- चालिसगांव हाईवे पर ब्रेज़ा कार से करोड़ों की नशीली दवाएं जब्त।
- आरोपी पहले भी ड्रग तस्करी के मामले में 8 साल की सजा काट चुका है।
- पुलिस अधीक्षक महेश्वर रेड्डी ने मौके पर पहुँचकर की कार्रवाई।
महाराष्ट्र के जलगांव जिले के चालिसगांव में शुक्रवार को एक बड़ी कार्रवाई में पुलिस ने करोड़ों रुपये की नशीली दवाएं जब्त की हैं। ये दवाएं एक सफेद रंग की ब्रेज़ा कार में छिपाकर औरंगाबाद से बैंगलोर ले जाई जा रही थीं। ड्रग्स की इस खेप को पुलिस ने हाईवे पर कन्नड़ घाट के पास पकड़ा, जहां पहले से ही नाकाबंदी की गई थी।
कैसे हुआ पर्दाफाश?
हाईवे पर तैनात ट्रैफिक पुलिस टीम को एक ब्रेज़ा (DL 9C BB 7771) संदिग्ध हालत में नज़र आई। जब पुलिसकर्मी शशिकांत पाटिल ने गाड़ी रोकी और चालक से पूछताछ की, तो उसका जवाब था – “बताइए साहब, क्या चाहिए?”
चालक के इस अजीब जवाब और व्यवहार से पुलिस को शक हुआ। जब गाड़ी की तलाशी ली गई, तो उसमें भारी मात्रा में नशीली दवाएं मिलीं, जो एम्फ़ैटेमिन या केटामाइन जैसे जानलेवा पदार्थ माने जा रहे हैं।
चालक का आपराधिक इतिहास
सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि जिस शख्स को गिरफ्तार किया गया है, वह पहले भी नशीली दवाओं की तस्करी के आरोप में जेल जा चुका है। करीब 8 साल तक वह सलाखों के पीछे रह चुका है और अब दोबारा वही धंधा करते पकड़ा गया।
मौके पर पहुंचे SP, की गई घेराबंदी
जैसे ही इस बड़ी बरामदगी की सूचना मिली, पुलिस अधीक्षक महेश्वर रेड्डी खुद मौके पर पहुंचे। उनके आदेश पर पूरे इलाके की घेराबंदी की गई और पंचनामा की प्रक्रिया शुरू हुई। पंचों की मौजूदगी में कार से बरामद नशीली दवाओं की गिनती और तौल की गई।
कहां से आया ज़हर, कहां जा रहा था?
पुलिस अब इस बात की जांच कर रही है कि यह नशीला माल आखिर कहां से लाया गया था, किसके लिए था और कहां इसकी डिलीवरी दी जानी थी। शुरुआती जानकारी में सामने आया है कि यह खेप औरंगाबाद से होते हुए बैंगलोर जा रही थी। ऐसे मामलों में दक्षिण भारत एक बड़ा मार्केट माना जाता है।
जनप्रतिनिधि ने की कार्रवाई की सराहना
स्थानीय विधायक मंगेश चव्हाण और SP महेश्वर रेड्डी ने टीम को इस शानदार काम के लिए बधाई दी है। उन्होंने कहा कि समय पर कार्रवाई नहीं होती तो ये ज़हर न जाने कितने युवाओं की ज़िंदगी तबाह कर देता।
अब आगे क्या?
फिलहाल आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है और उससे पूछताछ जारी है। पुलिस यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या यह कोई बड़ा गिरोह है, जो महाराष्ट्र से लेकर कर्नाटक तक फैला है।
सख्त निगरानी ही है बचाव का रास्ता
इस कार्रवाई ने एक बार फिर साबित कर दिया कि पुलिस चौकसी से कितने बड़े अपराध रोके जा सकते हैं। नशीली दवाओं का कारोबार समाज को दीमक की तरह खा रहा है और ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई ही इसका एकमात्र समाधान है।