- Ujjain Ganesh Pandal में श्रद्धालु आतंकियों के पोस्टर पैरों तले रौंदकर जता रहे आक्रोश
- गुदरी के गणराज पंडाल में हाफिज सईद और पहलगाम हमलावरों की तस्वीरें लगीं प्रवेश द्वार पर
- पोस्टर पर लिखा संदेश – “तुमने धर्म पूछकर मारा, हम रौंदने से पहले धर्म नहीं पूछेंगे”
Ujjain Ganesh Pandal: गणेशोत्सव का मौका सिर्फ भगवान श्री गणेश की भक्ति तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसे समाज में संदेश देने और लोगों को जागरूक करने का भी जरिया माना जाता है। इस बार मध्य प्रदेश के उज्जैन का एक गणेश पंडाल पूरे शहर की चर्चा का केंद्र बन गया है। यहां भगवान श्री गणेश की भव्य प्रतिमा के साथ-साथ प्रवेश द्वार पर कुछ ऐसा नजारा दिख रहा है जिसने हजारों श्रद्धालुओं का ध्यान खींच लिया है।
गुदरी चौराहा क्षेत्र में लगे Ujjain Ganesh Pandal के मुख्य दरवाजे पर आतंकियों के पोस्टर चिपकाए गए हैं। श्रद्धालु पंडाल में प्रवेश करने से पहले इन पोस्टरों को जूते और चप्पलों से रौंद रहे हैं। खास बात यह है कि पोस्टर पर बड़ा संदेश लिखा है –
“तुमने धर्म पूछकर मारा था, हम पैरों तले रौंदने के पहले धर्म नहीं पूछेंगे।”
43 साल पुरानी परंपरा, इस बार अनोखी सजावट
शिप्रा नवयुवक मंडल सर्व हिंदू समाज पिछले 43 सालों से इस गणेशोत्सव का आयोजन कर रहा है। हर साल गुदरी के गणराज की विशालकाय प्रतिमा स्थापित की जाती है। इस बार भी करीब 3 किलो चांदी से भगवान का हार और चरण सजाए गए हैं। लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा पंडाल के बाहर लगाए गए उन पोस्टरों की हो रही है जिन पर आतंकी हाफिज सईद और पहलगाम हमले के गुनहगारों की तस्वीरें हैं।
जैसे ही श्रद्धालु पंडाल में पहुंचते हैं, सबसे पहले इन पोस्टरों पर कदम रखते हैं। कई लोग तो जूते और चप्पल से इन्हें रौंदकर ही अंदर प्रवेश करते हैं और फिर “जय श्री गणेश” की गूंज के साथ दर्शन करते हैं।
श्रद्धांजलि और आक्रोश का अनोखा संगम
पोस्टरों पर लिखा गया संदेश सीधे तौर पर पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए निर्दोष श्रद्धालुओं को श्रद्धांजलि है। इस हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया था। आयोजकों ने श्रद्धालुओं को यह संदेश देने की कोशिश की है कि आतंकवाद किसी धर्म का नहीं होता और निर्दोष लोगों की हत्या मानवता के खिलाफ है।
यहां पहुंचने वाले लोग साफ कह रहे हैं कि ऐसे प्रतीक हमें एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ खड़े होने की प्रेरणा देते हैं।
आयोजकों का कहना – हिंदू समाज को एकजुट करने का संदेश
संस्था से जुड़े रितेश माहेश्वरी और अर्जुन सिंह भदौरिया ने बताया कि पहले के समय में भी गणेश उत्सव का मकसद समाज में जागरूकता लाना होता था। लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने भी गणेशोत्सव को अंग्रेजों के खिलाफ जनजागृति का माध्यम बनाया था। उसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए इस बार पंडाल में आतंकियों के पोस्टर लगाए गए हैं।
उनका कहना है कि आज हिंदू समाज जातियों में बंटा हुआ है। जब तक समाज एकजुट नहीं होगा, तब तक ऐसे हमले होते रहेंगे। इसलिए ज़रूरी है कि हर वर्ग एक मंच पर आए और आतंकवाद का डटकर मुकाबला करे।
देर रात तक उमड़ रही भीड़
गणेशोत्सव के दौरान देर शाम से लेकर रात तक बड़ी संख्या में श्रद्धालु पंडाल में पहुंच रहे हैं। पोस्टर देखकर श्रद्धालुओं में गुस्सा साफ दिखाई दे रहा है। लोग बार-बार उन तस्वीरों पर पैर रखकर अपना आक्रोश जताते हैं।
एक श्रद्धालु ने कहा – “यह पोस्टर सिर्फ तस्वीर नहीं है, बल्कि यह हमारे भीतर के गुस्से की आवाज है। जब निर्दोषों को धर्म पूछकर मारा गया था, तब पूरा देश आहत हुआ था। आज यहां आकर लगता है कि हमने आतंकियों को पैरों तले रौंदकर अपना विरोध दर्ज कराया है।”
शहर में चर्चा का विषय
यह Ujjain Ganesh Pandal अब पूरे शहर की चर्चा का विषय बना हुआ है। लोग दूर-दूर से यहां सिर्फ इस अनोखी सजावट और संदेश को देखने आ रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी पंडाल की तस्वीरें तेजी से वायरल हो रही हैं।
आस्था के साथ जागरूकता
गणेश उत्सव को भक्ति और आस्था का पर्व माना जाता है। लेकिन उज्जैन के इस पंडाल ने यह साबित कर दिया है कि त्योहार सिर्फ पूजा-पाठ तक सीमित नहीं, बल्कि समाज में जागरूकता लाने का भी माध्यम हैं। आतंकियों के पोस्टर पैरों तले रौंदना सिर्फ गुस्से का इज़हार नहीं, बल्कि एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ खड़े होने का संदेश भी है।