- कांग्रेस ने Bhind Collector vs MLA विवाद पर BJP सरकार को घेरा।
- किसानों की खाद समस्या पर सियासत और संगठन की नाराज़गी।
- BJP ने कहा– किसानों को खाद की कमी नहीं होने देंगे, कार्रवाई करेंगे।
मध्य प्रदेश के भिंड में किसानों की खाद समस्या से उपजे Bhind Collector vs MLA विवाद पर अब राजनीति और गरमा गई है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इस मामले में मुख्यमंत्री मोहन सरकार को घेरते हुए कहा कि यह सरकार दिशाहीन हो चुकी है। उन्होंने आरोप लगाया कि ताजा घटनाक्रम साफ करता है कि भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी ही इस सरकार की पहचान बन गई है, जबकि जनता के असल मुद्दों पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा।
दूसरी तरफ, बीजेपी के मंत्री इस पूरे विवाद पर सफाई देते नजर आए। उनका कहना है कि किसानों को खाद की समस्या नहीं होने दी जाएगी और जो भी गड़बड़ी सामने आएगी, उसकी जांच कर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
किसानों की परेशानियां बनी विवाद की जड़
भिंड जिले में किसानों की सबसे बड़ी चिंता इस वक्त खाद की कमी है। कई गांवों में किसान लाइन में घंटों खड़े रहने के बाद भी खाली हाथ लौट रहे हैं। यह समस्या बोवनी और फसलों की ग्रोथ पर सीधा असर डाल रही है। ऐसे हालात में स्थानीय विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह कलेक्टर कार्यालय पहुंचे और प्रशासन से सवाल-जवाब किए।
विधायक का आरोप था कि गोदाम में खाद मौजूद होने के बावजूद किसानों को समय पर नहीं दी जा रही। इसी बात को लेकर उनकी कलेक्टर संजीव कुमार श्रीवास्तव से बहस हो गई और मामला तूल पकड़ गया।
विवाद क्यों बढ़ा
सूत्रों के मुताबिक, कलेक्टर ने विधायक को बताया कि असली समस्या सप्लाई चेन में है और इसकी रिपोर्ट पहले ही सरकार तक भेजी जा चुकी है। लेकिन विधायक ने इसे प्रशासनिक लापरवाही करार दिया और किसानों के साथ हो रहे अन्याय पर नाराज़गी जताई।
यह बहस देखते ही देखते मीडिया की सुर्खियां बन गई और अब यह मुद्दा प्रदेश की राजनीति में गरमागरम बहस का कारण बन चुका है।
कांग्रेस का पलटवार
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इस घटना को सरकार की नाकामी बताया। उन्होंने कहा,
“मोहन सरकार अब दिशाहीन हो चुकी है। किसानों की असल समस्याओं से सरकार का कोई लेना-देना नहीं है। ताजा मामले से साफ है कि भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी बढ़ती जा रही है और जनता की आवाज को लगातार दबाया जा रहा है।”
पटवारी के इस बयान से साफ है कि कांग्रेस इस मुद्दे को विधानसभा से लेकर सड़क तक भुनाने की तैयारी में है।
बीजेपी की सफाई
कांग्रेस के हमले के बाद बीजेपी नेताओं ने बचाव करते हुए कहा कि किसानों को खाद की समस्या नहीं होने दी जाएगी। एक मंत्री ने बयान दिया,
“किसानों को खाद की आपूर्ति जल्द से जल्द की जाएगी। अगर कहीं गड़बड़ी हुई है तो उसकी जांच कर कार्रवाई की जाएगी। सरकार किसानों के साथ खड़ी है।”
बीजेपी की यह सफाई भले ही किसानों को भरोसा दिलाने की कोशिश हो, लेकिन विपक्ष ने इसे केवल बयानबाज़ी करार दिया है।
किसान संगठनों की नाराज़गी
भिंड और आसपास के जिलों के किसान संगठन भी लगातार आवाज उठा रहे हैं। उनका कहना है कि खाद वितरण में पारदर्शिता की भारी कमी है। कुछ किसानों ने आरोप लगाया कि उन्हें ब्लैक में महंगे दामों पर खाद खरीदनी पड़ रही है।
किसान नेताओं का कहना है कि अगर स्थिति जल्द नहीं सुधरी तो आंदोलन का रास्ता अपनाया जाएगा।
राजनीतिक असर
यह विवाद केवल प्रशासनिक स्तर तक सीमित नहीं रहा। कांग्रेस और बीजेपी के आमने-सामने आने से यह अब बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है। कांग्रेस जहां इसे “कमीशनखोरी सरकार” का उदाहरण बता रही है, वहीं बीजेपी का दावा है कि विपक्ष किसानों की समस्या को राजनीति का हथियार बना रहा है।
सवाल-जवाब (Q&A सेक्शन)
❓ Bhind Collector vs MLA विवाद क्यों हुआ?
✅ विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह ने आरोप लगाया कि किसानों को खाद समय पर नहीं मिल रही, जबकि कलेक्टर का कहना था कि कमी सप्लाई स्तर पर है।
❓ कांग्रेस ने इस विवाद पर क्या कहा?
✅ प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने BJP सरकार को दिशाहीन करार देते हुए भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी का आरोप लगाया।
❓ BJP नेताओं की प्रतिक्रिया क्या रही?
✅ बीजेपी नेताओं ने कहा कि किसानों को खाद की समस्या नहीं होगी और जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।
❓ किसानों की सबसे बड़ी शिकायत क्या है?
✅ किसानों का कहना है कि उन्हें गोदाम से खाद नहीं मिल रही और मजबूरी में ब्लैक मार्केट से महंगे दामों पर खरीदना पड़ रहा है।
❓ आगे क्या हो सकता है?
✅ विपक्ष और किसान संगठनों के दबाव में प्रशासन को जल्द सप्लाई बढ़ानी होगी, नहीं तो आंदोलन तेज हो सकता है।
विवाद का अगला कदम
भिंड में किसानों की खाद की समस्या से शुरू हुआ विवाद अब कांग्रेस और बीजेपी की सीधी टकराहट बन चुका है। जहां एक ओर विधायक और कलेक्टर की बहस ने प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े किए, वहीं दूसरी तरफ जीतू पटवारी के बयान से यह मामला और गरमा गया है। बीजेपी ने सफाई दी है, लेकिन किसानों को अब भी राहत का इंतजार है। देखना होगा कि आने वाले दिनों में सरकार और प्रशासन मिलकर इस संकट का समाधान कैसे निकालते हैं।