चैत्रम पवार को पद्म श्री सम्मान: बारिपाडा के पर्यावरण योद्धा की कहानी

धुले के चैत्रम पवार को 28 अप्रैल 2025 को पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। जानिए बारिपाडा गांव के इस पर्यावरण योद्धा की प्रेरक कहानी, जिन्होंने जल, जंगल और जमीन को बचाया।

चैत्रम पवार को पद्म श्री सम्मान: बारिपाडा के पर्यावरण योद्धा की कहानी
चैत्रम पवार को पद्म श्री सम्मान

महाराष्ट्र के धुले जिले के साकरी तहसील में बसे छोटे से आदिवासी गांव बारिपाडा के चैत्रम पवार को 28 अप्रैल 2025 को दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक भव्य समारोह में महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने **पद्म श्री पुरस्कार** से सम्मानित किया। यह सम्मान चैत्रम पवार को पर्यावरण संरक्षण और आदिवासी समुदाय के विकास में उनके अतुलनीय योगदान के लिए प्रदान किया गया। इस ऐतिहासिक अवसर पर बारिपाडा गांव के 25-30 आदिवासी ग्रामीण भी उपस्थित थे, जिन्होंने इस गर्व के क्षण को साक्षी बनाया।

चैत्रम पवार: पर्यावरण के सच्चे रक्षक

चैत्रम पवार का जन्म धुले जिले के बारिपाडा गांव में हुआ, जो 1990 के दशक में एक बंजर और सुनसान क्षेत्र था। उस समय गांव में पानी की कमी, रोजगार की समस्या और जर्जर भूमि ने आदिवासियों के जीवन को बेहद कठिन बना दिया था। जंगल कटाई की वजह से पर्यावरण को भी भारी नुकसान हो रहा था। लेकिन चैत्रम पवार ने इस स्थिति को बदलने का संकल्प लिया और गांव की तस्वीर को पूरी तरह से बदल दिया।

1992 में, चैत्रम पवार ने ग्रामीणों के साथ मिलकर संयुक्त वन प्रबंधन (Joint Forest Management) की शुरुआत की। उन्होंने वन संरक्षण के लिए एक समिति बनाई और ग्रामीणों में जागरूकता फैलाई। उनके नेतृत्व में 5,000 से अधिक पेड़ लगाए गए और लगभग 1100 हेक्टेयर जंगल की रक्षा की गई। इसके साथ ही, उन्होंने जैव विविधता को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए, जिसके परिणामस्वरूप 8 दुर्लभ जानवरों, 48 पक्षी प्रजातियों और 435 प्रकार की वनस्पतियों को संरक्षण मिला।

जल, जंगल, जमीन: चैत्रम का त्रिसूत्रीय मॉडल

चैत्रम पवार ने केवल वृक्षारोपण तक ही सीमित नहीं रहे। उन्होंने जल संरक्षण पर भी विशेष ध्यान दिया। उनके नेतृत्व में गांव में 445 छोटे बांध, 40 बड़े बांध, और 5 किलोमीटर लंबी कंटूर ट्रेंचेस (सीसीटी) का निर्माण किया गया। इन प्रयासों से बारिपाडा में जल स्तर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई, जिसने खेती और रोजगार के अवसरों को बढ़ाया। 

उन्होंने पिपल्स बायोडायवर्सिटी रजिस्टर (PBR) के माध्यम से गांव के पारंपरिक ज्ञान और प्राकृतिक संसाधनों का दस्तावेजीकरण किया। यह दस्तावेज पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के लिए एक मॉडल बन गया। चैत्रम के इन प्रयासों ने न केवल बारिपाडा को हरा-भरा बनाया, बल्कि महाराष्ट्र और गुजरात के 100 से अधिक गांवों में भी प्रेरणा का काम किया।

बारिपाडा: दुनिया के लिए एक मिसाल

चैत्रम पवार के नेतृत्व में बारिपाडा गांव ने वैश्विक स्तर पर पहचान हासिल की। एक अंतरराष्ट्रीय सर्वेक्षण में, बारिपाडा को दुनिया के सबसे अच्छे गांवों में दूसरा स्थान मिला। उनकी परियोजना को अंतरराष्ट्रीय संगठन IFAD द्वारा सम्मानित किया गया, जो पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित पुरस्कार है। इसके अलावा, चैत्रम पवार को महाराष्ट्र सरकार द्वारा प्रथम वनभूषण पुरस्कार से भी नवाजा गया।

पद्म श्री: एक प्रेरक उपलब्धि

गणतंत्र दिवस 2025 की पूर्व संध्या पर चैत्रम पवार के नाम की पद्म श्री पुरस्कार के लिए घोषणा की गई थी। 28 अप्रैल 2025 को दिल्ली में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें इस प्रत fuhrenden सम्मान से नवाजा। यह पुरस्कार न केवल चैत्रम पवार की मेहनत और समर्पण का सम्मान है, बल्कि बारिपाडा गांव और पूरे आदिवासी समुदाय के लिए गर्व का क्षण है।

चैत्रम पवार का संदेश

चैत्रम पवार का मानना है कि पर्यावरण संरक्षण और सामुदायिक सहयोग से कोई भी क्षेत्र अपनी तकदीर बदल सकता है। उन्होंने अपने कार्यों से यह साबित किया कि छोटे-छोटे कदम भी बड़े बदलाव ला सकते हैं। उनके प्रयासों ने न केवल बारिपाडा को समृद्ध बनाया, बल्कि पूरे विश्व में सतत विकास के लिए एक मॉडल प्रस्तुत किया।

बारिपाडा की प्रेरणा

चैत्रम पवार की कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो अपने समुदाय और पर्यावरण के लिए कुछ करना चाहता है। उनके नेतृत्व में बारिपाडा गांव ने न केवल अपनी समस्याओं पर विजय प्राप्त की, बल्कि दुनिया के सामने एक आदर्श प्रस्तुत किया। यह कहानी हमें सिखाती है कि दृढ़ संकल्प और सामुदायिक सहयोग से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है।