- सीधी में गर्भवती महिला ने सड़क की मांग की, सांसद ने डिलीवरी डेट पूछ ली।
- सांसद बोले– अस्पताल में भर्ती करवा देंगे, सड़क पर कोई जवाब नहीं दिया।
- कांग्रेस ने कहा– गर्भवती महिला पार्सल है क्या, जो उठा लेंगे?
मध्य प्रदेश के सीधी जिले से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जिसने सत्ता के संवेदनहीन रवैये पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। यहां की एक गर्भवती महिला लीला साहू ने गांव में सड़क बनवाने की मांग की, लेकिन जवाब में जो कुछ सुनने को मिला, उसने सबको चौंका दिया।
क्या है पूरा मामला?
लीला साहू, जो कि सीधी जिले की रहने वाली हैं और एक सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर भी हैं, उनके इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म पर 1 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट कर सरकार से सड़क बनाने की गुहार लगाई थी। इस वीडियो में उन्होंने बताया कि गांव की हालत इतनी खराब है कि गर्भवती महिलाओं को अस्पताल तक पहुंचना किसी चुनौती से कम नहीं।
वीडियो सामने आने के बाद सांसद राजेश मिश्रा से इस संबंध में बात की, तो उन्होंने सड़क बनाने की बात को टालते हुए हैरान करने वाला जवाब दिया।
“अगर डिलीवरी की कोई संभावित तारीख है तो हम उससे एक हफ्ता पहले महिला को उठा लेंगे। जरूरत पड़ी तो एयरलिफ्ट भी करवा देंगे। हमारे पास एंबुलेंस, आशा कार्यकर्ता सब हैं।”
यानी सांसद का साफ संदेश था कि सड़क नहीं बन सकती, लेकिन गर्भवती महिला को अस्पताल में पहले ही भर्ती करवा दिया जाएगा ताकि डिलीवरी में कोई परेशानी न हो।
महिला ने जताई नाराजगी
लीला साहू ने कहा कि जब सड़क बनाने की हिम्मत नहीं थी, तो पहले ही बता देते।
“हमें झूठे वादे क्यों दिए? हम तो खुद पीएम मोदी और गडकरी जी से मिलकर सड़क बनवा लेते। जैसे किसान बारिश का इंतजार करता है, वैसे ही हम सड़क का इंतजार कर रहे हैं।”
लीला का दर्द सिर्फ उनका नहीं, बल्कि गांव के हर उस शख्स का है जो बारिश के दिनों में कीचड़ और दलदल से होकर गुजरता है।
कांग्रेस ने साधा निशाना
इस बयान पर कांग्रेस ने कड़ा हमला बोला है। पार्टी के ऑफिशियल सोशल मीडिया हैंडल से लिखा गया –
“गर्भवती महिला सड़क मांग रही है और सांसद जवाब दे रहे हैं – डिलीवरी डेट बता दो, हम उठा लेंगे! क्या गर्भवती महिला कोई पार्सल है जिसे ‘उठा’ लिया जाएगा? सांसद सड़क नहीं बना सके लेकिन ठेकेदारों की सूची पढ़ने जरूर आए हैं।”
कांग्रेस ने सवाल उठाया कि सड़क मांगना अपराध है या फिर एक नागरिक का अधिकार?
इस मामले से उठते सवाल
- क्या गांव में सड़क की मांग करना गलत है?
- क्या हर बार वादे करना और फिर निभाना जरूरी नहीं समझना नेताओं की नई आदत बन चुकी है?
- क्या सरकारें सिर्फ चुनाव के समय जागती हैं?
ग्राउंड रिपोर्टिंग से ये बात सामने आई
गांव में आज भी कच्ची सड़क है, बरसात में पूरा रास्ता कीचड़ में तब्दील हो जाता है। स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच एक चुनौती बन गई है, खासकर गर्भवती महिलाओं के लिए।