ग्वालियर के कमलाराजा अस्पताल में भीषण आग, जानें कैसे टला बड़ा हादसा

ग्वालियर के जयारोग्य समूह के कमलाराजा अस्पताल के लेबर रूम के ICU में AC फटने से लगी आग, सभी मरीजों को सुरक्षित निकाला गया। कलेक्टर रुचिका चौहान ने दिए जांच के आदेश।

ग्वालियर के कमलाराजा अस्पताल में भीषण आग, जानें कैसे टला बड़ा हादसा
कमलाराजा अस्पताल में लगी भीषण आग

ग्वालियर: जयारोग्य अस्पताल समूह के प्रतिष्ठित कमलाराजा अस्पताल में आज दोपहर एक भीषण अग्निकांड की घटना सामने आई। अस्पताल के लेबर रूम के आईसीयू में एयर कंडीशनर फटने से अचानक आग भड़क उठी, जिससे अस्पताल में अफरा-तफरी मच गई। हालांकि, अस्पताल प्रशासन और स्थानीय प्रशासन की त्वरित कार्रवाई से बड़ा हादसा टल गया और सभी मरीजों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया।

आग लगने का कारण और प्रारंभिक घटनाक्रम

प्राप्त जानकारी के अनुसार, दोपहर लगभग 2:30 बजे अस्पताल के लेबर रूम के आईसीयू में स्थापित एयर कंडीशनर में अचानक विस्फोट हुआ। विस्फोट इतना जोरदार था कि आसपास के कमरों में मौजूद लोगों ने इसे साफ सुना। विस्फोट के बाद देखते ही देखते आग भड़क उठी और कुछ ही मिनटों में पूरे वार्ड में धुआं भर गया।

"मैं अपनी पत्नी के साथ पास के वार्ड में था, जब अचानक एक जोरदार धमाके की आवाज आई। पहले हमें लगा कि कोई सिलेंडर फटा है, लेकिन जब हमने खिड़की से बाहर देखा तो लेबर रूम से धुआं निकलता दिखाई दिया," मरीज के एक परिजन राकेश शर्मा ने बताया।

घटना के समय लेबर यूनिट में 16 मरीज भर्ती थे, जिनमें कई नवजात शिशु और प्रसव के लिए भर्ती महिलाएं शामिल थीं। इसके अलावा, आसपास के वार्डों में 50 से अधिक मरीज भर्ती थे। आग लगने के बाद अस्पताल में मौजूद सुरक्षा कर्मियों और स्टाफ ने तुरंत आपातकालीन प्रोटोकॉल को लागू किया।

बचाव अभियान

जैसे ही अस्पताल प्रशासन को आग की सूचना मिली, अस्पताल के सभी वार्डों को खाली कराने का आदेश दिया गया। अस्पताल के स्टाफ ने अपनी जान की परवाह किए बिना सबसे पहले लेबर यूनिट में भर्ती नवजात शिशुओं और महिलाओं को बाहर निकाला।

"हमारी प्राथमिकता मरीजों, विशेषकर नवजात बच्चों और महिलाओं को सुरक्षित बाहर निकालना था। हमारी टीम ने बिना किसी देरी के बचाव अभियान शुरू किया," अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अनिल सक्सेना ने बताया।

बचाव कार्य में कई चुनौतियां आईं क्योंकि लेबर यूनिट में धुआं भर जाने से मरीजों को निकालना मुश्किल हो गया था। कई मामलों में, अस्पताल के स्टाफ और दमकल विभाग के कर्मियों को वार्ड की खिड़कियां तोड़कर मरीजों को बाहर निकालना पड़ा।

"धुएं के कारण सांस लेना मुश्किल हो गया था। मैंने देखा कि नर्सें और डॉक्टर अपने मुंह पर मास्क लगाकर वार्ड से बच्चों को बाहर निकाल रहे थे," एक अन्य मरीज के परिजन सुनीता देवी ने बताया।

प्रशासन की त्वरित प्रतिक्रिया

अस्पताल प्रशासन ने तुरंत स्थानीय दमकल विभाग और पुलिस को सूचित किया। दमकल विभाग की कई गाड़ियां कुछ ही मिनटों में मौके पर पहुंच गईं और आग पर काबू पाने के लिए अभियान शुरू कर दिया।

ग्वालियर की कलेक्टर रुचिका चौहान भी घटना की सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचीं और बचाव कार्य का जायजा लिया। उन्होंने अस्पताल अधीक्षक, पुलिस और आपातकालीन सेवाओं के अधिकारियों के साथ बैठक की और घटना से निपटने के लिए आवश्यक निर्देश दिए।

"यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी, लेकिन अस्पताल स्टाफ और दमकल विभाग की त्वरित कार्रवाई से बड़ा हादसा टल गया। मैंने घटना की विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो," कलेक्टर रुचिका चौहान ने मीडिया से बातचीत में कहा।

मरीजों का स्थानांतरण

लेबर यूनिट और आसपास के वार्डों से निकाले गए सभी मरीजों को तुरंत जयारोग्य समूह के सुपर स्पेशलिस्ट अस्पताल में स्थानांतरित किया गया। स्थानांतरण के लिए अस्पताल की सभी एंबुलेंस और आसपास के अस्पतालों से मांगी गई अतिरिक्त एंबुलेंस का उपयोग किया गया।

"हमने दो घंटे के भीतर सभी 66 मरीजों को सुरक्षित सुपर स्पेशलिस्ट अस्पताल पहुंचा दिया। हमारी मेडिकल टीम ने यह सुनिश्चित किया कि स्थानांतरण के दौरान किसी भी मरीज को कोई असुविधा न हो," डॉ. सक्सेना ने बताया।

विशेष रूप से नवजात शिशुओं और गंभीर मरीजों के लिए विशेष व्यवस्था की गई थी। प्रत्येक एंबुलेंस में मेडिकल टीम मौजूद थी जो मरीजों की निगरानी कर रही थी।

सुरक्षा उपायों का मूल्यांकन

इस घटना ने अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा उपायों के महत्व को एक बार फिर रेखांकित किया है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि एयर कंडीशनर में शॉर्ट सर्किट के कारण विस्फोट हुआ था।

"हम नियमित रूप से सभी उपकरणों की जांच करते हैं, लेकिन कभी-कभी तकनीकी खराबी अप्रत्याशित होती है। इस घटना के बाद हम सभी उपकरणों की व्यापक जांच करेंगे और सुरक्षा उपायों को और मजबूत करेंगे," अस्पताल के तकनीकी प्रबंधक राजीव मेहता ने कहा।

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने भी राज्य के सभी अस्पतालों को अग्नि सुरक्षा उपायों की जांच करने और आवश्यक सुधार करने के निर्देश दिए हैं।

सराहनीय प्रयास

इस घटना में अस्पताल स्टाफ की सूझबूझ और साहस की चारों ओर सराहना हो रही है। विशेष रूप से नर्सों और वार्ड बॉय ने अपनी जान की परवाह किए बिना मरीजों को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

"मैंने देखा कि कैसे एक नर्स ने तीन नवजात बच्चों को अपनी गोद में लेकर धुएं से भरे कमरे से बाहर निकाला। यह वास्तव में प्रेरणादायक था," एक चश्मदीद विनोद कुमार ने बताया।

अस्पताल प्रशासन ने भी दमकल विभाग और पुलिस के त्वरित प्रतिक्रिया के लिए आभार व्यक्त किया है।

आगे की कार्रवाई

कलेक्टर रुचिका चौहान ने घटना की विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं। जांच में एयर कंडीशनर के विस्फोट के कारणों, अस्पताल में मौजूद अग्नि सुरक्षा उपकरणों की स्थिति और आपातकालीन प्रतिक्रिया की प्रभावशीलता का मूल्यांकन किया जाएगा।

"हम जांच रिपोर्ट के आधार पर आवश्यक कार्रवाई करेंगे। यदि किसी प्रकार की लापरवाही पाई जाती है, तो संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी," कलेक्टर ने कहा।

इस बीच, अस्पताल प्रशासन ने कहा है कि आग से प्रभावित वार्डों की मरम्मत और साफ-सफाई का काम शुरू कर दिया गया है और जल्द ही सामान्य सेवाएं बहाल कर दी जाएंगी।

क्षेत्रीय प्रतिक्रिया

इस घटना की जानकारी मिलते ही स्थानीय विधायक और अन्य राजनीतिक नेता भी अस्पताल पहुंचे और घटना का जायजा लिया। उन्होंने अस्पताल प्रशासन से विस्तृत जानकारी ली और पीड़ित मरीजों से मिलकर उनका हालचाल जाना।

"यह घटना चिंताजनक है, लेकिन हम अस्पताल प्रशासन और स्थानीय प्रशासन की त्वरित कार्रवाई की सराहना करते हैं जिससे कोई जनहानि नहीं हुई," स्थानीय विधायक ने कहा।

इस घटना ने ग्वालियर के निवासियों में चिंता पैदा कर दी है और अस्पताल सुरक्षा के मुद्दे पर बहस छिड़ गई है।