स्वच्छता सर्वेक्षण 2025: बुरहानपुर नगर निगम के खर्च और जमीनी हालात पर बड़ा खुलासा

बुरहानपुर में स्वच्छता सर्वेक्षण 2025 के नए नियमों के तहत नगर निगम की तैयारियों की सच्चाई सामने आई। जानें कैसे निगम हर साल लाखों खर्च करता है, लेकिन असलियत में सुधार न के बराबर है।

स्वच्छता सर्वेक्षण 2025: बुरहानपुर नगर निगम के खर्च और जमीनी हालात पर बड़ा खुलासा
स्वच्छता के नाम पर नगर निगम की सच्चाई

मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले में स्वच्छता सर्वेक्षण 2025 के लिए भारत सरकार ने नए नियमों की घोषणा की है, जिसके तहत अब स्वच्छता से संबंधित दस्तावेजों का भौतिक सत्यापन भी किया जाएगा। यह बदलाव नगर निगम के लिए एक नई चुनौती बनकर उभरा है, क्योंकि अगर दस्तावेजों और मौके पर किए गए निरीक्षण में कोई अंतर पाया गया, तो निगम को अंक में कटौती का सामना करना पड़ेगा। यह नया नियम नगर निगम की पोल खोलने वाला साबित हो सकता है, क्योंकि यहां की स्वच्छता व्यवस्था का सच कुछ और ही है।

नगर निगम की सच्चाई: दस्तावेजों से अलग हकीकत

हर साल नगर निगम स्वच्छता सर्वेक्षण के दौरान लाखों रुपए खर्च करता है। नगर निगम का दावा होता है कि शहर की स्वच्छता में सुधार किया जा रहा है, और इसके लिए कागजी कार्यवाही भी की जाती है। लेकिन जब बात वास्तविकता की आती है, तो तस्वीर कुछ और ही दिखाई देती है।

शहर के इकलौते कमल टॉकीज स्थित सुविधा घर की स्थिति हर साल स्वच्छता सर्वेक्षण के दौरान उठने वाली एक बड़ी समस्या रही है। नगर निगम इस सुविधा घर को रंग रोगन कर उसे सुंदर बनाने का प्रयास करता है, ताकि सर्वेक्षण में अंक मिल सकें। लेकिन इसका वास्तविक हाल कुछ और ही है। इसका मूत्र अक्सर पड़ोस के स्कूल परिसर में जमा हो जाता है, जिससे स्कूल में बदबू और गंदगी फैलने लगती है। स्कूल प्रबंधन ने कई बार नगर निगम से इस मुद्दे को उठाया, लेकिन यहां कोई सुधार नहीं हुआ।

जब स्वच्छता सर्वेक्षण नजदीक आया, तो नगर निगम ने फिर से इस सुविधा घर की रंगाई-रंगाई शुरू की। इससे साफ जाहिर होता है कि निगम की प्राथमिकता स्वच्छता नहीं, बल्कि सिर्फ अंक प्राप्त करना है।

स्वच्छता सर्वेक्षण के नाम पर दिखावा

स्वच्छता सर्वेक्षण के नाम पर नगर निगम भारी-भरकम बजट खर्च करता है, लेकिन इसके बावजूद बुरहानपुर की रैंकिंग में कोई खास सुधार नहीं होता। हर साल नगर निगम सर्वेक्षण में अच्छे अंक लाने के लिए शहर के कुछ मुख्य मार्गों की सफाई करता है, लेकिन यह प्रयास अस्थायी होते हैं। शहर के कई इलाकों में गंदगी का अंबार लगा रहता है, और गली-मोहल्लों में नालियों की सफाई महीनों तक नहीं होती।

नगर निगम ने कभी भी शहर के अंदरूनी हिस्सों की सफाई पर ध्यान नहीं दिया। इसका सीधा असर यह है कि स्वच्छता सर्वेक्षण के दौरान सिर्फ बाहरी हिस्सों की सफाई पर फोकस किया जाता है, जबकि अंदरूनी क्षेत्रों में गंदगी का ढेर जमा रहता है। इस तरह, नगर निगम के कामों का उद्देश्य सिर्फ रैंकिंग में सुधार लाना रह जाता है, जबकि असलियत में सुधार कहीं नहीं दिखता।

नए नियमों के बाद नगर निगम की मुश्किलें बढ़ सकती हैं

स्वच्छता सर्वेक्षण 2025 में भारत सरकार के नए नियमों के लागू होने के बाद नगर निगम के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं। अब सर्वे टीम को न केवल दस्तावेजों का सत्यापन करना होगा, बल्कि वे मौके का भी निरीक्षण करेंगे। यदि दस्तावेजों और वास्तविकता में कोई अंतर पाया गया, तो निगम के अंक कट सकते हैं। यह नगर निगम के लिए गंभीर स्थिति हो सकती है, क्योंकि उनके पास असल में जितना काम दिखाने के लिए है, वह उससे कहीं कम है।

नए नियमों के तहत यह सुनिश्चित किया जाएगा कि नगर निगम के द्वारा प्रस्तुत किए गए दस्तावेज और शहर की वास्तविक स्थिति में कोई अंतर न हो। यह नगर निगम की सफाई व्यवस्था और उनके द्वारा किए गए सुधारों की सच्चाई को उजागर करेगा। अगर निगम की पोल खुलती है, तो उसे सजा के तौर पर अंक में कटौती का सामना करना पड़ेगा।

नगर निगम के दो की पोल खुलने वाली सच्चाई

बुरहानपुर नगर निगम की कार्यशैली पर सवाल उठते रहे हैं। लाखों रुपए खर्च करने के बावजूद शहर में स्वच्छता की वास्तविक स्थिति में कोई खास सुधार नहीं होता। यह पूरी व्यवस्था दिखावे के लिए ही बनाई गई है। निगम सिर्फ कुछ प्रमुख मार्गों पर सफाई करके और सार्वजनिक सुविधाओं को रंग रोगन करके अंक जुटाने की कोशिश करता है, लेकिन यह किसी भी तरह से शहर की असली सफाई स्थिति को नहीं दर्शाता।

अब नए सत्यापन के नियमों के बाद नगर निगम को अपनी असली स्थिति को सुधारने की आवश्यकता है। यदि निगम ने अपनी सफाई व्यवस्था को बेहतर नहीं किया, तो इसे स्वच्छता सर्वेक्षण में बुरी तरह से नुकसान उठाना पड़ सकता है।

सुधार की आवश्यकता

नगर निगम को अब केवल कागजों पर दिखावे से काम नहीं चलेगा। असल में शहर के हर हिस्से में सफाई, नालियों की सफाई और अन्य आवश्यक कदम उठाने होंगे। केवल कुछ इलाकों पर ध्यान केंद्रित करने से रैंकिंग में कोई सुधार नहीं हो सकता। नगर निगम को अब पूरी जिम्मेदारी के साथ शहर के हर हिस्से में स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।

स्वच्छता सर्वेक्षण 2025 के नए नियमों ने बुरहानपुर नगर निगम की पोल खोलने का काम किया है। अब निगम को अपनी कार्यशैली में सुधार करने की आवश्यकता है। सिर्फ कागजों और दिखावे के बजाय असलियत में स्वच्छता की स्थिति में सुधार करना होगा। यदि नगर निगम ने इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए, तो उसे गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ सकता है।