ग्वालियर व्यापार मेले में भीषण आगजनी: 9 दुकानें जलकर खाक, वायरिंग शॉर्ट सर्किट संदेह
ग्वालियर व्यापार मेले में आग से हड़कंप! 10 और 14 नंबर छत्री के पीछे स्पोर्ट्स और कपड़ों की दुकानों में आग, 8 फायर ब्रिगेड गाड़ियों ने काबू पाया। लाखों का नुकसान, हताहत नहीं। पूरी खबर पढ़ें।

मध्य प्रदेश के ग्वालियर के प्रतिष्ठित व्यापार मेले में एक भयावह आग की घटना ने सैलानियों और दुकानदारों के बीच दहशत फैला दी। मेले के 10 और 14 नंबर छत्री के पीछे स्थित कपड़े और स्पोर्ट्स सामान की दुकानों में अचानक भड़की आग ने पलभर में ही 9 दुकानों को अपनी चपेट में ले लिया। प्रारंभिक जांच में वायरिंग में शॉर्ट सर्किट को इसकी वजह माना जा रहा है। हालांकि, सौभाग्य से इस हादसे में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है, लेकिन लाखों रुपए के सामान का नुकसान हुआ है।
आग कैसे भड़की? घटनाक्रम पर एक नज़र
सुबह करीब 11 बजे जब मेला परिसर में भीड़ बढ़नी शुरू हुई थी, तभी 10 नंबर छत्री के पास धुआं देखा गया। देखते ही देखते आग ने विस्फोटक रूप ले लिया। मौके पर मौजूद दुकानदारों का कहना है कि पहले बिजली के तारों से चिंगारी निकली, फिर कपड़ों के ढेर और स्पोर्ट्स सामान (जैसे रबर की गेंदें, जिम मैट) ने आग को तेजी से फैलने में मदद की।
एक दुकान संचालक राजेश वर्मा ने बताया, *"मैंने तारों से धुआं उठते देखा। पलक झपकते ही आग ने पूरी दुकान को घेर लिया। हम कुछ कर पाते, उससे पहले ही सामान जलने लगा।"
फायर ब्रिगेड की त्वरित कार्रवाई, 8 गाड़ियों ने फेंका पानी
आग की सूचना मिलते ही ग्वालियर फायर ब्रिगेड की 8 गाड़ियां घटनास्थल पर पहुंच गईं। करीब 2 घंटे तक चले ऑपरेशन के बाद आग पर काबू पाया जा सका। फायर अधिकारी अमित शर्मा ने बताया, "आग इलेक्ट्रिकल शॉर्ट सर्किट से शुरू हुई। चूंकि यहां कपड़े, प्लास्टिक और रबर का सामान था, आग तेजी से फैली। हमने 50 से ज्यादा फायरमैन को लगाया और आसपास की दुकानों को बचाने पर फोकस किया।"
सैलानियों में मचा हड़कंप, पुलिस ने घेरा इलाका
आग के काले धुएं के गुबार आसमान में दूर तक दिखाई दे रहे थे, जिससे मेले में मौजूद सैलानी घबरा गए। कई लोग अपनी सुरक्षा के लिए भागने लगे। इस अफरातफरी के बीच पुलिस ने तुरंत प्रभावित इलाके को घेर लिया और भीड़ को नियंत्रित किया। एसपी (शहर) प्रशांत सिंह ने बताया कि मेले के अन्य हिस्सों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है तथा लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की गई।
लाखों का नुकसान: व्यापारियों का सवाल- "सुरक्षा व्यवस्था कहां थी?
हालांकि जानमाल का बड़ा नुकसान नहीं हुआ, लेकिन 9 दुकानें पूरी तरह जल चुकी हैं। इनमें मुख्य रूप से कपड़े, स्पोर्ट्स गुड्स और हैंडीक्राफ्ट की दुकानें शामिल थीं। दुकानदारों का अनुमान है कि कुल नुकसान 50 लाख से 1 करोड़ रुपए के बीच हो सकता है।
एक पीड़ित व्यापारी नीलम जैन ने गुस्से में कहा, "मेले के आयोजकों ने बिजली की वायरिंग की जांच क्यों नहीं की? हमारी मेहनत की कमाई एक पल में राख हो गई।"
प्रशासन की प्रतिक्रिया और अगले कदम
जिला प्रशासन ने घटना की गहन जांच का ऐलान किया है। ग्वालियर के कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने बताया कि आग का सटीक कारण जानने के लिए फॉरेंसिक टीम और विद्युत विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे हैं। साथ ही, मेले में सभी इलेक्ट्रिकल सिस्टम की ऑडिट करने और फायर सेफ्टी नॉर्म्स को सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए गए हैं।
क्या कहते हैं सुरक्षा मानक?
इस घटना ने सार्वजनिक स्थलों पर फायर सेफ्टी को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के नियमों के अनुसार, ऐसे आयोजन स्थलों में:
- 1. नियमित विद्युत तारों की जांच
- 2. आग बुझाने के उपकरणों की पर्याप्त उपलब्धता
- 3. धुआंरहित सामग्री का उपयोग
अनिवार्य है। लेकिन घटना से पता चलता है कि इन नियमों का पालन ढीले तरीके से हुआ।
स्थानीय लोगों और विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
शहर के सुरक्षा विशेषज्ञ डॉ. विजय अग्रवाल ने कहा, "ग्वालियर जैसे बड़े मेलों में भीड़ प्रबंधन और आपातकालीन सेवाओं की योजना पहले से तैयार होनी चाहिए। आज की घटना एक चेतावनी है कि हम सुरक्षा में कोताही न बरतें।"
वहीं, स्थानीय नागरिक संगठनों ने प्रशासन से मुआवजे की त्वरित व्यवस्था और भविष्य में ऐसी घटनाएं रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की मांग की है।
निष्कर्ष: सबक और आगाही
ग्वालियर व्यापार मेले की यह घटना न सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि यह भी याद दिलाती है कि सार्वजनिक आयोजनों में सुरक्षा को प्राथमिकता देना कितना जरूरी है। जहां एक ओर फायर ब्रिगेड की त्वरित प्रतिक्रिया और कोई जान न जाने पर राहत मिलती है, वहीं लाखों का नुकसान इस बात का संकेत है कि "दुर्घटना से बचाव" के उपायों पर और ध्यान देने की आवश्यकता है।
प्रशासन को चाहिए कि वह पीड़ित व्यापारियों को तत्काल मुआवजा प्रदान करे और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त नीतियां बनाए। साथ ही, आम जनता को भी आग से बचाव के उपायों की जानकारी रखनी चाहिए, ताकि ऐसे हालात में सतर्कता और समझदारी से काम लिया जा सके।