बुरहानपुर में त्योहारों के दौरान खाद्य सुरक्षा विभाग की सक्रियता एक बार फिर चर्चा का विषय बन गई है। विभाग ने जिले में विभिन्न खाद्य पदार्थों के नमूने लेकर भोपाल स्थित लोक विश्लेषक को भेजने का कार्य शुरू किया है। लेकिन यह सवाल उठता है कि क्या ये सभी कदम केवल दिखावे के लिए हैं?
खाद्य सुरक्षा विभाग ने हाल ही में मिलन मिठाई, साहू डेयरी, अमृत डेयरी, शालीमार कोल्डड्रिंक, चित्रा जलेबी, और पदम श्याम कैफे जैसे प्रतिष्ठानों से विभिन्न खाद्य पदार्थों के नमूने लिए हैं। जांच रिपोर्ट में अनियमितता पाए जाने पर अर्थदंड लगाने की बात भी कही गई है, लेकिन वास्तविकता यह है कि अब तक इस विभाग द्वारा की गई किसी भी कार्रवाई का असर दिखता नहीं है। क्या यह सब सिर्फ कागजी कार्रवाई है?
त्योहारों पर कार्रवाई की वास्तविकता
यहां पर एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि खाद्य सुरक्षा विभाग केवल त्योहारों के समय ही सक्रिय होता है। यह एक चिंता का विषय है कि विभाग की इन आकस्मिक जांचों का उद्देश्य केवल खानापूर्ति करना है। जिले में कई बार प्रतिष्ठित होटल और खाद्य विक्रेताओं द्वारा घटिया सामग्री का उपयोग किए जाने की खबरें आई हैं। यहां तक कि कुछ मामलों में समोसा और कचौरी में कीड़े और कॉकरोच भी पाए गए हैं। बावजूद इसके, विभाग ने अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है।
स्वास्थ्य पर पड़ने वाला प्रभाव
बुरहानपुर में पिछले साल डायरिया जैसी खतरनाक बीमारी फैलने की घटनाएँ भी सामने आई थीं, जिसमें कई बच्चों की जान चली गई थी। इस दौरान लगभग 250 से 300 बच्चे इस बीमारी का शिकार हुए थे। ऐसे में यह आवश्यक है कि खाद्य सुरक्षा विभाग गंभीरता से जांच करे और अगर किसी खाद्य सामग्री में मिलावट या गुणवत्ता में कमी पाई जाती है, तो संबंधित पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
आवश्यक कदम
बुरहानपुर के खाद्य सुरक्षा विभाग को चाहिए कि वह सिर्फ त्योहारों के समय में ही सक्रिय न हो, बल्कि पूरे वर्ष भर खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता पर निगरानी रखे। विभाग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी खाद्य विक्रेता मानक का पालन करें और किसी भी प्रकार की मिलावट के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं।
यदि विभाग वास्तव में स्वच्छ और स्वस्थ समाज का निर्माण करना चाहता है, तो इसे कठोर कदम उठाने होंगे। केवल दिखावे की कार्रवाई से कुछ नहीं होगा। इसके लिए आवश्यक है कि लोगों को सुरक्षित और उच्च गुणवत्ता वाले खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराए जाएं।
खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम 2006
खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम 2006 के तहत, खाद्य सुरक्षा अधिकारियों को मिलावट के मामलों में कार्रवाई करने का अधिकार है। लेकिन बुरहानपुर में ऐसा प्रतीत होता है कि इस कानून का सही ढंग से पालन नहीं किया जा रहा है। जब मिलावट के मामलों की शिकायतें आती हैं, तो विभाग केवल औपचारिकता निभाने के लिए कागजों में अपनी रिपोर्ट तैयार करता है।
खाद्य सुरक्षा अधिकारियों को निम्नलिखित अधिकार दिए गए हैं:
- नमूना लेना: अधिकारियों को खाद्य पदार्थों के नमूने लेने और उनकी जांच करने का अधिकार है।
- कार्रवाई की शक्ति: यदि नमूनों में मिलावट या गुणवत्ता में कमी पाई जाती है, तो अधिकारियों को संबंधित विक्रेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार है।
- जुर्माना और सजा: खाद्य सुरक्षा मानक का उल्लंघन करने वाले विक्रेताओं पर अर्थदंड लगाने और सजा देने का प्रावधान है।
विभाग को किस तरह से कार्य करना चाहिए
- नियमित और साप्ताहिक निरीक्षण: केवल त्योहारों के दौरान नहीं, बल्कि पूरे वर्ष भर नियमित निरीक्षण करना आवश्यक है। इससे खाद्य सुरक्षा की स्थिति में सुधार होगा।
- सशक्त शिकायत निवारण तंत्र: उपभोक्ताओं को उनकी शिकायतों के निवारण के लिए प्रभावी और सुलभ प्रणाली प्रदान करना आवश्यक है। इसके तहत शिकायतों का त्वरित निवारण सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
- सामाजिक जागरूकता अभियान: उपभोक्ताओं को खाद्य सुरक्षा मानकों के बारे में जागरूक करना आवश्यक है, ताकि वे जान सकें कि किस प्रकार की सामग्री सुरक्षित है और क्या नहीं।
- खाद्य विक्रेताओं के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम: स्थानीय खाद्य विक्रेताओं को प्रशिक्षण देने की आवश्यकता है, ताकि वे खाद्य सुरक्षा मानकों का पालन कर सकें और गुणवत्ता बनाए रख सकें।
- सख्त सजा का प्रावधान: मिलावट के मामलों में कड़ी सजा का प्रावधान होना चाहिए, ताकि विक्रेता अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से लें।
- प्रयोगशालाओं की क्षमता बढ़ाना: खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाओं में संसाधनों और तकनीकी क्षमताओं में सुधार किया जाना चाहिए, ताकि नमूनों की जांच तेजी से और सटीकता से की जा सके।
- उपभोक्ता संघों का गठन: उपभोक्ता संघों का गठन किया जाना चाहिए, ताकि उपभोक्ता अपने अधिकारों की रक्षा कर सकें और खाद्य सुरक्षा विभाग पर दबाव बना सकें।
विभाग को अपनी जिम्मेदारियां को गंभीरता से लेना चाहिए
बुरहानपुर में खाद्य सुरक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने का यह समय है। यदि हमें एक स्वस्थ समाज की दिशा में बढ़ना है, तो विभाग को अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से लेना होगा। अब समय आ गया है कि खाद्य सुरक्षा विभाग केवल कागजों में नहीं, बल्कि वास्तविकता में भी अपने कार्यों को दिखाए। लोगों की जान और स्वास्थ्य सबसे महत्वपूर्ण है, और इसके लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।
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