सिंगरौली कोयला खदान हादसा: ट्रक टक्कर से दो युवकों की मौत, ग्रामीणों का आक्रोश और वाहनों में आगजनी

मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में कोयला लदे ट्रक ने बाइक सवार दो युवकों को टक्कर मारी, जिससे दोनों की मौत हो गई। घटना के बाद गुस्साए ग्रामीणों ने कंपनी के वाहनों में आग लगा दी। जानिए पूरी घटना, प्रशासन की कार्रवाई और मौके की ताजा स्थिति।

सिंगरौली कोयला खदान हादसा: ट्रक टक्कर से दो युवकों की मौत, ग्रामीणों का आक्रोश और वाहनों में आगजनी
सिंगरौली कोयला खदान हादसा

सिंगरौली कोयला खदान हादसा: मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में कोयला खदानों और पावर प्लांट्स के लिए मशहूर इलाके में एक भीषण सड़क हादसा हुआ है, जिसमें दो युवकों की जान चली गई। यह घटना शुक्रवार को अमिलिया के जंगल क्षेत्र में घटी, जहां एक कोयला लदा हाइवा ट्रक बाइक सवार दोनों युवकों से टकरा गया। इस हादसे के बाद गुस्साए ग्रामीणों ने कंपनी के वाहनों में आग लगा दी, जिससे पूरे इलाके में तनाव की स्थिति बन गई।  

घटना का विवरण: कैसे हुआ हादसा?  

हादसा सिंगरौली जिला मुख्यालय बैढ़न से लगभग 35 किलोमीटर दूर माड़ा थाना क्षेत्र के अमिलिया घाटी में हुआ। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, अमिलिया कोयला खदान से कोयला ले जा रहे एक ट्रेलर (हाइवा ट्रक) ने सामने से आ रही बाइक को जोरदार टक्कर मार दी। टक्कर की वजह से बाइक सवार दोनों युवक सड़क से लगभग 20 फीट नीचे गहरी खाई में जा गिरे। दुर्घटना की वजह से दोनों की मौके पर ही मौत हो गई।  

ट्रक चालक फरार, ग्रामीणों ने किया विरोध  

घटना के तुरंत बाद ट्रक चालक वाहन छोड़कर फरार हो गया। इस बीच, हादसे की खबर फैलते ही स्थानीय ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। गुस्साए लोगों ने कंपनी के छह ट्रक और तीन बसों में आग लगा दी। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, ग्रामीणों ने कंपनी कर्मचारियों के साथ मारपीट भी की और पुलिस को मौके पर पहुंचने से रोकने की कोशिश की।  

ग्रामीणों का आक्रोश: क्यों भड़का हिंसा?  

सिंगरौली का यह इलाका कोयला खदानों और पावर प्लांट्स के लिए जाना जाता है। यहां बड़ी संख्या में ट्रक और भारी वाहन कोयले का परिवहन करते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि इन वाहन चालकों की लापरवाही से अक्सर दुर्घटनाएं होती हैं, लेकिन प्रशासन ने कभी गंभीर कदम नहीं उठाए। इस हादसे ने उनके आक्रोश को भड़का दिया। 

चक्काजाम और बसों में आगजनी  

शुक्रवार शाम करीब 5 बजे ग्रामीणों ने गड़ाखाड़ चौराहे पर चक्काजाम कर दिया। इसी दौरान बैढ़न टाउनशिप से अडानी पावर बंधौरा की ओर जा रही कर्मचारी बसें वहां फंस गईं। भीड़ ने बसों के गेट बंद करके आग लगाना शुरू कर दिया। बस में सवार कर्मचारी जान बचाने के लिए कूद गए। कुछ समय बाद खाली बसों को आग के हवाले कर दिया गया।  

पुलिस और प्रशासन की प्रतिक्रिया  

घटना की सूचना मिलते ही पुलिस और प्रशासन की टीमें मौके पर पहुंच गईं। हालांकि, भीड़ के आक्रोश के चलते पुलिस को शुरुआत में काबू पाने में दिक्कत हुई। कुछ पुलिसकर्मी भीड़ से मारपीट की शिकार हुए। मौके पर डीआईजी साकेत पांडेय और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद हैं, जो स्थिति को शांत करने में जुटे हैं।  

ट्रक चालक की तलाश जारी  

पुलिस ने फरार ट्रक चालक को गिरफ्तार करने के लिए विशेष टीम गठित की है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि ट्रक अधिक गति से चल रहा था और चालक ने बाइक को देखते ही ब्रेक नहीं लगाए। हादसे के बाद ट्रक पलट गया, जिससे यह संदेह भी हो रहा है कि वाहन की तकनीकी स्थिति ठीक नहीं थी।  

कोयला परिवहन और सुरक्षा मानक: सवाल जवाब  

सिंगरौली में कोयला परिवहन करने वाले ट्रक अक्सर ओवरलोड और तेज रफ्तार से चलते हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि कंपनियां सुरक्षा मानकों की अनदेखी करती हैं। इस हादसे ने एक बार फिर इन मुद्दों को उजागर किया है।  

पीड़ित परिवारों की दर्दभरी कहानी  

मरने वाले दोनों युवक स्थानीय गांव के रहने वाले थे। उनके परिवारों ने न्याय की मांग करते हुए कंपनी और प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। एक पीड़ित के भाई ने बताया, "ये ट्रक चालक शराब पीकर गाड़ी चलाते हैं। हमने कई बार शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।"

अडानी पावर और कोयला परिवहन का रोल  

इस घटना में अडानी पावर की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि कंपनी अपने वाहनों के रखरखाव और चालकों के प्रशिक्षण पर ध्यान नहीं देती। अडानी पावर की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।  

सरकार और प्रशासन की जवाबदेही  

मध्य प्रदेश सरकार ने घटना पर गंभीरता दिखाते हुए मामले की जांच का आदेश दिया है। सिंगरौली के कलेक्टर ने बताया कि दुर्घटना में शामिल कंपनी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, कोयला परिवहन के दौरान सुरक्षा प्रोटोकॉल्स को सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए गए हैं।  

सिंगरौली: कोयले का केंद्र और पर्यावरणीय चुनौतियां

 सिंगरौली भारत का प्रमुख कोयला उत्पादक क्षेत्र है, जहां देश की 10% बिजली उत्पादन क्षमता स्थित है। हालांकि, यहां कोयला खनन और परिवहन से जुड़ी दुर्घटनाएं आम हैं। पर्यावरणविदों का मानना है कि अंधाधुंध खनन और लापरवाह परिवहन ने इस इलाके को "भारत का कैंसर" बना दिया है।  

क्या है समाधान?  

  1. 1. सख्त सुरक्षा नियम: ट्रक चालकों के लिए नियमित फिटनेस टेस्ट और गति नियंत्रण।  
  2. 2. ग्रामीणों की भागीदारी: स्थानीय समुदायों को सुरक्षा समितियों में शामिल करना।  
  3. 3. कंपनियों की जिम्मेदारी: वाहनों का नियमित रखरखाव और चालक प्रशिक्षण।  

निष्कर्ष: क्या सबक मिलेगा?  

सिंगरौली की यह घटना न सिर्फ सड़क सुरक्षा बल्कि औद्योगिक नीतियों पर सवाल खड़े करती है। जब तक कंपनियां और प्रशासन स्थानीय लोगों की सुरक्षा को प्राथमिकता नहीं देंगे, ऐसे हादसे होते रहेंगे। पीड़ित परिवारों को न्याय मिलना और भविष्य में ऐसी घटनाओं की रोकथाम ही इस त्रासदी से सीख हो सकती है।