खंडवा सागौन तस्करी: तस्कर गैंग जंगली छिपकली के जननांगों की पूजा करते थे, पुलिस ने किया चौंकाने वाला खुलासा

मध्य प्रदेश के खंडवा में सागौन तस्करी के मामले में हैरान करने वाला खुलासा! तस्कर गैंग अवैध कटाई से पहले वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत संरक्षित जंगली छिपकली के जननांग की पूजा करते थे। जानें पूरा मामला।

खंडवा सागौन तस्करी: तस्कर गैंग जंगली छिपकली के जननांगों की पूजा करते थे, पुलिस ने किया चौंकाने वाला खुलासा
तस्कर गैंग जंगली छिपकली के जननांग की पूजा करते थे (सांकेतिक फोटो)

मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में सागौन तस्करी के एक बड़े रैकेट का पर्दाफाश हुआ है। इस तस्करी के रैकेट का खुलासा तब हुआ जब पुलिस ने तस्करों के द्वारा की जाने वाली एक बेहद विचित्र और चौंकाने वाली पूजा के बारे में जानकारी प्राप्त की। यह पूजा जंगली छिपकली के जननांग की होती थी। यह जीव वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के शेड्यूल-1 में आता है, जिसका मतलब है कि इसकी तस्करी अवैध और खतरनाक है।

सागौन तस्करी का तरीका और पूजा का रहस्य

आरोपी दीपक ने पुलिस को बताया कि तस्करी का गैंग सागौन की लकड़ी काटने से पहले जंगल में एक अजीबोगरीब पूजा करता था। इस पूजा में वे जंगली छिपकली के जननांग की पूजा करते थे। दीपक के अनुसार, यह एक धार्मिक अनुष्ठान था, जिसे तस्करी की सफलता के लिए किया जाता था। यह तस्कर अपनी तस्करी को अंजाम देने से पहले यह विश्वास करते थे कि पूजा करने से उनका काम सुगमता से पूरा होगा। इस पूजा की जानकारी दीपक ने पुलिस को दी, जिसके बाद वन विभाग ने कार्रवाई शुरू की और जंगली प्राणियों के अवयव भी जब्त किए।

गैंग के सरगना कपिल विश्नोई की गिरफ्तारी

गैंग के मुख्य सरगना कपिल विश्नोई की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने दीपक को पकड़ा। कपिल विश्नोई एक रेत कारोबारी है, जो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर हथियार लहराते हुए वीडियो पोस्ट करने के लिए भी जाना जाता था। हालांकि, कार्रवाई के डर से उसने अपना इंस्टाग्राम अकाउंट डिलीट कर दिया। पुलिस की पूछताछ में दीपक ने गैंग के अन्य सदस्यों के नाम भी बताए हैं, जिनमें बृजमोहन उर्फ बिरजू पटेल, गणेश उर्फ कुप्पा, विजय पंडित, मंगू सरदार और हरदा जिले के निवासी हरि पवार बंजारा शामिल हैं।

हरदा जिले में फैल चुका था तस्करी नेटवर्क

इस तस्करी के रैकेट का नेटवर्क हरदा जिले तक फैला हुआ था, जहां से शरद विश्नोई नामक व्यक्ति को अवैध सागौन सप्लाई किया जाता था। वन विभाग की कार्रवाई अब इस पूरे नेटवर्क को ध्वस्त करने की दिशा में बढ़ रही है। पुलिस और वन विभाग की टीमें लगातार आरोपियों और उनके नेटवर्क के अन्य सदस्यों की तलाश में जुटी हुई हैं। इस मामले में तस्करी के लिए इस्तेमाल किए गए उपकरण और अवैध सागौन के सामान को भी जब्त किया गया है।

वन विभाग की सक्रियता और कार्रवाई

खंडवा में तस्करी के रैकेट के भंडाफोड़ के बाद वन विभाग ने अपनी कार्रवाई तेज कर दी है। वनमंडल खंडवा के आंवलिया परिक्षेत्र में लगातार सर्च ऑपरेशन चलाए जा रहे हैं, और पुलिस भी इस मामले में शामिल सभी आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए काम कर रही है। दीपक की गिरफ्तारी और पूछताछ के बाद अब उम्मीद जताई जा रही है कि इस रैकेट के अन्य सदस्य भी जल्दी पकड़े जाएंगे।

तस्करी के रैकेट के बड़े असर

सागौन तस्करी जैसे अपराध वन्यजीव संरक्षण के लिए बेहद खतरनाक हैं। तस्करी के कारण जंगलों का संतुलन बिगड़ता है, और कई प्रकार के वन्यजीवों की संख्या घटती जा रही है। इस मामले में तस्करी के लिए जंगली छिपकली के अवयव का इस्तेमाल करना इस बात का संकेत है कि तस्करी के गिरोह ने किसी भी हद तक जाने का निश्चय किया था। तस्करों का यह तरीका न केवल वन्यजीवों के लिए बल्कि मानवता के लिए भी खतरे की घंटी है।

तस्करी रैकेट के खिलाफ सख्त कार्रवाई की आवश्यकता

खंडवा में सागौन तस्करी का भंडाफोड़ एक बड़ी सफलता है, जो यह दिखाता है कि वन विभाग और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई से ऐसे तस्करी के रैकेटों को तोड़ा जा सकता है। हालांकि, यह तस्करी का रैकेट बहुत बड़ा था, और इसकी जड़ें हरदा जिले तक फैली हुई थीं। अब यह देखना होगा कि वन विभाग और पुलिस किस प्रकार से इस पूरे रैकेट को खत्म करने में सफल होते हैं और इस तरह की अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए क्या कदम उठाते हैं।