जगद्गुरु स्वामी डॉ. रामकमलाचार्य वेदांतीजी महाराज ने अयोध्या को राजधानी बनाने पर पंडोखर सरकार पर उठाए सवाल
ग्वालियर में जगद्गुरु स्वामी डॉ. रामकमलाचार्य वेदांतीजी महाराज ने अयोध्या को राजधानी बनाने की पंडोखर सरकार की मांग पर सवाल उठाए और कहा कि इस मुद्दे पर संतुलित सोच की जरूरत है।

मध्य प्रदेश: भारत की राजनीति में लगातार चर्चा का विषय बने हुए अयोध्या को देश की राजधानी बनाने की पंडोखर सरकार की मांग पर अब जगद्गुरु स्वामी डॉ. रामकमलाचार्य वेदांतीजी महाराज ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। ग्वालियर में एक सार्वजनिक सभा के दौरान, स्वामी वेदांतीजी ने इस मुद्दे पर अपनी राय व्यक्त करते हुए पंडोखर सरकार की सोच पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि अयोध्या को राजधानी बनाने का प्रस्ताव ठीक है, लेकिन इसके लिए किसी भी तरह की जल्दबाजी में कदम उठाना सही नहीं होगा।
राम का ऐतिहासिक महत्व और अयोध्या की भूमिका
स्वामी डॉ. रामकमलाचार्य वेदांतीजी महाराज ने इस मुद्दे पर अपनी बात रखते हुए कहा, "राम भगवान ब्रह्मांड के राजा थे, अगर अयोध्या को देश की राजधानी बनाया जाए तो हम इसे कैसे नकार सकते हैं। अयोध्या का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व बहुत गहरा है। यहां का हर कोना राम की भव्यता और उनके कृत्यों से जुड़ा हुआ है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम बिना ठोस योजना के अयोध्या को राजधानी बना दें।"
राजधानी बनाने के लिए क्या चाहिए?
उनका मानना था कि किसी भी देश की राजधानी बनाते समय कुछ विशेष मान्यताएं, सुविधाएं और व्यवस्थाएं होनी चाहिए। स्वामी वेदांतीजी ने यह भी कहा, "किसी शहर को देश की राजधानी बनाने के लिए जरूरी है कि वहां की आधारभूत संरचना मजबूत हो, प्रशासनिक कार्यप्रणाली अच्छी हो, और वहां के नागरिकों के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हों। इन सब चीजों के लिए समय लगता है, और यह काम केवल कुछ वर्षों में नहीं हो सकता।"
दिल्ली का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व
स्वामी वेदांतीजी ने यह भी बताया कि दिल्ली के बारे में बहुत सी गलतफहमियां हैं। उन्होंने कहा, "दिल्ली भी एक तीर्थस्थली है, जहां भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं का केंद्र रहा है। यह वही जगह है जिसे कभी हस्तिनापुर और इंद्रप्रस्थ भी कहा जाता था। दिल्ली का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व भी उतना ही गहरा है जितना कि अयोध्या का है।"
स्वामी वेदांतीजी की नसीहत: संतुलित दृष्टिकोण की जरूरत
स्वामी डॉ. रामकमलाचार्य वेदांतीजी ने पंडोखर सरकार को नसीहत देते हुए कहा, "महात्माओं को उन बातों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जिनका ठोस आधार हो। बिना सोचे-समझे किसी मुद्दे पर बोलना ठीक नहीं है। अयोध्या को राजधानी बनाने का विचार अच्छा है, लेकिन यह एक लंबी और गंभीर चर्चा का विषय है। इसे लेकर समाज में विचार-विमर्श होना चाहिए और हर पहलू पर सोच-समझ कर निर्णय लिया जाना चाहिए।"
बुद्धिजीवी समाज की जिम्मेदारी
स्वामी वेदांतीजी ने यह भी कहा कि बुद्धिजीवी समाज को इस विषय पर चिंतन करना चाहिए और उन्हें यह विचार करना चाहिए कि क्या वास्तव में अयोध्या को राजधानी बनाने की आवश्यकता है या नहीं। इस मुद्दे पर संतुलित दृष्टिकोण की आवश्यकता है और यह भी जरूरी है कि यह फैसला सभी पक्षों के हित में हो।
क्या अयोध्या को राजधानी बनाना संभव है?
अयोध्या को राजधानी बनाने के सवाल पर स्वामी वेदांतीजी ने अपनी बात रखते हुए एक और महत्वपूर्ण पहलू पर चर्चा की। उन्होंने कहा, "अयोध्या का महत्व धार्मिक दृष्टिकोण से बहुत अधिक है, लेकिन क्या हम यह सुनिश्चित कर पाएंगे कि इसे एक आधुनिक और विकासशील राजधानी में तब्दील किया जा सके? इसके लिए बड़ी योजनाओं की आवश्यकता होगी और शायद हमें इसमें काफी समय लगेगा।"
देश के लिए ऐतिहासिक कदम हो सकता है अयोध्या को राजधानी बनाना
स्वामी वेदांतीजी ने यह भी कहा कि यह वक्त है जब सरकारों को और संतों को मिलकर इस मुद्दे पर विचार-विमर्श करना चाहिए। अयोध्या को राजधानी बनाने का विचार केवल धार्मिक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि प्रशासनिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। इस निर्णय से देश की राजनीति, संस्कृति और अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा, इस पर भी गहरी सोचने की आवश्यकता है।
अयोध्या को राजधानी बनाने पर उठ रही नई बहस
हालांकि, स्वामी वेदांतीजी ने इस बात को भी स्वीकार किया कि अगर भविष्य में अयोध्या को राजधानी बनाया जाता है तो यह देश के लिए एक ऐतिहासिक कदम होगा। उन्होंने कहा, "अगर अयोध्या को राजधानी बनाने का निर्णय लिया जाता है तो यह हम सभी के लिए गर्व की बात होगी, लेकिन इसके लिए हमें तैयारियों में समय और सोच-समझ कर कदम उठाने होंगे।"
संतों और समाज का मिलकर निर्णय लेना होगा
स्वामी डॉ. रामकमलाचार्य वेदांतीजी महाराज ने अंत में यह कहा कि ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर संतों और समाज के हर वर्ग को मिलकर विचार करना चाहिए। यह मुद्दा केवल राजनीति का नहीं है, बल्कि यह हमारे देश की संस्कृति, धरोहर और भविष्य से भी जुड़ा हुआ है। इसलिए इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता।