इंदौर लोकायुक्त ने रिश्वत लेते हुए दो आरोपियों को रंगे हाथों पकड़ा
इंदौर लोकायुक्त इकाई ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए दो आरोपियों को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा। आरोपी एक पुलिसकर्मी और दूसरा व्यक्ति रिश्वत में 50,000 रुपये लेते हुए ट्रेप किए गए।
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इंदौर: महानिदेशक लोकायुक्त श्री जयदीप प्रसाद के निर्देश पर इंदौर लोकायुक्त इकाई ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की। इस कार्रवाई के तहत इंदौर के थाना एम.आई.जी. में कार्यरत एक पुलिसकर्मी और एक अन्य व्यक्ति को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया। यह कार्यवाही आज, 1 मार्च 2025 को हुई, जब शिकायत के आधार पर ट्रेप ऑपरेशन का आयोजन किया गया।
यह मामला इंदौर के एक महिला आवेदिका श्रीमती भेघा देलवार से जुड़ा है। आवेदिका के पति बासिल मंसूरी द्वारा उनके खिलाफ थाना एम.आई.जी. में मारपीट का मामला दर्ज कराया गया था। इस मामले की विवेचना आरोपी प्रधान आरक्षक श्री अरुण शर्मा द्वारा की जा रही थी। आरोपी अरुण शर्मा ने महिला से यह वादा किया था कि वह उसके खिलाफ मामला कमजोर कर देगा और जेल में नहीं भेजेगा, लेकिन इसके बदले वह 5 लाख रुपये की रिश्वत की मांग कर रहा था।
शिकायत और सत्यापन
आवेदिका ने इस पूरी घटना की शिकायत इंदौर के पुलिस अधीक्षक श्री राजेश सहाय और लोकायुक्त कार्यालय से की। शिकायत के सत्यापन के बाद लोकायुक्त ने कार्यवाही की योजना बनाई। सत्यापन में शिकायत सही पाए जाने पर ट्रेप कार्यवाही का आयोजन किया गया।
रिश्वत की राशि और रंगे हाथ पकड़े गए आरोपी
आज, 1 मार्च 2025 को आरोपी अरुण शर्मा ने महिला के फ्लैट पर एक अन्य व्यक्ति अय्युब खॉन को भेजा, ताकि वह रिश्वत की रकम प्राप्त कर सके। अय्युब खॉन ने महिला से 50,000 रुपये की रिश्वत ली और इसे अरुण शर्मा को दे दिया। दोनों आरोपियों को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया और कार्यवाही की गई।
आरोपी और उनके खिलाफ की गई कार्यवाही
आरोपी नंबर 1, श्री अरुण शर्मा, एक कार्यवाहक प्रधान आरक्षक हैं, जिनका कार्यस्थल थाना एम.आई.जी., इंदौर है। वे आरोपी नंबर 2, अय्युब खॉन के साथ मिलकर महिला से रिश्वत की मांग कर रहे थे। दोनों आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) अधिनियम 2018 की धारा 7 और 61(2) बी.एन.एस. के तहत कार्यवाही की जा रही है।
लोकायुक्त की इस कार्रवाई से यह संदेश जाता है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाएगी और कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है। यह घटना इंदौर में भ्रष्टाचार से निपटने के लिए लोकायुक्त की कार्यप्रणाली की सफलता को भी दर्शाती है।
आवेदिका की ओर से की गई शिकायत की सराहना
लोकायुक्त की कार्रवाई से यह भी साफ होता है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जागरूकता और कड़ी निगरानी से सफलता मिल सकती है। महिला आवेदिका ने साहस दिखाते हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई और लोकायुक्त से मदद मांगी। उनकी शिकायत के बाद ही यह ट्रेप कार्यवाही संभव हो पाई, जो कि न्याय की जीत के रूप में उभरकर सामने आई।
भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकायुक्त की लगातार मुहिम
लोकायुक्त द्वारा की जा रही ऐसी कार्यवाहियाँ यह साबित करती हैं कि वे भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए सख्त कदम उठा रहे हैं। इंदौर में भ्रष्टाचार के मामलों में वृद्धि हो रही थी, लेकिन लोकायुक्त की सक्रियता ने ऐसे अपराधों पर कड़ी नकेल कसी है। आने वाले समय में भी भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए इसी प्रकार की कार्रवाइयाँ जारी रखने की उम्मीद जताई जा रही है।
भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त संदेश
लोकायुक्त का यह कदम भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त संदेश देता है। इंदौर में लोकायुक्त की सक्रियता और ईमानदारी के कारण अब जनता का विश्वास इस विभाग पर और भी बढ़ा है। इस ट्रेप ऑपरेशन से यह साबित हो गया है कि भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए किसी भी स्तर पर सख्त कार्यवाही की जा सकती है।
प्रकरण में आगे की कार्यवाही
आरोपी नंबर 1 और नंबर 2 के खिलाफ कानूनी कार्रवाई जारी है और मामले की पूरी जांच की जा रही है। उम्मीद की जा रही है कि इस कार्रवाई से अन्य लोग भी भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी आवाज उठाने में हिचकिचाएंगे नहीं और यह कदम समाज में एक सकारात्मक बदलाव लाएगा।