नूरी खान की ईद पोस्ट: मटन दुकानों पर आधार कार्ड, CCTV की मांग से बवाल
मध्यप्रदेश महिला कांग्रेस की नूरी खान की ईद पर विवादित पोस्ट वायरल। मटन दुकानों पर आधार कार्ड और CCTV अनिवार्य करने की मांग। होली-ईद की तुलना से मचा बवाल।

- नूरी खान की पोस्ट से बवाल, मटन दुकानों पर आधार कार्ड और CCTV की मांग
- होली पर ईद से ज्यादा बकरे कटने का दावा, हिंदू-मुस्लिम बलि प्रथाओं का जिक्र
- वायरल वीडियो से सोशल मीडिया पर बहस, कांग्रेस की चुप्पी से सियासी हलचल
उज्जैन: ईद-उल-अज़हा (बकरी ईद) के मौके पर मध्यप्रदेश महिला कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष नूरी खान की एक सोशल मीडिया पोस्ट ने सियासी हलचल मचा दी है। नूरी खान ने मटन की दुकानों पर आधार कार्ड अनिवार्य करने और सीसीटीवी कैमरे लगाने की मांग की है। इसके साथ ही उन्होंने एक 11 मिनट 2 सेकंड का वीडियो भी शेयर किया, जिसमें उन्होंने दावा किया कि होली के दौरान ईद से ज्यादा बकरे काटे जाते हैं। इस पोस्ट और वीडियो ने सोशल मीडिया पर तीखी बहस छेड़ दी है, और लोग इसे धार्मिक भावनाओं से जोड़कर देख रहे हैं।
नूरी खान ने क्या कहा?
नूरी खान ने अपने वीडियो में कहा कि भारत का संविधान हर नागरिक को धार्मिक स्वतंत्रता और अपनी पसंद का खाना चुनने का अधिकार देता है। लेकिन कुछ लोग होली, ईद और दीवाली जैसे त्योहारों पर नफरत और जहर फैलाने का काम करते हैं। उन्होंने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि होली के दौरान मटन की खपत 600% तक बढ़ जाती है। जहां रोजाना 4000 क्विंटल मटन बिकता है, वहीं होली पर यह 20,000 क्विंटल तक पहुंच जाता है।
नूरी ने ये भी कहा कि बकरे की बलि सिर्फ ईद पर नहीं, बल्कि हिंदू धर्म के कई मंदिरों और परंपराओं में भी दी जाती है। उन्होंने पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असम में मां काली को बकरे की बलि, नागपुर, झारखंड, छत्तीसगढ़ में आदिवासी समुदायों द्वारा ग्राम देवताओं को बलि, उत्तराखंड-हिमाचल में स्थानीय परंपराओं और राजस्थान में भैरव बाबा व मां शीतला को बलि देने की बात कही।
आधार कार्ड और CCTV की मांग
नूरी खान ने मटन दुकानों पर आधार कार्ड अनिवार्य करने की बात कही ताकि हर ग्राहक की एंट्री दर्ज हो। साथ ही, उन्होंने इन दुकानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने की वकालत की। उनका कहना है कि इससे पारदर्शिता आएगी और धार्मिक आधार पर नफरत फैलाने वालों के चेहरे सामने आएंगे। उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि कुछ लोग ईद के मौके पर बकरे की कुर्बानी को मुद्दा बनाकर समाज में नफरत फैलाते हैं, जबकि भारत एक विविधताओं वाला देश है, जहां हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों में मांसाहारी लोग हैं।
दिल्ली की एडवाइजरी से शुरू हुआ विवाद
नूरी खान की ये पोस्ट दिल्ली की मुख्यमंत्री द्वारा ईद के मौके पर जारी एडवाइजरी के बाद आई। इस एडवाइजरी में पशु वध से जुड़े नियमों का पालन करने की बात कही गई थी। नूरी ने इसे आधार बनाते हुए अपनी पोस्ट में कहा कि कुछ लोग धर्म के नाम पर देश को बांटने की कोशिश कर रहे हैं। उनके इस बयान ने कांग्रेस के भीतर और बाहर तीखी प्रतिक्रियाएं जन्म दी हैं।
सोशल मीडिया पर तीखी बहस
नूरी खान का वीडियो और पोस्ट वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर लोग दो खेमों में बंट गए हैं। कुछ लोग उनके बयान का समर्थन कर रहे हैं और इसे धार्मिक एकता का संदेश बता रहे हैं। वहीं, कुछ लोग इसे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला बता रहे हैं। खासकर होली और ईद की तुलना को लेकर कई यूजर्स ने नाराजगी जताई है।
नूरी खान का राजनीतिक सफर
नूरी खान मध्यप्रदेश कांग्रेस की चर्चित नेत्री हैं। उन्होंने उज्जैन में NSUI से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी और 20 साल से ज्यादा समय से कांग्रेस से जुड़ी हैं। वे राष्ट्रीय स्तर पर समन्वयक, प्रदेश प्रवक्ता और मदरसा बोर्ड की सदस्य रह चुकी हैं। 2023 में विधानसभा चुनाव के लिए उज्जैन से टिकट की दावेदारी को लेकर भी उनका नाम चर्चा में था।
क्या है विवाद की जड़?
नूरी खान का ये बयान ऐसे समय में आया है, जब देश में धार्मिक मुद्दों पर बहस तेज है। उनकी मांग और बयान को कुछ लोग सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश के तौर पर देख रहे हैं, जबकि उनके समर्थक इसे समाज में जागरूकता फैलाने की कोशिश बता रहे हैं। कांग्रेस पार्टी ने अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन माना जा रहा है कि ये विवाद पार्टी के लिए सिरदर्द बन सकता है।
विवाद की आग में नूरी खान की पोस्ट
नूरी खान की पोस्ट ने एक बार फिर साबित कर दिया कि सोशल मीडिया पर कोई भी बयान पल भर में विवाद का रूप ले सकता है। उनकी मांग और वीडियो ने धार्मिक संवेदनशीलता को छू लिया है, जिससे मध्यप्रदेश की सियासत में हलचल मच गई है। अब देखना ये है कि कांग्रेस इस मामले को कैसे संभालती है और क्या नूरी खान अपने बयान पर अडिग रहती हैं।