्ति की जांच जारी है, तो उम्मीद जताई जा सकती है कि इस मामले में सख्त कदम उठाए जाएंगे। इस तरह के मामलों से यह भी सिखने को मिलता है कि सरकारी धन की हेराफेरी से न केवल सरकार को नुकसान होता है, बल्कि इसका असर आम लोगों पर भी पड़ता है, जो इस धन का सही इस्तेमाल देखना चाहते हैं।

आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई और भविष्य के सुधार की आवश्यकता

अब यह देखना होगा कि पुलिस और संबंधित विभाग इस मामले में कितनी जल्दी कार्रवाई करते हैं। आरोपियों की संपत्ति की जांच के साथ-साथ यह भी महत्वपूर्ण होगा कि ऐसे मामलों में भविष्य में किस प्रकार से सुधार किया जाए ताकि सरकारी वेयरहाउसों में इस तरह की गड़बड़ियों को रोका जा सके।

इस मामले की पूरी जांच के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि आरोपियों को किस तरह की सजा मिलती है और इस मामले में और कौन-कौन से लोग शामिल हो सकते हैं। लेकिन फिलहाल यह एक बड़ा सवाल है कि क्या इन घटनाओं को रोका जा सकेगा और भविष्य में ऐसे मामले फिर से नहीं होंगे।