ग्वालियर: पागल कुत्ते ने भैंस को काटा, 15 लोग अस्पताल पहुंचे, 400 से अधिक डॉग बाइट के मामले
ग्वालियर जिले में पागल कुत्तों के काटने की घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। प्रशासन की अनदेखी और लापरवाही के कारण 400 से अधिक डॉग बाइट के मामले सामने आए हैं, जिससे लोगों में डर और चिंता बढ़ी हुई है।

मध्य प्रदेश: ग्वालियर जिले के मुरार क्षेत्र में पागल कुत्ते द्वारा भैंस को काटे जाने की घटना ने न केवल ग्रामीणों में खौफ पैदा किया है, बल्कि जिले में डॉग बाइट के मामलों में तेज़ी से इज़ाफा हो रहा है। इस घटना में भैंस का दूध पीने वाले 15 लोग अस्पताल पहुंचे और सभी को एंटी रैबीज इंजेक्शन दिए गए। हालांकि, इस मामले की गंभीरता को देखते हुए स्थानीय प्रशासन की लापरवाही और अनदेखी के कारण मामले लगातार बढ़ रहे हैं, और अब यह चिंता का विषय बन गया है कि अगर जल्द ही प्रशासन ने इस पर कड़ी कार्रवाई नहीं की, तो इन घटनाओं का दायरा और भी बढ़ सकता है।
अप्रभावी प्रशासनिक प्रयास और बढ़ती घटनाएँ
ग्वालियर जिले में इस प्रकार की घटनाएं कोई नई बात नहीं हैं। पिछले कुछ महीनों में जिले के विभिन्न हिस्सों में खुलेआम घूम रहे कुत्तों के काटने की घटनाएँ लगातार सामने आई हैं। लेकिन जिला प्रशासन की ओर से इस समस्या को हल करने के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए गए हैं। खुलेआम घूम रहे पागल कुत्ते लोगों के लिए गंभीर खतरे का कारण बन रहे हैं। इन घटनाओं को रोकने के लिए कोई ठोस योजना या कार्यवाही नहीं की गई है, जिसका खामियाजा अब स्थानीय लोग भुगत रहे हैं।
ग्वालियर जिले में एक ही दिन में 400 से अधिक डॉग बाइट के मामले सामने आए हैं, जो प्रशासन की लापरवाही और इस समस्या पर ध्यान न देने का संकेत हैं। इस बढ़ती संख्या ने यह साबित कर दिया है कि अगर प्रशासन ने जल्द ही इस पर नियंत्रण नहीं पाया तो यह स्वास्थ्य संकट बन सकता है।
ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशासन की लापरवाही
मुरार के इस ताजा मामले में 15 ग्रामीणों को अस्पताल में एंटी रैबीज इंजेक्शन लगाने के लिए भेजा गया, क्योंकि भैंस का दूध पीने के कारण उन्हें कुत्ते के काटने का खतरा था। यह घटना इस बात का प्रमाण है कि प्रशासन की ओर से पर्याप्त जागरूकता नहीं फैलाई जा रही है और न ही इस बढ़ते खतरे को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। जिला प्रशासन के द्वारा कुत्तों की संख्या पर नियंत्रण और उनकी निगरानी रखने के कोई प्रभावी उपाय नहीं किए जा रहे, जिसका परिणाम यह हुआ कि अब हर दिन ऐसे मामले सामने आ रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग की स्थिति भी सवालों के घेरे में
हालांकि स्वास्थ्य विभाग ने डॉग बाइट के मामलों को लेकर एंटी रैबीज इंजेक्शन की उपलब्धता सुनिश्चित की है, लेकिन जब तक कुत्तों के काटने की घटनाओं को रोकने के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाए जाते, तब तक यह उपाय केवल अस्थायी समाधान साबित होंगे। जिला अस्पताल सहित अन्य सरकारी अस्पतालों में डॉग बाइट के मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है, लेकिन जिला प्रशासन की अनदेखी और स्वास्थ्य विभाग की धीमी कार्यप्रणाली से यह समस्या गंभीर हो सकती है। अगर प्रशासन ने इस पर ध्यान नहीं दिया, तो आने वाले समय में यह समस्या और भी जटिल हो सकती है।
निवारक उपायों की कमी
ग्वालियर जिले के प्रशासन ने अब तक इस समस्या के लिए कोई प्रभावी निवारक उपाय नहीं किए हैं। कुत्तों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए कोई ठोस योजना नहीं है, और ना ही इन कुत्तों को पकड़ने का कोई सुनियोजित अभियान चलाया गया है। खुलेआम घूमते कुत्ते न केवल रैबीज जैसी खतरनाक बीमारियों को फैला रहे हैं, बल्कि ग्रामीणों में भी डर का माहौल बना रहे हैं। इसके बावजूद जिला प्रशासन द्वारा इस गंभीर मुद्दे पर चुप्पी साधी हुई है। यदि प्रशासन ने इस पर ध्यान नहीं दिया, तो भविष्य में यह समस्या और भी जटिल हो सकती है।
पशुपालन विभाग की भूमिका पर भी सवाल
पशुपालन विभाग का भी इस मामले में बड़ा रोल है। जब कुत्ते भैंसों को काट रहे हैं और दूध पीने वाले लोगों के लिए खतरा पैदा हो रहा है, तो यह एक संकेत है कि पशुपालन विभाग भी अपनी जिम्मेदारी सही से नहीं निभा रहा है। विभाग को खुले में घूमने वाले कुत्तों की संख्या पर नियंत्रण रखने के लिए कदम उठाने चाहिए थे, लेकिन फिलहाल इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। इससे न केवल ग्रामीणों का स्वास्थ्य खतरे में है, बल्कि यह समस्या धीरे-धीरे और बढ़ सकती है।
जन जागरूकता की कमी
इसके साथ ही यह भी देखा जा रहा है कि प्रशासन ने इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए कोई जन जागरूकता अभियान नहीं चलाया है। कुत्तों के काटने से बचाव के उपायों के बारे में ग्रामीणों को जागरूक करना बेहद जरूरी है, लेकिन इस दिशा में भी प्रशासन का रवैया सुस्त रहा है। अगर लोगों को सही समय पर कुत्तों से बचने के उपायों के बारे में बताया जाता, तो शायद इस प्रकार की घटनाओं में कमी आ सकती थी।
स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की आवश्यकता
ग्वालियर जिले में डॉग बाइट के मामलों में वृद्धि हो रही है, जिसके चलते अस्पतालों में मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है। हालांकि, अस्पतालों में एंटी रैबीज इंजेक्शनों की उपलब्धता अच्छी है, लेकिन डॉक्टरों की कमी और अस्पतालों में बढ़ते मरीजों के दबाव के कारण सही समय पर इलाज मिल पाना मुश्किल हो रहा है। प्रशासन को इस समस्या पर ध्यान देते हुए स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार करना चाहिए और अस्पतालों में डॉक्टरों की संख्या बढ़ानी चाहिए ताकि इन मरीजों का बेहतर इलाज किया जा सके।
निष्कर्ष: प्रशासन को तत्काल कदम उठाने होंगे
ग्वालियर जिले में पागल कुत्तों के काटने के बढ़ते मामलों और प्रशासन की अनदेखी से यह मामला गंभीर होता जा रहा है। अगर प्रशासन ने तत्काल इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए, तो भविष्य में यह समस्या और भी जटिल हो सकती है। कुत्तों की संख्या पर नियंत्रण, अस्पतालों में सुविधाओं में सुधार और जन जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है। इसके बिना, लोग लगातार डॉग बाइट की घटनाओं का शिकार होते रहेंगे और इससे ग्वालियर जिले में एक गंभीर स्वास्थ्य संकट पैदा हो सकता है।