उज्जैन संस्कृत विश्वविद्यालय में 'इंडिया' की जगह 'भारत' शब्द का प्रयोग, आधिकारिक दस्तावेजों में बदलाव, जाने क्यों?
उज्जैन का महर्षि पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय पहला ऐसा विश्वविद्यालय बन गया है जिसने अपने सभी दस्तावेजों में 'इंडिया' शब्द की जगह 'भारत' शब्द का इस्तेमाल शुरू किया है। जानिए इस फैसले की पूरी कहानी।

मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। अब इस विश्वविद्यालय के सभी आधिकारिक दस्तावेजों, वेबसाइट, छात्रों की कॉपी, कैलेंडर और पुस्तकों में "भारत" शब्द का ही उपयोग किया जाएगा, जबकि पहले इन दस्तावेजों में "इंडिया" शब्द का प्रयोग होता था। यह कदम विश्वविद्यालय के कार्यपरिषद की बैठक में लिया गया और सभी सदस्यों ने इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित किया। इस फैसले के साथ ही यह विश्वविद्यालय प्रदेश का पहला विश्वविद्यालय बन गया है, जिसने अपने सभी दस्तावेजों में "भारत" शब्द का उपयोग करना शुरू किया है।
क्यों लिया गया यह निर्णय?
महर्षि पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय के कार्यपरिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि विश्वविद्यालय के दस्तावेजों से "इंडिया" शब्द हटाकर "भारत" शब्द का प्रयोग किया जाएगा। यह निर्णय महर्षि पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. विजय कुमार जे.सी. की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में लिया गया। बैठक में कार्यपरिषद सदस्य गौरव धाकड़ ने यह प्रस्ताव रखा, जिसे सभी सदस्योंने सहमति से पारित किया। गौरव धाकड़ ने कहा कि यह कदम देश की संस्कृति और पहचान से जुड़ा हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी देश और राज्य की संस्कृति को प्राथमिकता देने की बात कर चुके हैं, और इस दिशा में यह कदम उठाया गया है।
भारत बनाम इंडिया: लंबे समय से चल रही बहस
"भारत" बनाम "इंडिया" का मुद्दा पिछले कुछ समय से चर्चा का विषय बना हुआ है। आरएसएस जैसे संगठनों ने इस विषय पर अपनी आवाज उठाई थी। उनका मानना था कि हमारे देश को "इंडिया" नहीं, बल्कि "भारत" ही कहा जाना चाहिए, क्योंकि "भारत" शब्द हमारी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान से जुड़ा हुआ है।
आरएसएस के पदाधिकारियों ने कहा था कि देश को दो नामों से क्यों जाना जा रहा है? जब हम भारत हैं, तो हमें भारत ही कहना चाहिए। उनका यह भी कहना था कि भारतीय इतिहास को तोड़ा-मरोड़ा गया है और कई ऐतिहासिक तथ्यों को दबाया गया है, इसलिए "भारत" शब्द को फिर से प्रचलन में लाना आवश्यक है। इस मुद्दे पर देशभर में बहस जारी है, और अब उज्जैन के संस्कृत विश्वविद्यालय ने इसे एक कदम आगे बढ़ाते हुए अपने दस्तावेजों में "भारत" शब्द का उपयोग करना शुरू किया है।
विश्वविद्यालय का नया कदम: संस्कृत से जुड़ाव बढ़ाना
सिर्फ "इंडिया" को "भारत" से बदलने तक ही सीमित नहीं, महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय ने संस्कृत को लेकर भी एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। विश्वविद्यालय ने यह निर्णय लिया है कि वह उज्जैन के नागरिकों को संस्कृत से जोड़ने का प्रयास करेगा। इसके लिए, विश्वविद्यालय अब संस्कृत सीखने के इच्छुक लोगों को प्रशिक्षित छात्रों को शिक्षक के रूप में उपलब्ध कराएगा।
इसके अलावा, विश्वविद्यालय ने एक नई पहल शुरू की है, जिसे "रिसोर्स पूल सिस्टम" कहा गया है। इस प्रणाली के तहत, विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर योग्य संस्कृत शिक्षकों की जानकारी उपलब्ध होगी, ताकि वे संस्कृत को सीखने के इच्छुक लोगों को प्रशिक्षित कर सकें। यह कदम इस उद्देश्य से उठाया गया है कि अधिक से अधिक लोग संस्कृत को सीखें और देश की प्राचीन भाषा से जुड़ें।
कुलगुरु और कार्यपरिषद का समर्थन
महर्षि पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद की बैठक में कुलगुरु प्रो. विजय कुमार जे.सी. ने इस फैसले का स्वागत किया और कहा कि यह निर्णय विश्वविद्यालय की संस्कृति और पहचान को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण है। कार्यपरिषद सदस्य विश्वास व्यास, डॉ. केशर सिंह चौहान, हरीश व्यास, सुमिना लिग्गा, और गीतांजलि चौरसिया ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया।
विश्वविद्यालय में संस्कृति को प्राथमिकता देना
कुलसचिव डॉ. दिलीप सोनी ने कहा कि विश्वविद्यालय का यह कदम केवल भाषाई बदलाव नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह निर्णय यह भी सुनिश्चित करता है कि भविष्य में विद्यार्थियों को भारतीय संस्कृति और इतिहास से बेहतर तरीके से जोड़ा जा सके।
आखिरकार, क्या है इस निर्णय का महत्व?
महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय का यह निर्णय न केवल एक विश्वविद्यालय की पहल है, बल्कि यह एक प्रतीक है उस मानसिकता का जो देश की सांस्कृतिक पहचान को महत्व देती है। जब "भारत" शब्द को प्रमुखता दी जाती है, तो यह हमें अपनी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक जड़ों से जोड़ता है और एक मजबूत राष्ट्र की भावना को बढ़ावा देता है।
यह कदम यह भी दिखाता है कि विश्वविद्यालय अपने विद्यार्थियों को भारतीय भाषाओं, संस्कृतियों और परंपराओं से जोड़ने के लिए कितनी गंभीरता से काम कर रहा है। इस पहल के जरिए न केवल भारतीय पहचान को सम्मान मिलेगा, बल्कि संस्कृत जैसी प्राचीन और महत्वपूर्ण भाषा को पुनः प्रासंगिक बनाया जाएगा।
भारतीय पहचान को सशक्त बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम
महर्षि पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय ने "इंडिया" शब्द को हटाकर "भारत" शब्द का प्रयोग करने का जो निर्णय लिया है, वह न केवल एक प्रशासनिक बदलाव है, बल्कि एक सांस्कृतिक मुहिम भी है। यह कदम भारतीय संस्कृति और पहचान को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल साबित हो सकता है। इस निर्णय से विश्वविद्यालय का दायित्व और बढ़ गया है कि वह अपनी शिक्षाओं और दस्तावेजों के माध्यम से भारतीयता के प्रति समर्पण दिखाए और अपने विद्यार्थियों को इसके महत्व से परिचित कराए।