उज्जैन में भगवान श्री अष्टविनायक मंदिर का भव्य निर्माण: पंडित हेमंत व्यास का सपना साकार
उज्जैन के सांवराखेड़ी में पंडित हेमंत व्यास ने 51 करोड़ की जमीन पर भगवान श्री अष्टविनायक का भव्य मंदिर बनवाया। 32 साल की मेहनत और गणेश जी की कृपा से पूरा हुआ बचपन का संकल्प। प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव 30 अप्रैल से।

उज्जैन। बचपन में लिए संकल्प को पूरा करने के लिए गांव से शहर में आए एक युवा पर भगवान श्री गणेश का ऐसा आशीर्वाद हुआ कि 32 वर्षों तक की गई मेहनत के बाद अब वह इस मुकाम पर पहुंच गया कि उसने व्यापार के लिए खरीदी 51 करोड़ की बेशकीमती 7 बीघा जमीन पर भगवान श्री अष्टविनायक के मंदिर का निर्माण करवा दिया। इसे भगवान श्री गणेश का आशीर्वाद ही कहा जाएगा क्योंकि जब यह युवा अपने माता-पिता और भाइयों के साथ उज्जैन आया था तो परिवार की स्थिति इतनी ठीक नहीं थी लेकिन धीरे-धीरे श्री गणेश की कृपा इस परिवार और हुई और सब कुछ ठीक हो गया।
उज्जैन के ग्राम सांवराखेड़ी बायपास मार्ग पर भगवान श्री अष्टविनायक के भव्य मंदिर का निर्माण पंडित हेमंत व्यास के द्वारा करवाया गया है। जोकि लगभग 32 वर्षों पूर्व धार्मिक नगरी उज्जैन में व्यापार करने के साथ ही भगवान श्री गणेश के भव्य मंदिर निर्माण का सपना आंखों में संजोकर आए थे। शुरुआती दौर में उन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा लेकिन भाई संजय व्यास और शैलेंद्र व्यास के साथ मिलकर उन्होंने इतना अथक परिश्रम किया कि लगभग 11 वर्षों पूर्व उन्होंने मंदिर निर्माण के लिए जिस जमीन को 35 लाख रुपए प्रति बीघा के हिसाब से खरीदा था वह भगवान श्री गणेश की कृपा से मुख्य मार्ग पर आ गई और वर्तमान यह जमीन लगभग 51 करोड रुपए की हो गई है। जब यह जमीन मुख्य मार्ग पर आई तो पंडित हेमंत व्यास ने इस जमीन का उपयोग व्यापार करने की बजाय अपने बचपन के सपने भगवान श्री गणेश के भव्य मंदिर निर्माण के संकल्प को पूर्ण करने मे लगाया और लगभग 7 वर्षों पूर्व इस बेशकीमती जमीन पर महाराष्ट्र के अष्ट विनायक गणेश के भव्य मंदिर का निर्माण शुरू करवा दिया।
बचपन का सपना किया साकार
पंडित हेमंत व्यास बताते हैं कि बचपन से ही मेरी भगवान श्री गणेश के प्रति अगाध श्रद्धा है। मैं गणेश उत्सव पर्व के दौरान मिट्टी से भगवान गणेश की प्रतिमा का निर्माण करता था और पंडाल को सजाता था। मेरा संकल्प था कि जब भी भगवान गणेश की मुझ पर कृपा होगी तो मैं उनके भव्य मंदिर का निर्माण जरूर करूंगा भगवान की कृपा होने के साथ ही मेरे माता-पिता के आशीर्वाद और भाइयों के सहयोग से ही यह सपना साकार हुआ है।
मंत्रोच्चार के साथ हुआ मंदिर का निर्माण
अष्टविनायक गणेश मंदिर के निर्माण की शुरुआत के साथ ही पंडित हेमंत व्यास की ऐसी मंशा थी कि ॐ गं गणपत्ये नमः मंत्र के साथ ही इस मंदिर का निर्माण हो इसीलिए इस मंदिर पर दो लाउडस्पीकर लगाए गए थे जहां पर इस मंत्र की ध्वनि सभी को सुनाई देती थी। मंदिर का निर्माण करने वाले राजस्थान और गुजरात के कलाकारों के साथ ही यहां काम करने वाले मजदूर भी इसी मंत्र का उच्चारण करते रहते थे। मंदिर की एक विशेषता यह भी है कि यहां लोहे के स्थान पर तांबे का उपयोग अधिक से अधिक किया गया है। मंदिर के 35 फीट नीचे से ऐरन के पत्थरों को लगाया गया है।
गूगल पर की खोज फिर बनवाई अष्टविनायक की हूबहू प्रतिमा
अष्टविनायक मंदिर में विराजित होने वाली भगवान श्री गणेश की प्रतिमाएं महाराष्ट्र के अष्टविनायक की तरह ही रहे इसलिए पंडित हेमंत व्यास ने गूगल पर खोज की और लगभग 50 वर्ष पुरानी प्रतिमाओं के विग्रह को खोज निकाला। उन्होंने बताया कि वर्तमान में अष्टविनायक की जो प्रतिमाएं हैं उन पर काफी सिंदूर लगा हुआ है लेकिन मेरी कामना थी कि अष्टविनायक की प्रतिमा महाराष्ट्र के मंदिरों की तरह ही हो इसीलिए मैंने इन विग्रहों के फोटो ढूंढ निकाले कई बार में इसके लिए महाराष्ट्र अष्टविनायक मंदिरों पर पहुंचा जहां मंदिर के पुजारी से लेकर मैने यहां के निवासियों तक से यह जानकारी जुटाई की आखिर अष्टविनायक का मूल स्वरूप क्या था। अष्टविनायक के स्वरूप की सम्पूर्ण जानकारी एकत्रित करने के बाद मैने मकराना के मार्बल से इन प्रतिमाओं का निर्माण करवाया है। अष्टविनायकों के इस भव्य मंदिर में मुख्य गणेश प्रतिमा किसकी होगी। इसका चयन कर पाना हमारे लिए काफी कठिन था इसके लिए मैं राजस्थान पहुंचा जहां मैं मूर्ति बनाने वाले कलाकारों से 8 फीट की भगवान श्री गणेश की ऐसी प्रतिमा बनाने को कहा जिसमें उनके साथ माता रिद्धि सिद्धि हो और भगवान श्री गणेश मुस्कुराते हुए नजर आए। प्रतिमा बनाने वाले कलाकारों ने ऐसी प्रतिमा के बारे में सुनकर पहले तो पंडित व्यास की बातों पर यकीन नही किया क्योंकि आज तक उनके पास भगवान गणेश की कोई ऐसी प्रतिमा बनवाने नहीं पहुंचा था लेकिन यह पंडित व्यास का हट ही था की कलाकारों ने भगवान श्री गणेश की ऐसी दिव्य प्रतिमा का निर्माण कर दिया।
समाज सेवा के कार्य में अग्रणी रहते हैं पंडित व्यास
अष्टविनायक गणेश मंदिर का निर्माण करवाने वाले पंडित हेमंत व्यास की पहचान समाजसेवी के रूप में है वे समाजसेवक के रूप में कई वर्षों से कार्य करते नजर आ रहे हैं। ब्राह्मण समाज के आयोजन हो या फिर नागर ब्राह्मण समाज का कोई आयोजन पंडित व्यास प्रत्येक कार्यक्रमों में न सिर्फ शामिल होते हैं बल्कि यथासंभव मदद भी करते हैं। बताया जाता है कि दो माह पहले ही पंडित व्यास ने सामूहिक विवाह समारोह का आयोजन करवाया था।
प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में शामिल होंगे अष्टविनायक मंदिर के पुजारी
अष्टविनायक मंदिर का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है मंदिर में भगवान की प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा करने के लिए पंच दिवसीय प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव एवं श्री गणेश महायज्ञ का आयोजन 30 अप्रैल से किया गया है। जिसमें महाराष्ट्र के अष्ट विनायक मंदिर के पुजारियो के साथ मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव और साधु संतों को भी आमंत्रित किया गया है। यह प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव 5 मई तक धूमधाम से आयोजित होगा जिसे यज्ञाचार्य पंडित चंदन श्यामनारायण व्यास के द्वारा संपन्न करवाया जाएगा।