चाळीसगांव में पुलिस का काला खेल: 1.20 लाख की खंडणी का राज खुला, कौन है शामिल?

जळगांव के चाळीसगांव में पुलिस कॉन्स्टेबल अजय पाटील पर स्वप्नील राखुंडे से 1 लाख 20 हजार की खंडणी वसूलने का आरोप। पॉक्सो केस में फंसाने की धमकी देकर की गई उगाही। पढ़ें पूरा मामला।

चाळीसगांव में पुलिस का काला खेल: 1.20 लाख की खंडणी का राज खुला, कौन है शामिल?
सांकेतिक तस्वीर

हाइलाइट्स
  • चाळीसगांव में पुलिस कॉन्स्टेबल अजय पाटील ने स्वप्नील राखुंडे से 1.20 लाख की खंडणी वसूली
  • पॉक्सो केस में फंसाने की धमकी देकर की उगाही, विधायक मंगेश चव्हाण ने कराया केस दर्ज
  • पुलिस इंस्पेक्टर कबाडी का तबादला, जांच में और पुलिसकर्मियों की संलिप्तता की आशंका

महाराष्ट्र: जळगांव जिले के चाळीसगांव तालुका में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। चाळीसगांव शहर पुलिस स्टेशन के क्राइम ब्रांच में कार्यरत कॉन्स्टेबल अजय पाटील पर स्वप्नील राखुंडे से 1 लाख 20 हजार रुपये की खंडणी वसूलने का आरोप लगा है। स्वप्नील, जो स्टेशन रोड पर कंप्यूटर क्लासेस चलाते हैं, को पॉक्सो एक्ट के तहत फंसाने की धमकी देकर यह रकम वसूली गई। इस मामले में चाळीसगांव शहर पुलिस स्टेशन में अजय पाटील के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 308(7) के तहत केस दर्ज किया गया है।

क्या है पूरा मामला?

यह मामला तब शुरू हुआ जब निखील राठोड, उसकी बहन स्नेहा राठोड और दोस्त रोहित निकम के खिलाफ चाळीसगांव पुलिस स्टेशन में पॉक्सो एक्ट और अन्य धाराओं के तहत केस दर्ज हुआ। निखील, जो स्वप्नील राखुंडे के कंप्यूटर क्लास में काम करता था, ने कथित तौर पर 17 साल की एक नाबालिग लड़की को प्रलोभन देकर उसका यौन शोषण किया। कॉन्स्टेबल अजय पाटील ने स्वप्नील को धमकाया कि उनकी जगह का इस्तेमाल इस अपराध के लिए हुआ, इसलिए उन्हें भी इस केस में फंसाया जा सकता है। इस डर के चलते स्वप्नील से 1 लाख 20 हजार रुपये की खंडणी वसूल की गई।

स्वप्नील ने यह बात अपने दोस्त को बताई, जिसके बाद मामला स्थानीय विधायक मंगेश चव्हाण तक पहुंचा। गुस्साए विधायक अपने कार्यकर्ताओं के साथ पुलिस स्टेशन पहुंचे और पुलिस इंस्पेक्टर को इस मामले में सख्त कार्रवाई करने को कहा। विधायक ने साफ कहा कि जब तक अजय पाटील के खिलाफ केस दर्ज नहीं होता, वे थाना नहीं छोड़ेंगे। लगभग 4 घंटे की जिद के बाद पुलिस ने अजय पाटील के खिलाफ खंडणी का केस दर्ज किया।

पुलिस इंस्पेक्टर की तबादला और जांच

इस मामले के तुरंत बाद चाळीसगांव शहर पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर किरणकुमार कबाडी का तबादला कर दिया गया। जळगांव के पुलिस अधीक्षक डॉ. महेश्वर रेड्डी ने कबाडी को कंट्रोल रूम में भेज दिया और थाने का प्रभार ग्रामीण पुलिस इंस्पेक्टर राहुलकुमार पवार को सौंपा गया। कबाडी का इस मामले में कोई सीधा संबंध नहीं था, फिर भी उनका तबादला चर्चा का विषय बन गया।

उपविभागीय पुलिस अधिकारी राजेशसिंह चंदेल के मार्गदर्शन में अजय पाटील के घर से खंडणी की रकम भी जब्त कर ली गई। विधायक मंगेश चव्हाण ने इस मामले में और गहराई से जांच की मांग की है। उनका कहना है कि इस तरह के गंभीर मामले में और भी पुलिसकर्मी शामिल हो सकते हैं, जिनके नाम सामने आए हैं, लेकिन उन्हें अभी तक आरोपी नहीं बनाया गया है।

पुलिस की कार्यशैली पर सवाल

चाळीसगांव शहर पुलिस स्टेशन की कार्यशैली पर पहले से ही सवाल उठ रहे हैं। कहा जाता है कि यहां के 80% पुलिसकर्मी अपने अधिकारियों के आदेशों का पालन नहीं करते। इस घटना ने पुलिस स्टेशन की साख को और नुकसान पहुंचाया है। विधायक चव्हाण ने पुलिस अधीक्षक डॉ. महेश्वर रेड्डी और अपर पुलिस अधीक्षक कविता नेरकर से संपर्क कर इस मामले में सख्ती बरतने की मांग की है। उनका कहना है कि अगर रक्षक ही भक्षक बन जाएंगे, तो आम लोग किसके पास जाएंगे?

आम लोगों में आक्रोश

इस घटना ने चाळीसगांव में हड़कंप मचा दिया है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब पुलिस ही इस तरह की हरकतें करेगी, तो जनता का भरोसा कैसे कायम रहेगा? विधायक मंगेश चव्हाण ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए यह सुनिश्चित करने की बात कही है कि दोषियों को किसी भी तरह की रियायत नहीं मिलेगी।

आगे क्या?

यह मामला अभी शुरुआती जांच के दौर में है। पुलिस इस बात की तहकीकात कर रही है कि क्या इस खंडणी के खेल में और लोग शामिल हैं। चाळीसगांव पुलिस स्टेशन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं, और इस मामले ने पूरे पुलिस महकमे को कटघरे में खड़ा कर दिया है।