विक्रम विश्वविद्यालय में रैगिंग: सीनियर्स ने जूनियर के कपड़े उतरवाए, पुलिस और वि.वि. ने की सख्त कार्रवाई

उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय के छात्रावास में रैगिंग का सनसनीखेज मामला। सीनियर्स ने जूनियर छात्र के कपड़े उतरवाए, नचवाया और मारपीट की। पुलिस ने FIR दर्ज की, विश्वविद्यालय ने आरोपियों को निष्कासित किया। पूरी जानकारी यहां पढ़ें।

विक्रम विश्वविद्यालय में रैगिंग: सीनियर्स ने जूनियर के कपड़े उतरवाए, पुलिस और वि.वि. ने की सख्त कार्रवाई
विक्रम विश्वविद्यालय छात्रावास में रैगिंग

हाइलाइट्स
  • सीनियर्स ने जूनियर सचिन के साथ रात 1:30 बजे रैगिंग की, कपड़े उतरवाए, मारपीट की
  • पुलिस ने FIR दर्ज की, विश्वविद्यालय ने चारों आरोपियों को निष्कासित किया
  • एसपी ने सख्त कार्रवाई और रैगिंग जागरूकता कैंप का भरोसा दिलाया

मध्य प्रदेश के उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय के शालिग्राम तोमर हॉस्टल में रैगिंग का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। रात करीब डेढ़ बजे कुछ सीनियर छात्रों ने एक जूनियर छात्र के साथ बहुत गलत व्यवहार किया। वे उसके कमरे में घुस गए, उसके कपड़े उतरवाए, उसे गानों पर नचवाया और मारपीट भी की। डर के मारे वो छात्र फौरन पुलिस स्टेशन पहुंचा और उन सीनियर्स के खिलाफ FIR दर्ज कराई। पुलिस और यूनिवर्सिटी प्रशासन ने सख्त एक्शन लेने का वादा किया है।

क्या है पूरा मामला?

उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय में इंजीनियरिंग थर्ड ईयर के छात्र सचिन देवनाथ के साथ रैगिंग का एक गंभीर मामला हुआ। सचिन ने बताया कि रात करीब डेढ़ बजे एमबीए के मुकुल उपाध्याय, स्पोर्ट्स डिपार्टमेंट के कृष्णा उदासी, कृषि विभाग के रानू गुर्जर और इंजीनियरिंग के मोईन शेख उनके कमरे में घुस आए। ये चारों सीनियर्स नशे में थे। उन्होंने सचिन के साथ बदतमीजी की, उसकी पिटाई की, कपड़े उतरवाए और गानों पर नाचने के लिए मजबूर किया। इतना ही नहीं, चारों ने मिलकर सचिन को बुरी तरह पीटा।

घटना के बाद सचिन ने तुरंत माधव नगर थाने में शिकायत दर्ज कराई। मेडिकल जांच में उनके सिर और पैर पर चोटें पाई गईं। सचिन की शिकायत के आधार पर पुलिस ने चारों आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है।

विश्वविद्यालय ने की त्वरित कार्रवाई

घटना की जानकारी मिलते ही कुलगुरु प्रो. अर्पण भारद्वाज रात में ही छात्रावास पहुंचे। विश्वविद्यालय ने बोर्ड की बैठक बुलाई और चारों आरोपी छात्रों—मुकुल उपाध्याय, कृष्णा उदासी, रानू गुर्जर और मोईन शेख—को तत्काल प्रभाव से छात्रावास और विश्वविद्यालय से निष्कासित कर दिया। विश्वविद्यालय के प्रोक्टर प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि उन्होंने पुलिस को पत्र लिखकर आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।

पुलिस की जांच और एसपी का बयान

उज्जैन के एसपी प्रदीप शर्मा ने बताया कि रैगिंग की शिकायत के बाद पुलिस ने तुरंत कार्रवाई शुरू की। पीड़ित के बयान के आधार पर FIR दर्ज की गई है। जांच में पता चला कि घटना के समय छात्रावास के सीसीटीवी कैमरे बंद थे, जिसके कारण इस पहलू की भी जांच की जा रही है। एसपी ने कहा, “हम इस मामले में सख्त से सख्त कार्रवाई करेंगे। विश्वविद्यालय प्रशासन से रैगिंग के खिलाफ जागरूकता कैंप आयोजित करने को कहा जाएगा। हम हर संभव मदद करेंगे।”

सीएसपी इस मामले की गहन जांच कर रहे हैं। साथ ही, पुलिस ने विश्वविद्यालय कैंपस का दौरा भी किया ताकि स्थिति का जायजा लिया जा सके।

छात्रों में डर का माहौल

विद्यार्थी परिषद के विश्वविद्यालय अध्यक्ष सिद्धार्थ यादव ने बताया कि सीनियर्स के इस तरह के व्यवहार से छात्रावास में डर का माहौल है। सचिन ने थाने में अपनी असुरक्षा की बात कही और तुरंत कार्रवाई की मांग की। उनकी शिकायत के बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई की, जिससे अन्य छात्रों में भी विश्वास जगा है।

रैगिंग: एक गंभीर समस्या

रैगिंग भारतीय शिक्षण संस्थानों में एक गंभीर समस्या बनी हुई है। यह न केवल छात्रों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है, बल्कि उनकी पढ़ाई और भविष्य पर भी बुरा असर डालती है। विक्रम विश्वविद्यालय की इस घटना ने एक बार फिर रैगिंग के खिलाफ सख्त कानून और जागरूकता की जरूरत को उजागर किया है। 

विश्वविद्यालय और पुलिस की जिम्मेदारी

विश्वविद्यालय प्रशासन और पुलिस की त्वरित कार्रवाई इस मामले में सराहनीय है। लेकिन यह भी जरूरी है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। सीसीटीवी कैमरों का सही ढंग से काम करना, छात्रावासों में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करना और रैगिंग के खिलाफ नियमित जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करना बेहद जरूरी है।

सख्त कार्रवाई का संदेश

विक्रम विश्वविद्यालय के छात्रावास में हुई इस रैगिंग की घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया है। विश्वविद्यालय और पुलिस की सख्त कार्रवाई से यह संदेश साफ है कि रैगिंग जैसी घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उम्मीद है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों और छात्रों के लिए सुरक्षित माहौल सुनिश्चित हो।