Monday, November 18, 2024
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किसान कूल सिंह को सरकारी रिकॉर्ड में मृत घोषित करने का मामला: सिस्टम की लापरवाही

बुरहानपुर के किसान कूल सिंह को राजस्व अधिकारियों की लापरवाही से सरकारी रिकॉर्ड में मृत घोषित किया गया है। जाने कैसे उन्होंने खुद को जिंदा साबित करने के लिए कलेक्टर के पास गुहार लगाई

बुरहानपुर के नेपानगर तहसील के ग्राम दवाली कला के रहने वाले एक किसान कूल सिंह को राजस्व अधिकारियों के लापरवाही के चलते सरकारी रिकॉर्ड में मृत घोषित कर दिया है किसान कूल सिंह अपने आप को जिंदा साबित करने के लिए राजस्व विभाग के चक्कर काटकर थक चुका है और अब अपने आप को जिंदा साबित करने के लिए उन्होंने कलेक्टर से गुहार लगाई है वही इस पूरे मामले पर प्रगतिशील किसान संगठन के अध्यक्ष ने भी राजस्व विभाग के अफसर की लापरवाही के चलते जिंदा किस को मृत घोषित करने पर अफसोस जताया है

जानिए जिंदा किसान के मृत होने की कहानी

दरअसल सरकारी अफसर और उनके सिस्टम की लापरवाही का नतीजा अक्सर आम लोगों को भुगतना पड़ता है और जिसके चलते उनका जीवन अस्त-व्यस्त होकर सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने में ही व्यतीत हो रहा है कई बार सरकारी रिकॉर्ड में जिंदा व्यक्ति को मृत घोषित करने के मामले मध्य प्रदेश में सामने आ चुके हैं और जिसका खामिया था भोली भाली आम जनता को भुगतना पड़ रहा है ऐसा ही एक मामला अब बुरहानपुर के नेपानगर तहसील के ग्राम दवाली कला के किसान कूल सिंह के साथ भी हुआ उन्हें सरकारी रिकॉर्ड में राजस्व अधिकारियों की लापरवाही के चलते मित्र घोषित कर दिया गया है किसान के खाते में जब किसान सम्मन निधि के पैसे नहीं पहुंचे तब वह इसकी जांच पड़ताल करने के लिए पटवारी के पास पहुंचे तब पटवारी ने कहा कि आपको केवाईसी करना होगी जब उन्होंने केवाईसी की सारी प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद किसान ने सरकारी रिकॉर्ड में अपने नाम के आगे मृत्यु मृत देखा तो उसके पैरों के नीचे की जमीन खिसक गई इसके बाद किस ने राजस्व अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर लगाए और उन्हें आवेदन भी दिया वहां से भी किसान के हाथ में निराशा हाथ लगी तब कहीं किसान ने अब कलेक्टर कार्यालय में अपने आपको जिंदा घोषित करने के लिए गुहार लगाई है

कलेक्टर से गुहार सरकारी रिकॉर्ड में करें जीवित

दवाली कला के रहने वाले किसान कूल सिंह ने बताया कि मुझे किसान सम्मन निधि की 14 किस्त प्राप्त हो चुकी है लेकिन जब पिछले कुछ समय से किसान सम्मन निधि की किस्त मुझे प्राप्त नहीं हुई तब मैंने बैंक जाकर पता किया तो वहां से पता चला कि और लोगों की किस्त तो आ रही है लेकिन मेरी ही नहीं पहुंच पा रही है इसके बाद मैने पटवारी से संपर्क किया पटवारी ने भी मुझे केवाईसी करने के लिए कहा जब केवाईसी की प्रक्रिया पूर्ण हो गई और दस्तावेज चेक किया तो मेरे नाम के आगे मृत्यु या मृत लिखा हुआ दिखाई दिया इसके बाद में राजस्व अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर काट कर परेशान हो चुका हूं मैं तो जिंदा हूं लेकिन मुझे सरकारी रिकॉर्ड में मृत घोषित कर दिया है और मैं सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट कर परेशान हो चुका हूं जिसके चलते अब में कलेक्टर कार्यालय में कलेक्टर से गुहार लगाने के लिए पहुंचा हूं ताकि मुझे जिंदा कर सरकारी योजनाओं का लाभ मिल पाए

प्रगतिशील किसान संगठन के अध्यक्ष ने जताया अफसोस

वही इस पूरे मामले पर प्रगतिशील किसान संगठन के अध्यक्ष शिवकुमार सिंह कुशवाहा में जिंदा किसान को मृत घोषित करने पर अफसोस जताते हुए कहा कि सरकारी सिस्टम और राजस्व अधिकारियों के लापरवाही के चलते आज हमारा किसान भाई जो की जिंदा अवस्था में हमारे साथ खड़ा है उसे सिस्टम और अफसर की लापरवाही की चलते मृत घोषित कर दिया है और अब हमारे जिंदा किसान भाई को सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं आज हम कलेक्टर कार्यालय पहुंचे हैं और कलेक्टर से किस को फिर से सरकारी दस्तावेजों में जिंदा करने और शासन की योजनाओं का लाभ दिलाने की गुहार लगाई है

सिस्टम की कमजोरी: अफसर की लापरवाही

सिस्टम की कमजोरी या फिर सरकारी अफसर की लापरवाही के चलते अक्सर आम लोगों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है प्रशासन को सिस्टम को इतना मजबूत करना चाहिए कि आगे चलकर फिर कोई किसान सरकारी रिकॉर्ड में मृत घोषित होकर सरकारी योजनाओं से वंचित न हो पाए फिलहाल इस पूरे मामले पर देखना यह होगा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए लापरवाह अफसर पर कार्रवाई कर फिर से किसान को जिंदा कर उसे सरकारी योजनाओं का लाभ कब तक मिल पाता है यह तो आने वाला समय ही बताएगा किसान कूल सिंह को सरकारी रिकॉर्ड में मृत घोषित करने का मामला: सिस्टम की लापरवाही
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