- नशेड़ियों और मृतकों के नाम पर फर्जी दस्तावेज बनाकर गाड़ियां फाइनेंस करने का खुलासा।
- गाड़ी बेचने के बाद दोबारा चोरी कर नए शिकार को बेचने की सनकी स्कीम।
- सस्ते में ‘सीजिंग गाड़ियां’ बेचकर लोगों को ठगने वाले गिरोह की गिरफ्तारी।
मध्य प्रदेश: उज्जैन में पुलिस को इन दिनों एक ऐसा गिरोह पकड़ में आया है, जिसकी चालाकी और बेशर्मी देखकर खुद पुलिस अधिकारियों के भी होश उड़ गए। यह गिरोह सिर्फ गाड़ियां चुराने तक ही सीमित नहीं था, बल्कि उसने तो एक पूरा “गाड़ी चोरी, फाइनेंस और री-साइकिल” का अवैध धंधा ही खड़ा कर लिया था! और इस धंधे का सबसे चौंकाने वाला पहलू था – नशे की लत के शिकार लोगों और मरे हुए व्यक्तियों के नाम और दस्तावेजों का बेहूदा इस्तेमाल!
कैसे हुआ खुलासा?
13 जुलाई 2025 को उज्जैन के ढाबा रोड इलाके में रहने वाले आवेश खान की मोटरसाइकिल चोरी हो गई। जीवाजीगंज थाना पुलिस ने जांच शुरू की और CCTV फुटेज में तीन लोग दिखे – जीशान, मोंटू रघुवंशी और इमरान। आवेश ने बताया कि ये तीनों जावेद उर्फ गोलू के जानकार थे, जिससे उसने वही मोटरसाइकिल खरीदी थी।
पुलिस को जांच में पता चला कि मोटरसाइकिल असल में जीशान के मृत पिता अनवर खान के नाम पर फर्जी तरीके से फाइनेंस करवाई गई थी, और यही से बड़े गैंग का खुलासा हुआ।
गोरखधंधा का पूरा खेल
गिरफ्तार आरोपियों – जीशान, इमरान उर्फ लालू, मोंटू रघुवंशी और जावेद उर्फ गोलू – से पूछताछ में गिरोह के काम करने का तरीका सामने आया:
- फर्जी दस्तावेजों का जाल: नशेड़ियों और मृतकों के आधार/पैन जैसे दस्तावेज सस्ते में खरीदते थे।
- फर्जी फाइनेंस: इन्हीं कागज़ात से गाड़ियों का लोन ले लेते थे।
- बेचना और फिर चोरी: गाड़ी को किसी को बेचकर बाद में खुद ही चोरी करवा लेते थे।
- फिर से बेचो: चोरी की गई गाड़ी को नए ग्राहक को दोबारा बेच देते थे।
सस्ते के चक्कर में फंसे लोग
गिरोह खासतौर पर बुलेट जैसी महंगी बाइक्स को बहुत सस्ते दामों में बेचता था। जैसे कि 2.5 लाख की बाइक को महज ₹60,000-70,000 में। लोगों को बताया जाता था कि यह ‘सीजिंग’ की हुई गाड़ियां हैं।
गिरफ्तारियां और आगे की कार्रवाई
अब तक जावेद, जीशान, इमरान और मोंटू को गिरफ्तार किया जा चुका है। पुलिस के अनुसार गिरोह ने रतलाम, नागदा, बड़नगर, बदनावर और राजस्थान तक नेटवर्क फैलाया हुआ था।
फाइनेंस कंपनियों के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत भी सामने आ सकती है। पुलिस अब दस्तावेजों की जांच और गाड़ियों की बरामदगी में जुटी है।
एसपी प्रदीप शर्मा ने कहा: “यह पहला ऐसा मामला है जिसमें नशेड़ियों और मृतकों के नाम पर फर्जी दस्तावेजों से गाड़ियों का फाइनेंस कर धंधा चलाया जा रहा था। जल्द ही सभी आरोपी गिरफ्त में होंगे।”
सीख – ऐसे मामलों से बचें
पुलिस ने जनता से अपील की है कि सस्ती दर पर मिलने वाली गाड़ियों के दस्तावेज पूरी जांच-पड़ताल के बाद ही स्वीकारें। ‘सीजिंग’ या किसी बहाने से मिलने वाली गाड़ियों में अक्सर गड़बड़ी होती है।