Impact: Fact Finding की खबर का हुआ बड़ा असर, बुरहानपुर के शाहपुर में कल पाड़वे के दिन पाड़ा टक्कर की खबर को फैक्ट फाइंडिंग द्वारा प्रमुखता से दिखाया गया था, और इससे होने वाली जनहानि से हमने पहले ही आगा किया था। कल टक्कर के दौरान मची भगदड़ के बाद जिला दंडाधिकारी आदेश पर मेले को कराया गया बंद, और आयोजकों पर शाहपुर पुलिस ने पशु क्रूरता अधिनियम के अंतर्गत नौ लोगों पर मामला दर्ज कर विवेचना में लिया है।
जानिए पूरा मामला
दरअसल कल हमने खबर के माध्यम से शासन प्रशासन को पहले ही मेले को लेकर आगा किया था ,और इसके दुष्परिणामो को लेकर एक विस्तृत खबर दिखाई थी, जिसका बड़ा असर देखने को मिल रहा है। मेले के दौरान पाड़ा टक्कर में पाड़ा इधर-उधर भागते हैं, और जिसके चलते मेले में भगदड़ मच जाती है, और कई बार मेला देखने पहुंचे लोगों को यह चोट भी पहुंचा देते हैं। जिससे कई बार कई दर्शकों को अपनी जान भी गवना पड़ी है। जिसके चलते ऐसे आयोजन ऑन पर तत्काल रोक लगना चाहिए। कल टक्कर के दौरान हुआ यू की आसपास के जिलों और पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र से भी 80000 के लगभग लोग मिला और टक्कर देखने के लिए पहुंचे थे। इस दौरान पाड़ा के भागने पर भगदड़ का वातावरण निर्मित हुआ इसके बाद जिला दंडाधिकारी ने मामला संज्ञान में लिया और आयोजन को तत्काल बंद करने के आदेश दिए। इसके बाद शाहपुर पुलिस ने भी पशु क्रूरता अधिनियम की विभिन्न धाराओं में मामला मेला आयोजन करने वाले नौ लोगों पर मामला दर्ज कर विवेचना में लिया है।
प्रशासनिक कार्रवाई
जिला दंडाधिकारी के आदेश पर, मेले को तुरंत बंद करने का निर्णय लिया गया। इसके साथ ही, शाहपुर पुलिस ने पशु क्रूरता अधिनियम के अंतर्गत नौ लोगों पर मामला दर्ज किया। यह मामला आईपीसी की निम्नलिखित धाराओं के तहत दर्ज किया गया:
- धारा 223: असामाजिक गतिविधियों के लिए सजा।
- धारा 125: सार्वजनिक व्यवस्था के लिए खतरा।
- धारा 3(5) बीएनएस: पशुओं की सुरक्षा के लिए अधिनियम।
- धारा 11(1)(घ): पशु क्रूरता अधिनियम, 1960।
इन धाराओं के तहत मामला दर्ज करने वाले व्यक्तियों में शामिल हैं:
- मनोज चौधरी (38 वर्ष) – मेला अध्यक्ष
- कन्हैया नवलखे
- दिनकर चौहान
- सुधीर महाजन
- दीपक यवले
- उमाकांत पाटिल
- गोकुल महाजन
- सुनील वानखेडे
- वासुदेव महाजन
क्या कहते हैं पशु प्रेमी
वही इस तरह के आयोजन पर पशु प्रेमियों ने भी चिंता व्यक्त कहा था कि पाड़ा टक्कर के दौरान कई बार पाड़ा की मौत भी हो चुकी है। और पाड़ा जब बीच टक्कर छोड़कर इधर-उधर भागते हैं, तो टक्कर देखने पहुंचे कई लोगों को मारते हुए और कुचलते हुए चले जाते हैं। जिसके चलते कई बार मेले में दर्शकों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है। और यह पशु क्रूरता की श्रेणी में आता है, वही इस तरह की आयोजन नहीं होना चाहिए। इसके साथ ही हाई कोर्ट के भी इस तरह के आयोजनों को लेकर सख्त निर्देश है लेकिन बावजूद इसके बुरहानपुर के शाहपुर में मेले का आयोजन किया जा रहा है। शासन प्रशासन आयोजकों के दबाव में काम कर रहा है इस तरह के आयोजनों को तत्काल बंद कर आयोजकों पर पशु क्रूरता अधिनियम के अंतर्गत मामला दर्ज होना चाहिए और भविष्य में इस तरह के आयोजन पर रोक लगना चाहिए।
पाठकों के साथ जिला प्रशासन, पुलिस का भरपूर सहयोग
बुरहानपुर के शाहपुर में पाड़ा टक्कर की घटना ने न केवल सुरक्षा के मुद्दे को उजागर किया, बल्कि यह भी साबित किया कि सही जानकारी समय पर उपलब्ध कराने की कितनी अहमियत है। फैक्ट फाइंडिंग की रिपोर्ट ने प्रशासन को जागरूक किया और न केवल मेले को तुरंत बंद करने का आदेश दिया, बल्कि आयोजकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की गई। इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया कि जागरूकता और तत्परता के माध्यम से हम न केवल जानवरों की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं, बल्कि मानव जीवन को भी बचा सकते हैं।
अब आवश्यक है कि इस प्रकार के आयोजनों पर सख्त निगरानी रखी जाए और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। मीडिया की सक्रियता और नागरिकों की जागरूकता मिलकर एक सुरक्षित और संवेदनशील समाज का निर्माण कर सकती है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जनहित में उठाए गए कदम हमेशा प्राथमिकता पर रहें।
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