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जीआरपी भोपाल की बड़ी सफलता: गुमशुदा महिला अर्चना तिवारी नेपाल बॉर्डर से बरामद – जानें पूरी कहानी

भोपाल जीआरपी ने हाई कोर्ट की एडवोकेट और गुमशुदा महिला अर्चना तिवारी को नेपाल बॉर्डर लखीमपुर खीरी से सकुशल बरामद किया। जानिए पूरा मामला कैसे सुलझा।

On: August 20, 2025 4:16 PM
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हाइलाइट्स
  • जीआरपी भोपाल ने नेपाल बॉर्डर से गुमशुदा महिला अर्चना तिवारी को सकुशल बरामद किया
  • 2 हजार सीसीटीवी फुटेज खंगाले, नर्मदा नदी और जंगलों में सर्च ऑपरेशन चलाया गया
  • शादी के दबाव से परेशान होकर अर्चना तिवारी घर छोड़ नेपाल पहुंच गई थीं
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भोपाल जीआरपी (Government Railway Police) ने एक बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए रानी कमलापति रेलवे स्टेशन से गुम हुई महिला अर्चना तिवारी को नेपाल बॉर्डर (लखीमपुर खीरी, उत्तर प्रदेश) से सकुशल बरामद कर लिया है। इस पूरे ऑपरेशन में जीआरपी भोपाल की कई टीमों ने अथक मेहनत की और करीब दो हजार सीसीटीवी फुटेज खंगाले।

मामला कैसे शुरू हुआ?

7 अगस्त 2025 को 29 वर्षीय अर्चना तिवारी, जो कटनी निवासी और पेशे से एडवोकेट हैं, ट्रेन संख्या 18233 नर्मदा एक्सप्रेस से अपने घर जा रही थीं। वे कोच S-3 के बर्थ नंबर 03 पर यात्रा कर रही थीं। लेकिन, घर न पहुँचने पर उनके भाई अंकुश तिवारी ने अगले दिन 8 अगस्त को जीआरपी कटनी में बहन के गुमशुदा होने की रिपोर्ट दर्ज कराई।

चूंकि घटना स्थल रानी कमलापति स्टेशन के अंतर्गत आता था, इसलिए जीआरपी कटनी से डायरी मंगवाकर रानी कमलापति जीआरपी थाने में गुम इंसान क्रमांक 05/25 दर्ज कर जांच शुरू की गई।

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हाई-प्रोफाइल केस बन गया था मामला

अर्चना तिवारी कोई साधारण महिला नहीं थीं। वे हाई कोर्ट में एडवोकेट हैं और इंदौर में रहकर सिविल जज की तैयारी कर रही थीं। इस वजह से मामला संवेदनशील हो गया। पुलिस ने तुरंत जांच तेज की और रिजर्वेशन चार्ट से लेकर आसपास यात्रा कर रहे यात्रियों से पूछताछ की।

सिर्फ इतना ही नहीं, रेलवे स्टेशनों भोपाल, सीहोर, रानी कमलापति, नर्मदापुरम, इटारसी, पिपरिया, नरसिंहपुर, जबलपुर, कटनी और बिलासपुर तक करीब 2000 सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए। साथ ही नदी-नालों और जंगलों में 32 किलोमीटर तक सर्च ऑपरेशन चलाया गया।

इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस से मिली सुराग

जांच के दौरान पुलिस ने इलेक्ट्रॉनिक साधनों से संदिग्ध मोबाइल नंबर ट्रैक किए। इसी से अर्चना तिवारी का लोकेशन नेपाल बॉर्डर तक पहुँचने का पता चला।

टीम ने लगातार काम करते हुए पता लगाया कि इंदौर और शुजालपुर में रहने वाले युवकों — तेजेंद्र सिंह और सारांश — ने अर्चना की मदद की थी। पूछताछ में साफ हुआ कि दोनों ने दोस्त होने के नाते महिला को इटारसी से शुजालपुर और फिर इंदौर भेजा। इसके बाद वह हैदराबाद और फिर दिल्ली होते हुए नेपाल पहुँच गई।

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महिला ने खुद बताई गुमशुदगी की वजह

बरामदगी के बाद पूछताछ में अर्चना तिवारी ने पुलिस को बताया कि उनके घर वाले उनकी शादी के लिए दबाव बना रहे थे। खासतौर पर एक पटवारी लड़के से रिश्ता तय करने की बात कही जा रही थी। लगातार शादी का दबाव उनके लिए मानसिक तनाव का कारण बन गया।

इसी परेशानी से तंग आकर उन्होंने रक्षाबंधन के मौके पर घर जाने का नाटक किया, लेकिन ट्रेन से बीच रास्ते में उतरकर दोस्तों की मदद से अपनी लोकेशन बदल ली।

अर्चना ने साफ कहा कि –

जब तक मैं सिविल जज नहीं बन जाती, शादी नहीं करूंगी। घरवाले बार-बार शादी के लिए मजबूर कर रहे थे, जिससे मैं मानसिक रूप से परेशान हो गई।

उन्होंने यह भी बताया कि किसी ने उनके साथ कोई गलत हरकत नहीं की, बल्कि दोस्तों ने सिर्फ मदद की ताकि वे घरवालों के दबाव से बच सकें।

नेपाल में ऐसे पहुँची अर्चना

अर्चना पहले इंदौर से हैदराबाद गईं, फिर दिल्ली होते हुए नेपाल बॉर्डर धनगढ़ी पहुँच गईं। वहां से काठमांडू भी गईं और एक परिचित की मदद से होटल में रहीं। सारांश और तेजेंद्र लगातार उनसे संपर्क में थे। नेपाल में रहते समय उन्होंने एक नेपाली सिम कार्ड का इस्तेमाल किया, ताकि घरवाले या पुलिस सीधे उन तक न पहुँच सकें।

बाद में जब पुलिस ने दोस्तों के जरिए संपर्क साधा और समझाया कि परिवार बहुत परेशान है, तब अर्चना मान गईं और वापस आने को तैयार हुईं। नेपाल के लखीमपुर खीरी बॉर्डर से जीआरपी टीम ने उन्हें सकुशल दस्तयाब कर लिया।

ऑपरेशन में शामिल रही बड़ी टीम

इस मिशन को सफल बनाने में जीआरपी भोपाल की कई यूनिट्स की टीमों ने मेहनत की। इनमें निरीक्षक नजीर खान, निरीक्षक बबीता कटोरिया, निरीक्षक संजय चौकसे, उप निरीक्षक महेन्द्र सिंह सोमवंशी, सउनि विजय तिवारी, सउनि आर डी टेकाम, सउनि प्रहलाद यादव, प्रआर मनोज सिंह कुशवाह सहित दर्जनों पुलिसकर्मी शामिल रहे।

साइबर सेल ने भी अहम भूमिका निभाई, जिसकी मदद से संदिग्ध मोबाइल नंबर ट्रैक किए गए और अर्चना की लोकेशन तक पहुँचा जा सका।

जीआरपी भोपाल की सराहना

रेलवे पुलिस की इस सफलता ने एक बार फिर साबित कर दिया कि जब मामला संवेदनशील होता है तो टीमवर्क और टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से किसी भी गुमशुदा को ढूंढा जा सकता है।

पुलिस अधीक्षक रेलवे भोपाल राहुल कुमार लोढ़ा के मार्गदर्शन और एएसपी नीतू ढाबर तथा डीएसपी रामसनेह चौहान के निर्देशन में जीआरपी ने जिस तेजी और गंभीरता से काम किया, वह काबिल-ए-तारीफ है।

युवाओं के लिए सबक

अर्चना तिवारी की गुमशुदगी का मामला समाज के लिए भी एक सबक है। शादी या किसी भी सामाजिक दबाव में युवाओं को मानसिक रूप से परेशान करना कभी-कभी गंभीर हालात पैदा कर सकता है। इस मामले में जीआरपी की मेहनत और तकनीकी जांच ने एक बड़ी सफलता दिलाई और परिवार को अपनी बेटी वापस मिल गई।

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Sameer Mahajan

समीर महाजन, Fact Finding न्यू एज डिजिटल मीडिया के फाउंडर और संपादक हैं। उन्होंने प्रमुख समाचार चैनलों में संवाददाता के रूप में कार्य किया और वर्तमान में बड़े न्यूज़ नेटवर्क से जुड़े हैं। उनकी विशेषता राजनीति, अपराध, खेल, और सामाजिक मुद्दों में है। Fact Finding की स्थापना का उद्देश्य उन खबरों को उजागर करना है जो मुख्यधारा मीडिया में दब जाती हैं, ताकि सच्चाई और जवाबदेही सुनिश्चित हो सके।

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