उज्जैन में वन्यजीव तस्करी का खुलासा: 21 करोड़ की तेंदुए की खाल और सूअर के दांत बरामद

उज्जैन में डीआरआई और वन विभाग ने वन्यजीव तस्करी के बड़े मामले का पर्दाफाश किया। दो तेंदुए की खाल और जंगली सूअर के दांत बरामद, दो आरोपी गिरफ्तार। पढ़ें पूरी खबर।

उज्जैन में वन्यजीव तस्करी का खुलासा: 21 करोड़ की तेंदुए की खाल और सूअर के दांत बरामद
उज्जैन में वन्यजीव तस्करी का खुलासा

हाइलाइट्स
  • उज्जैन में वन्यजीव तस्करी का खुलासा, 21 करोड़ की तेंदुए की खाल और सूअर के दांत बरामद
  • डीआरआई और वन विभाग ने होटल से दो आरोपियों को व्हाट्सएप के जरिए की जा रही तस्करी में पकड़ा
  • दोनों आरोपी 18 मई तक रिमांड पर, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत जांच जारी

मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन, अब अपराध की दुनिया में भी चर्चा में आ रही है। हाल ही में यहां वन्यजीव तस्करी का एक बड़ा मामला सामने आया है, जिसमें दो तेंदुए की खाल और जंगली सूअर के दांत बरामद किए गए हैं। इनकी अनुमानित कीमत 21 करोड़ रुपये बताई जा रही है। इस सनसनीखेज मामले में वन विभाग और डीआरआई (राजस्व खुफिया निदेशालय) की संयुक्त कार्रवाई में दो आरोपियों को एक होटल से गिरफ्तार किया गया है। आइए, इस पूरे मामले को विस्तार से समझते हैं।

क्या है पूरा मामला?

उज्जैन में वन्यजीव तस्करी का यह मामला तब सामने आया, जब डीआरआई की नागपुर यूनिट को सूचना मिली कि दो लोग व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए तेंदुए की खाल और जंगली सूअर के दांत बेचने की कोशिश कर रहे हैं। इस सूचना के आधार पर डीआरआई ने उज्जैन के जिला वन प्रभाग के साथ मिलकर एक जाल बिछाया। टीम ने नकली ग्राहक बनकर तस्करों से संपर्क किया और उज्जैन के एक होटल में मुलाकात तय की। 

जैसे ही होटल में तेंदुए की खाल और सूअर के दांत की डील पक्की हुई, डीआरआई और वन विभाग की टीम ने तुरंत कार्रवाई की। दोनों आरोपियों को मौके पर पकड़ लिया गया। गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान शैलेंद्र व्यास (इंदौर) और किशोर जैन (उज्जैन) के रूप में हुई है। बरामद सामान की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में करीब 21 करोड़ रुपये आंकी गई है।

व्हाट्सएप बना तस्करी का जरिया

जांच में पता चला कि आरोपी व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए तस्करी का धंधा चला रहे थे। उन्होंने ग्रुप में तेंदुए की खाल और जंगली सूअर के दांत बेचने का विज्ञापन डाला था। डीआरआई को इस मैसेज की जानकारी मिली, जिसके बाद उन्होंने तुरंत एक्शन लिया। व्हाट्सएप पर बातचीत के बाद डीआरआई की टीम ने नकली खरीदार बनकर आरोपियों से डील फाइनल की और उन्हें रंगे हाथों पकड़ लिया।

कैलाश भधकरे, एसडीओ, जिला वन विभाग, ने बताया कि यह एक सुनियोजित ऑपरेशन था। डीआरआई और वन विभाग ने मिलकर इस मामले को सुलझाया। आरोपियों के खिलाफ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत कार्रवाई की जा रही है।

आरोपियों को रिमांड पर भेजा गया

गिरफ्तारी के बाद दोनों आरोपियों को उज्जैन की स्थानीय अदालत में पेश किया गया। कोर्ट ने उन्हें 18 मई तक रिमांड पर भेज दिया है। वन विभाग और डीआरआई इस मामले की गहराई से जांच कर रहे हैं। यह पता लगाया जा रहा है कि ये आरोपी कितने समय से इस धंधे में थे और इनका नेटवर्क कितना बड़ा है।

उज्जैन में बढ़ते अपराध

उज्जैन, जो अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान के लिए जाना जाता है, अब अपराध के नए रंग देख रहा है। पहले छोटे-मोटे अपराधों तक सीमित यह शहर अब वन्यजीव तस्करी जैसे संगठित अपराधों का गढ़ बनता जा रहा है। इस घटना ने स्थानीय प्रशासन और कानून व्यवस्था पर कई सवाल खड़े किए हैं।

वन्यजीव तस्करी का खतरा

तेंदुए की खाल और जंगली सूअर के दांत जैसी चीजों की तस्करी न केवल अवैध है, बल्कि यह वन्यजीवों के संरक्षण के लिए भी बड़ा खतरा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इनकी भारी मांग के कारण तस्कर इस तरह के अपराधों को अंजाम देते हैं। भारत में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 इस तरह की गतिविधियों पर सख्त सजा का प्रावधान करता है।

आगे की कार्रवाई

फिलहाल, वन विभाग इस मामले की जांच में जुटा है। यह पता लगाया जा रहा है कि तेंदुए की खाल और सूअर के दांत कहां से लाए गए और क्या इस तस्करी में कोई बड़ा गिरोह शामिल है। डीआरआई और वन विभाग की इस कार्रवाई को एक बड़ी सफलता माना जा रहा है, लेकिन यह भी सवाल उठता है कि क्या भविष्य में ऐसी घटनाओं को पूरी तरह रोका जा सकेगा?