- दोस्त और चाचा ने मिलकर रची हत्या की साजिश
- रणधीर यादव का शव 8 टुकड़ों में रेलवे ट्रैक पर मिला
- पत्नी बबली यादव ने लगाई न्याय की गुहार
Randhir Yadav Murder Case: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में पूर्व जिला पंचायत सदस्य रणधीर यादव की हत्या ने सबको चौंका दिया है। इस मामले में पुलिस ने उनके ही एक करीबी दोस्त राम सिंह यादव को गिरफ्तार किया है, जिसके बाद पूरी वारदात की परतें खुल गईं। यह सिर्फ एक हत्या का मामला नहीं, बल्कि दोस्ती में रंजिश, विश्वासघात और बदले की एक ऐसी कहानी है, जिसने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी है। रणधीर 22 अगस्त को गायब हुए थे, और अब जाकर पता चला है कि उनकी हत्या उसी रात कर दी गई थी। उनका शव बुरी तरह से क्षत-विक्षत हालत में मिला था, जिसे पुलिस ने पहले पहचान नहीं पाई थी।
लापता होने से लेकर हत्या के खुलासे तक का पूरा घटनाक्रम
मोहम्मदपुर हथिगंहा के रहने वाले रणधीर यादव, जो पेशे से पूर्व जिला पंचायत सदस्य और भाजपा नेता भी थे, 22 अगस्त की रात को नवाबगंज बाजार में एक ढाबे पर देखे गए थे। उसके बाद उनका कोई अता-पता नहीं चला। उनकी पत्नी और मौजूदा जिला पंचायत सदस्य बबली यादव ने अगले दिन उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। जब तीन दिन तक कोई खबर नहीं मिली, तो परिवार ने 25 अगस्त को रणधीर के दोस्त राम सिंह यादव और उसके चाचा उदय यादव के खिलाफ अपहरण का मामला दर्ज करवाया।
इसी बीच, पुलिस को एक अजीबोगरीब जानकारी मिली। रणधीर की स्कॉर्पियो गाड़ी चित्रकूट के पहाड़ी इलाके में लावारिस हालत में पाई गई थी। पुलिस के लिए यह एक बड़ा सुराग था, लेकिन रणधीर का पता नहीं चल पा रहा था। पुलिस की टीमें लगातार रणधीर को चित्रकूट और आसपास के इलाकों में ढूंढ रही थीं, जबकि असली कहानी कहीं और लिखी जा चुकी थी।
शव के 8 टुकड़े मिले, पुलिस ने अनजान मानकर डिस्पोज किया
सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि जब रणधीर लापता हुए थे, उसी रात उनका शव पूरामुफ्ती रेलवे ट्रैक पर मिला था। शव इतनी बुरी हालत में था कि उसकी पहचान कर पाना मुश्किल था। पुलिस ने उस शव को अज्ञात मानकर 72 घंटों तक रखा, और जब कोई पहचान करने नहीं आया, तो उसे डिस्पोज कर दिया गया। यह एक बड़ी चूक थी, जिसकी वजह से जांच में और भी देरी हुई। रणधीर का परिवार पुलिस से उनकी तलाश की गुहार लगाता रहा, और पुलिस की टीमें चित्रकूट में खोजती रहीं, जबकि उनका शव पहले ही पुलिस के पास आ चुका था।
दोस्तों ने ही रची हत्या की साजिश
जब पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज और दूसरे सबूतों को खंगालना शुरू किया, तो उन्हें कुछ अहम सुराग मिले। पुलिस ने गुरुवार को राम सिंह यादव को भगौतीपुर चौराहे से हिरासत में लिया। उससे पूछताछ की गई तो उसने पूरी कहानी उगल दी।
राम सिंह ने बताया कि उसके चाचा उदय यादव और रणधीर यादव गहरे दोस्त थे। लेकिन धीरे-धीरे इन दोनों की दोस्ती में दरार आ गई। इसकी वजह थी रणधीर और उदय की पत्नी अंजलि यादव के बीच बढ़ती नजदीकियां। इस बात को लेकर दोनों दोस्तों के बीच काफी तनाव रहने लगा था।
बदले की आग और खूनी खेल
यह तनाव तब और बढ़ गया जब 11 जुलाई को उदय की पत्नी अंजलि की संदिग्ध हालात में मौत हो गई। उदय को शक था कि उसकी पत्नी की मौत के पीछे रणधीर का हाथ था, या कम से कम रणधीर के साथ रिश्तों की वजह से यह सब हुआ। बस यहीं से उदय के मन में बदले की आग भड़क उठी। उसने रणधीर को रास्ते से हटाने की ठान ली।
इस खूनी साजिश में उदय के साथ उसका भतीजा राम सिंह यादव, भाई विजय यादव, और नौकर सुजीत श्रीवास्तव भी शामिल थे। 22 अगस्त की रात को इन लोगों ने मिलकर रणधीर की हत्या कर दी। हत्या के बाद, उन्होंने शव को ठिकाने लगाने के लिए उसे कई टुकड़ों में काटा और फिर पूरामुफ्ती क्षेत्र में बमरौली स्टेशन के पास रेलवे ट्रैक पर फेंक दिया। ताकि कोई पहचान न कर पाए। इसके बाद, उन्होंने रणधीर की स्कॉर्पियो कार को सबूत मिटाने के लिए चित्रकूट में छोड़ दिया।
इस पूरी साजिश में उदय यादव की सास लीला यादव भी शामिल थीं, जिन्हें भी पुलिस ने उमरपुर नींवा से गिरफ्तार कर लिया है।
पुलिस की कार्रवाई और आगे की राह
पुलिस ने अब इस मामले में सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और कानूनी कार्रवाई कर रही है। यह घटना दिखाती है कि कैसे रिश्तों में आई खटास और शक, एक दोस्त को हत्यारा बना सकती है। यह मामला सिर्फ एक खबर नहीं, बल्कि समाज के लिए एक चेतावनी है कि विश्वासघात और बदले की भावना का अंजाम कितना खतरनाक हो सकता है।
इस पूरे मामले का खुलासा होने के बाद, रणधीर यादव के परिवार को थोड़ी राहत मिली होगी कि कम से कम सच्चाई सामने आ गई है, लेकिन यह सच्चाई उतनी ही दुखद है जितनी कि यह पूरी घटना।
इस घटना के बारे में आप क्या सोचते हैं? क्या आपको लगता है कि पुलिस को शुरुआती लापरवाही से बचना चाहिए था?