बुरहानपुर में वाल्मीकि समाज के पदाधिकारियों और कर्मचारियों ने हाल ही में अपनी लंबित मांगों को लेकर नगर निगम के प्रांगण में एकत्र होकर एक घंटे तक नारेबाजी की। कर्मचारियों ने 5 महीने का वेतन, मालिकाना हक और स्वास्थ्य अधिकारी गणेश पाटिल को हटाने की मांग की। यह विरोध प्रदर्शन वाल्मीकि जयंती पर अवकाश नहीं दिए जाने के कारण आयोजित किया गया।
कर्मचारियों की शिकायतें
अखिल भारतीय सफाई मजदूर कांग्रेस ट्रेड यूनियन के प्रदेश महामंत्री कालू जंगाले ने बताया कि उनकी कई मांगें अभी भी पूरी नहीं हुई हैं, जिसके विरोध में आज उन्होंने निगम का घेराव किया। उन्होंने कहा कि पूरे भारत में वाल्मीकि जयंती के अवसर पर छुट्टी दी जाती है, लेकिन गणेश पाटिल के स्वास्थ्य विभाग का प्रभार संभालने के बाद से कर्मचारियों का शोषण किया जा रहा है।
जंगाले ने आरोप लगाया कि पाटिल कर्मचारियों को छुट्टी देने में भी कंजूसी कर रहे हैं, यहां तक कि अगर कर्मचारियों के घर में मृत्यु होती है, तब भी छुट्टी नहीं दी जाती। उन्होंने पाटिल को अपात्र बताते हुए उनके कार्य से हटाने की मांग की।
अन्य प्रमुख मांगें
कर्मचारियों ने यह भी मांग की कि विनिमित और मस्टर कर्मचारियों को महंगाई भत्ते की राशि दीपावली पर्व से पहले दी जाए। इसके अलावा, नगर निगम ने रविवार का अवकाश पहले घोषित किया था, जिसे बंद कर दिया गया है। आक्रोशित कर्मचारियों ने निगम को दो दिनों का अल्टीमेटम दिया है, यदि उनकी मांगों का समाधान नहीं किया गया, तो वे मंगलवार से उग्र आंदोलन की चेतावनी दे रहे हैं।
क्वार्टरों का मालिकाना हक
वाल्मीकि समाज के जिला मीडिया प्रभारी उमेश जंगाले ने बताया कि जिन कर्मचारियों को आजादी के समय से नगर निगम द्वारा आवंटित क्वार्टर में रह रहे हैं, उन्हें अब तक मालिकाना हक नहीं दिया गया। शासन के स्पष्ट आदेश हैं कि क्वार्टरों में निवासरत लोगों को उनके आवास का मालिकाना हक दिया जाए।
उन्होंने बताया कि पूर्व निगमायुक्त के निर्देशानुसार क्वार्टरों का सर्वेक्षण किया गया था, लेकिन वर्तमान आयुक्त इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप आवंटित क्वार्टर जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं, जिसमें किसी भी समय बड़ी घटना घट सकती है। जंगाले ने कहा कि यदि कर्मचारियों को मालिकाना हक दिया जाता है, तो इससे शासन को करोड़ों रुपयों की आय में वृद्धि होगी।
ठेका पद्धति और वेतन के मुद्दे
समाज के राजेश मेहरोलिया ने ठेका पद्धति में हो रहे भ्रष्टाचार पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि ठेकेदार कर्मचारियों को कम वेतन देकर उनका शोषण कर रहे हैं। कर्मचारियों को काम पर बुलाकर चार-चार बार बेवजह अंगूठा लगवाने का मामला सामने आया है, जिससे खासकर महिलाएं परेशान हो रही हैं।
मेहरोलिया ने बताया कि नगर पालिका निगम द्वारा पिछले पांच महीनों से कर्मचारियों को तनख्वाह नहीं दी जा रही है, जिससे लोग भुखमरी का शिकार हो रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि 1995 से आज तक सफाई कर्मचारियों को स्थाई नहीं किया गया है और न ही उनकी नई भर्ती की गई है। जबकि शासन द्वारा 421 सफाई कर्मचारियों की पद स्वीकृत है, लेकिन शहर में मात्र डेढ़ सौ कर्मचारी ही कार्य कर रहे हैं।
मांगों का समाधान
मेहरोलिया ने अधिकारियों पर आरोप लगाया कि वे सफाई कर्मचारियों की भर्ती में सौतेला व्यवहार कर रहे हैं और अन्य विभागों में भर्ती कर रहे हैं। इसके पहले भी एक हड़ताल हुई थी, जिसमें 11 सूत्रीय मांगों को पूरा करने पर महापौर, निगम अध्यक्ष और पार्षदों के साथ सहमति बनी थी। लेकिन 7 महीने बीतने के बाद भी इन मांगों को पूरा नहीं किया गया।
उन्होंने कहा कि जीपीएफ, ईपीएस, एमपीएस और नियमित कर्मचारियों की लगभग दो वर्षों से राशि काटी जा रही है, जो अब तक उनके खातों में जमा नहीं की गई है। जिन सफाई कर्मचारियों को क्वार्टर आवंटित नहीं किए गए हैं, उन्हें 5000 रुपये प्रति माह मकान भत्ता दिया जाए।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर भव्या मित्तल, सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल और डिप्टी आयुक्त ने कर्मचारियों को आश्वासन दिया है कि उनकी मांगों का समाधान जल्द ही किया जाएगा। इस दौरान आंदोलन में शामिल 200 से अधिक समाज के लोग मौजूद रहे, जिनमें हुकुम जंगाले, सुमेर मेहरोलिया, राजेश कछवाए, राजा जंगाले, मनोज करोसिया, राजू बोयत और राजेश उज्जैनवाल शामिल थे।
कर्मचारियों का यह आंदोलन बुरहानपुर में उनकी स्थिति और अधिकारों को पुनः स्थापित करने का एक महत्वपूर्ण कदम है, और इससे यह साफ है कि वे अपने हक के लिए लड़ने के लिए तैयार हैं। यदि प्रशासन ने शीघ्र कार्रवाई नहीं की, तो स्थिति और भी विकराल हो सकती है।
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