उज्जैन में चोरी का एक मोबाइल ढूंढते पुलिस को मिले 74 फोन, इंदौर-राजगढ़ से जुड़ा केस
उज्जैन में एक चोरी हुए मोबाइल की जांच में पुलिस को मिले 74 चोरी के फोन। राजगढ़ और इंदौर के डॉलर मार्केट से जुड़ा ये मामला। जानें पूरी कहानी।

- उज्जैन में एक चोरी के फोन की जांच में 74 मोबाइल बरामद, राजगढ़-इंदौर से जुड़ा रैकेट पकड़ा गया
- राजगढ़ की दुकान से 74 चोरी के फोन मिले, इंदौर का जितेंद्र वासवानी फरार
- पुलिस और साइबर सेल ने रत्नेश को पकड़ा, चोरी के फोनों के मालिकों की तलाश जारी
उज्जैन में एक चोरी हुए मोबाइल की तलाश में जुटी पुलिस को उस वक्त बड़ी कामयाबी मिली, जब जांच के दौरान एक-दो नहीं, बल्कि पूरे 74 चोरी के मोबाइल बरामद हुए। ये मामला उज्जैन से शुरू होकर राजगढ़ और इंदौर तक पहुंच गया। पुलिस ने इस सिलसिले में एक शख्स को गिरफ्तार किया है, जबकि एक अन्य की तलाश जारी है। आइए, जानते हैं इस दिलचस्प मामले की पूरी कहानी।
कैसे शुरू हुई जांच?
बात तब शुरू हुई, जब उज्जैन के जीवाजीगंज थाने में एक शख्स अपने चोरी हुए मोबाइल की शिकायत लेकर पहुंचा। थाना प्रभारी विवेक कनोडिया ने तुरंत इस मामले की जांच शुरू की। साइबर सेल की मदद से चोरी हुए फोन की लोकेशन राजगढ़ में ट्रेस हुई। पुलिस ने बिना देर किए राजगढ़ के लिए एक टीम रवाना की। वहां से पुलिस ने 20 साल के रत्नेश तंवर को चोरी के मोबाइल के साथ गिरफ्तार किया। रत्नेश ने बताया कि उसने ये फोन राजगढ़ के खिलचीपुरा में फुरकान टेलीकॉम नाम की दुकान से खरीदा था।
फुरकान टेलीकॉम से खुला राज
पुलिस रत्नेश को लेकर फुरकान टेलीकॉम पहुंची, जहां दुकान के मालिक इरशाद खां मंसूरी से पूछताछ की गई। इरशाद ने दावा किया कि उसने ये मोबाइल इंदौर के डॉलर मार्केट से खरीदा था। लेकिन जब पुलिस ने दुकान की तलाशी ली, तो वहां 74 ऐसे मोबाइल मिले, जिनके न तो बिल थे और न ही कोई दस्तावेज। इरशाद ने खुलासा किया कि उसने कुल 150 चोरी के मोबाइल इंदौर के डॉलर मार्केट में जितेंद्र वासवानी की दुकान से खरीदे थे।
इंदौर पहुंची पुलिस, लेकिन जितेंद्र फरार
पुलिस ने तुरंत इंदौर के डॉलर मार्केट में जितेंद्र वासवानी की दुकान पर दबिश दी, लेकिन जितेंद्र वहां से फरार हो चुका था। पुलिस अब उसकी तलाश में जुटी है। इस मामले ने उज्जैन, राजगढ़ और इंदौर के बीच एक बड़े चोरी के नेटवर्क की ओर इशारा किया है।
मोबाइल मालिकों की तलाश में पुलिस
जीवाजीगंज थाना प्रभारी विवेक कनोडिया ने बताया कि बरामद किए गए 74 मोबाइल के असली मालिकों का पता लगाने की कोशिश की जा रही है। पुलिस का कहना है कि जल्द ही इन फोन्स को उनके असली मालिकों तक पहुंचा दिया जाएगा। इस काम में साइबर सेल की भी मदद ली जा रही है, ताकि हर मोबाइल की पूरी डिटेल्स जुटाई जा सकें।
एक फोन से खुला चोरी का नेटवर्क
ये पूरा मामला एक चोरी हुए मोबाइल से शुरू हुआ था, लेकिन जैसे-जैसे पुलिस ने तहकीकात की, वैसे-वैसे ये केस बड़ा होता चला गया। उज्जैन में चोरी हुआ फोन राजगढ़ में मिला, फिर राजगढ़ की एक दुकान से 74 चोरी के मोबाइल बरामद हुए, और अब इसकी तार इंदौर के डॉलर मार्केट से जुड़ रही हैं। पुलिस का मानना है कि जितेंद्र वासवानी इस चोरी के नेटवर्क का अहम कड़ी हो सकता है।
पुलिस की सतर्कता और साइबर सेल का रोल
इस मामले में उज्जैन पुलिस और साइबर सेल की तारीफ होनी चाहिए। एक छोटी सी शिकायत को गंभीरता से लेते हुए पुलिस ने न सिर्फ चोरी का मोबाइल बरामद किया, बल्कि एक बड़े रैकेट का पर्दाफाश भी किया। साइबर सेल की तकनीकी मदद से फोन की लोकेशन ट्रेस करना और संदिग्धों तक पहुंचना आसान हुआ।
आगे क्या?
पुलिस अब जितेंद्र वासवानी की तलाश में तेजी से काम कर रही है। साथ ही, बरामद मोबाइल के मालिकों को ढूंढने की प्रक्रिया भी जारी है। इस मामले ने मोबाइल चोरी के कारोबार पर सवाल उठाए हैं, खासकर उन दुकानों पर जो बिना बिल और दस्तावेज के फोन बेचती हैं।