ग्वालियर: नवविवाहित जोड़े ने मांगी जान की सुरक्षा, पुलिस ने दिया भरोसा
मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हिमांशी राजपूत और मनजीत सिंह ने परिवार की नाराज़गी के चलते पुलिस से सुरक्षा मांगी। कोर्ट मैरिज के बाद दोनों को जान का खतरा, पुलिस ने की कार्रवाई।

मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर के मुरार इलाके में रहने वाली एक युवती हिमांशी राजपूत और उनके पति मनजीत सिंह धानुक ने अपनी जान की सुरक्षा के लिए पुलिस अधीक्षक (एसपी) की जनसुनवाई में गुहार लगाई है। यह जोड़ा पिछले 5 साल से एक-दूसरे के संपर्क में था और हाल ही में दोनों ने शादी कर ली। लेकिन उनके इस फैसले से परिवार वाले नाराज़ हैं, जिसके चलते उन्हें अपनी जान का खतरा महसूस हो रहा है। इस मामले में पुलिस ने दोनों को सुरक्षा देने का भरोसा दिलाया है और आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है।
पांच साल का रिश्ता और शादी का फैसला
हिमांशी राजपूत और मनजीत सिंह की मुलाकात करीब 5 साल पहले हुई थी। मनजीत सिंह पेशे से केटरर हैं और खाना बनाने का ठेका लेते हैं। इन पांच सालों में दोनों के बीच गहरा रिश्ता बन गया। इसी रिश्ते को आगे बढ़ाते हुए दोनों ने 24 मार्च 2025 को दिल्ली की एक कोर्ट में शादी कर ली। शादी के दस्तावेज भी उन्होंने पुलिस को दिखाए हैं, जो इस बात का सबूत हैं कि उनकी शादी कानूनी रूप से हुई है। लेकिन इस शादी से उनके परिवार वाले खुश नहीं हैं। नवविवाहित जोड़े का कहना है कि उनके परिजन इस रिश्ते को खत्म करने की धमकी दे रहे हैं, जिसके चलते उन्हें अपनी जान की चिंता सता रही है।
पुलिस की जनसुनवाई में पहुंचा जोड़ा
अपनी सुरक्षा की मांग को लेकर हिमांशी और मनजीत सीधे ग्वालियर के एसपी ऑफिस पहुंचे। जनसुनवाई के दौरान उन्होंने अपनी पूरी कहानी पुलिस अधिकारियों को बताई। उनका कहना था कि परिवार वालों की नाराज़गी अब खतरनाक रूप ले सकती है। इस डर से उन्होंने पुलिस से मदद मांगी। पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लिया और तुरंत कार्रवाई शुरू की। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि हिमांशी की गुमशुदगी की रिपोर्ट पहले से ही मुरार थाने में दर्ज है। इस वजह से मामले को और गहराई से जांचने की जरूरत है।
पुलिस का रुख और आगे की कार्रवाई
पुलिस ने इस मामले में दोनों पक्षों को समझाने की बात कही है। अधिकारियों का कहना है कि हिमांशी बालिग हैं और कानून के मुताबिक वह अपनी मर्जी से अपने पति या माता-पिता के साथ रहने का फैसला ले सकती हैं। फिलहाल पुलिस ने इस जोड़े को मुरार थाने भेजा है, जहां दोनों पक्षों के परिजनों को बुलाकर बातचीत की जाएगी। इसके साथ ही पुलिस ने कुछ दिनों के लिए इस जोड़े को सुरक्षा देने का वादा भी किया है, ताकि उन्हें तुरंत कोई खतरा न हो।
परिवार की नाराज़गी और समाज का दबाव
यह मामला सिर्फ दो लोगों की शादी की कहानी नहीं है, बल्कि समाज में परिवार की सहमति और व्यक्तिगत आज़ादी के बीच के टकराव को भी दिखाता है। भारत में आज भी कई जगहों पर प्रेम विवाह को स्वीकार करना परिवारों के लिए मुश्किल होता है। हिमांशी और मनजीत की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। दोनों ने अपने प्यार को शादी में बदलने का फैसला तो ले लिया, लेकिन अब उन्हें अपने ही अपनों से डर लग रहा है। ऐसे में पुलिस की भूमिका बेहद अहम हो जाती है, जो न सिर्फ उनकी सुरक्षा करे, बल्कि परिवार वालों को भी समझाने की कोशिश करे।
कानूनी पहलू और जोड़े का हक
कानून के नजरिए से देखें तो हिमांशी और मनजीत की शादी पूरी तरह वैध है। दोनों बालिग हैं और उन्होंने कोर्ट में शादी की है। भारतीय संविधान हर वयस्क को अपनी पसंद से जीवनसाथी चुनने का अधिकार देता है। ऐसे में अगर परिवार वाले उनकी शादी को स्वीकार नहीं करते, तो भी कानून इस जोड़े के साथ है। पुलिस ने भी इसी आधार पर उन्हें सुरक्षा देने का फैसला लिया है। हालांकि, परिवार वालों के साथ बातचीत के बाद ही यह साफ होगा कि यह मामला सुलझता है या आगे बढ़ता है।
प्रेम और परिवार के बीच जंग
ग्वालियर के इस मामले ने एक बार फिर प्रेम विवाह और परिवार की सहमति जैसे मुद्दों को चर्चा में ला दिया है। हिमांशी और मनजीत की कहानी उन तमाम जोड़ों की कहानी है, जो अपने प्यार के लिए समाज और परिवार से लड़ते हैं। पुलिस ने इस मामले में संवेदनशीलता दिखाते हुए जोड़े की सुरक्षा का भरोसा दिया है, जो एक सकारात्मक कदम है। अब देखना यह है कि आने वाले दिनों में यह मामला किस दिशा में जाता है।