आतिशी सिंह ने हाल ही में दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री बनने का ऐतिहासिक कदम उठाया है। अरविंद केजरीवाल की अनुपस्थिति में उन्होंने पार्टी को मजबूती से संभाला है और शिक्षा मंत्री के रूप में उनके कार्यों ने उन्हें विशेष पहचान दिलाई है। अब, पूरी दिल्ली की कमान उनके हाथ में है, जो न केवल राजनीति में बल्कि शैक्षणिक क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण बदलाव लाने की दिशा में काम कर रही हैं।
शैक्षणिक पृष्ठभूमि
आतिशी का जन्म दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर विजय कुमार सिंह और त्रिप्ता वाही के परिवार में हुआ। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा नई दिल्ली के प्रसिद्ध स्प्रिंगडेल स्कूल से ली। इसके बाद, उन्होंने सेंट स्टीफंस कॉलेज से इतिहास में अपनी डिग्री हासिल की, जहां वह दिल्ली विश्वविद्यालय में शीर्ष स्थान पर रहीं। इसके बाद, उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से मास्टर डिग्री के लिए शेवनिंग छात्रवृत्ति प्राप्त की। यहाँ उन्होंने शैक्षणिक अनुसंधान में रोड्स स्कॉलर के रूप में अपनी दूसरी मास्टर डिग्री प्राप्त की। उनकी शैक्षणिक उपलब्धियों के साथ-साथ, आतिशी एक सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं, जिन्होंने मध्य प्रदेश के एक छोटे से गाँव में सात साल बिताए, जहां उन्होंने जैविक खेती और प्रगतिशील शिक्षा पहलों में भाग लिया।
व्यक्तिगत जीवन
आतिशी के पति का नाम प्रवीण सिंह है, जो एक रिसर्चर और एजुकेटर हैं। प्रवीण सिंह आईआईटी दिल्ली और आईआईएम अहमदाबाद के पूर्व छात्र हैं। उन्होंने कॉर्पोरेट क्षेत्र में लगभग आठ साल काम किया और फिर सामाजिक सेवा के क्षेत्र में प्रवेश किया। वह अक्सर सार्वजनिक रूप से नजर नहीं आते हैं, लेकिन उनका समर्थन आतिशी के लिए महत्वपूर्ण है।
राजनीति में प्रवेश
आतिशी ने AAP की सदस्य बनने से पहले आंध्र प्रदेश के ऋषि वैली स्कूल में इतिहास और अंग्रेजी पढ़ाने का कार्य किया। AAP की स्थापना के समय से ही वह पार्टी में सक्रिय रही हैं। उन्होंने 2013 के विधानसभा चुनाव के लिए घोषणापत्र मसौदा समिति के प्रमुख सदस्य के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके कार्यों में दिल्ली के शैक्षणिक संस्थानों के पुनरुद्धार में योगदान देने के लिए जाना जाता है। उन्होंने सरकारी स्कूलों के बुनियादी ढांचे को सुधारने, शिक्षा के अधिकार अधिनियम के अनुसार स्कूल प्रबंधन समितियों की स्थापना और निजी स्कूलों द्वारा मनमानी फीस वृद्धि को रोकने के लिए सख्त नियमों को लागू करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
सक्रिय राजनीति में एंट्री
2019 के लोकसभा चुनावों में, AAP ने उन्हें पूर्वी दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र के लिए उम्मीदवार के रूप में नामित किया। हालांकि, कांग्रेस नेता अरविंदर सिंह लवली और भाजपा उम्मीदवार गौतम गंभीर के खिलाफ उन्होंने पर्याप्त वोट नहीं जुटाए और गंभीर से हार गईं। इसके बावजूद, आतिशी AAP में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं, विशेषकर अरविंद केजरीवाल की हालिया गिरफ्तारी के बाद। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने उन्हें AAP के अन्य नेताओं के साथ जुड़ने या गिरफ्तारी का सामना करने का प्रस्ताव दिया था।
वर्तमान स्थिति और भविष्य की संभावनाएँ
सीएम केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद, आतिशी ने पार्टी में अपनी स्थिति को मजबूत किया। जब केजरीवाल ने इस्तीफे की संभावना का संकेत दिया, तब अटकलें शुरू हो गईं कि आतिशी इस पद के लिए प्रमुख दावेदार बन सकती हैं। उनके नेतृत्व में, AAP ने न केवल शिक्षा के क्षेत्र में बल्कि राजनीतिक रणनीतियों में भी महत्वपूर्ण बदलाव लाने की योजना बनाई है।
शैक्षणिक सुधारों में योगदान
आतिशी को दिल्ली में सरकारी स्कूलों में सुधार के लिए उनके प्रयासों के लिए जाना जाता है। उन्होंने “खुशी” पाठ्यक्रम को शुरू करने में मदद की, जिसका उद्देश्य छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को सुधारना और उन्हें तनाव-मुक्त वातावरण प्रदान करना है। इसके अलावा, उन्होंने शैक्षणिक अधिकारों के तहत स्कूल प्रबंधन समितियों का गठन किया, जिससे माता-पिता और शिक्षकों के बीच संवाद और सहयोग बढ़ा है।
सामुदायिक सेवा
आतिशी का कार्य केवल राजनीति तक सीमित नहीं है; वह सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय रहती हैं। उन्होंने विभिन्न गैर-लाभकारी संगठनों के साथ मिलकर काम किया है, जिसमें जैविक खेती और शिक्षा को लेकर जागरूकता फैलाना शामिल है। उनका मानना है कि शिक्षा केवल पाठ्यक्रम तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह बच्चों के समग्र विकास पर केंद्रित होनी चाहिए।
आतिशी सिंह की कहानी न केवल एक महिला के राजनीतिक उत्थान की है, बल्कि यह शिक्षा, सामाजिक सेवा और सामुदायिक विकास की दिशा में उनके योगदान की भी है। उनके नेतृत्व में, दिल्ली को एक नई दिशा में ले जाने की क्षमता है। उनकी शिक्षा और अनुभव उन्हें एक मजबूत नेता बनाते हैं, और उनके कार्य निश्चित रूप से आने वाले समय में दिल्ली की राजनीति को प्रभावित करेंगे।
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