धुले: हाईवे 6 बना 'अवैध धंधों' का अड्डा! केमिकल-लोहे की तस्करी पर प्रशासन खामोश क्यों?
धुले के हाईवे 6 पर दहिवेल के पास केमिकल और लोहे की कालाबाजारी का खुला खेल चल रहा है। पुलिस की अनदेखी से स्थानीय लोग परेशान, रैकेट के पीछे बड़े नामों की चर्चा।

- हाईवे 6 पर ट्रकों से केमिकल और लोहे की रातभर तस्करी जारी
- दहिवेल के पास खुलेआम चल रही कालाबाजारी, पुलिस मौन
- स्थानीय लोग परेशान, कार्रवाई की उठी मांग
महाराष्ट्र: धुले जिले के साकरी तहसील में हाईवे नंबर 6 पर कालाबाजारी का खुला खेल चल रहा है। गुजरात-धुले-नागपुर हाईवे पर दहिवेल गांव के पास केमिकल और लोहे की स्टील की कालाबाजारी धड़ल्ले से हो रही है, लेकिन पुलिस प्रशासन या तो सोया हुआ है या फिर जानबूझकर आंखें मूंदे हुए है। स्थानीय लोग इस गैरकानूनी धंधे से त्रस्त हैं, और सवाल उठा रहे हैं कि आखिर इस रैकेट के पीछे कौन-कौन शामिल है और इसे किसके संरक्षण में चलाया जा रहा है?
हाईवे 6 बना कालाबाजारी का अड्डा
दहिवेल पुलिस चौकी के पास हाईवे 6 पर रात-दिन ट्रकों को रोककर हजारों लीटर केमिकल को इलेक्ट्रिक पंप से खाली किया जा रहा है। इसे बैरल में भरकर काले बाजार में बेचा जा रहा है। यही नहीं, लोहे की स्टील भी इस गोरखधंधे का हिस्सा है। कोंडायबारी घाट और दहिवेल के बीच का इलाका अवैध धंधों का गढ़ बन चुका है। ट्रक ड्राइवरों को डराया-धमकाया जाता है, और स्थानीय लोगों का जीना मुहाल हो गया है।
हाईवे के किनारे स्कूल और गांव होने के बावजूद यह गैरकानूनी कारोबार बेरोकटोक चल रहा है। रात में यात्री बसों का इंतजार करने वाले लोग इस कालाबाजारी की वजह से डर के साए में जी रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस धंधे की वजह से हाईवे पर खतरा बढ़ गया है, और कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।
पुलिस की भूमिका पर सवाल
सबसे बड़ा सवाल यह है कि पुलिस को इस कालाबाजारी की भनक तक क्यों नहीं है? या फिर जानबूझकर अनदेखी की जा रही है? स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह रैकेट बिना ऊंची पहुंच और संरक्षण के नहीं चल सकता। चर्चा है कि इस गैरकानूनी धंधे में बड़े-बड़े लोग शामिल हैं, और इसका जाल कई राज्यों तक फैला हुआ है। अगर पुलिस के आला अधिकारी गंभीरता से कार्रवाई करें, तो इस रैकेट का पर्दाफाश हो सकता है। लेकिन सवाल यह है कि क्या पुलिस के पास इतनी हिम्मत है?
स्थानीय लोगों का गुस्सा
दहिवेल और आसपास के गांवों के लोग इस कालाबाजारी से परेशान हैं। उनका कहना है कि हाईवे पर चल रहे इस गैरकानूनी धंधे की वजह से बच्चों की सुरक्षा खतरे में है। रात में हाईवे पर बसों का इंतजार करने वाले यात्रियों को डर सताता है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर पुलिस और प्रशासन कब तक चुप रहेगा? क्या आम जनता की परेशानियों का कोई मोल नहीं है?
राष्ट्रीय स्तर का रैकेट?
स्थानीय लोगों के बीच चर्चा है कि यह कालाबाजारी सिर्फ धुले तक सीमित नहीं है। केमिकल और लोहे की स्टील का यह गैरकानूनी कारोबार राष्ट्रीय स्तर पर चल रहा है। इसमें कई राज्यों के तार जुड़े हो सकते हैं। अगर पुलिस और प्रशासन इस रैकेट की जड़ तक पहुंचे, तो बड़े खुलासे हो सकते हैं। लेकिन इसके लिए इच्छाशक्ति और ईमानदारी की जरूरत है, जो फिलहाल नजर नहीं आ रही।
जिम्मेदारों को कब आएगा होश?
यह शर्मनाक है कि हाईवे 6 जैसे व्यस्त मार्ग पर खुलेआम कालाबाजारी हो रही है, और जिम्मेदार मौन साधे हुए हैं। पुलिस के आला अधिकारियों को चाहिए कि वे तुरंत इस रैकेट पर नकेल कसें। दहिवेल के लोगों की सुरक्षा और सुकून का सवाल है। अगर अब भी कार्रवाई नहीं हुई, तो यह साफ हो जाएगा कि इस गोरखधंधे को ऊपर से संरक्षण मिल रहा है।
स्थानीय लोग मांग कर रहे हैं कि पुलिस इस कालाबाजारी के खिलाफ सख्त कदम उठाए। हाईवे पर अवैध धंधों को बंद किया जाए, ताकि आम जनता को राहत मिले। यह वक्त है कि जिम्मेदार अपनी नींद से जागें और जनता के हित में काम करें।