गणेश विसर्जन के बाद हरदा के खिरकिया में 26 वर्षीय युवक रोहित ठाकुर की हत्या ने शहर में तूफान ला दिया है। इस घटना के बाद पीड़ित परिवार और नगरवासियों ने मिलकर शुक्रवार को छीपाबड़ थाना परिसर में 2 घंटे तक धरना दिया। उनका मुख्य उद्देश्य पुलिस की कार्यशैली के प्रति अपने आक्रोश को व्यक्त करना था।
रोहित ठाकुर की हत्या की पृष्ठभूमि
रविवार और सोमवार की मध्य रात्रि को वंदना चौक पर रोहित ठाकुर पर जानलेवा हमला किया गया। जब यह घटना हुई, तो हमलावर खुद को थाने में फरियादी बनाकर पेश कर रहे थे और रोहित तथा अन्य लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करा रहे थे। यह घटना न केवल रोहित के परिवार के लिए बल्कि पूरे नगर के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन गई है।
अस्पताल में हुई मारपीट
हादसे के एक घंटे बाद रोहित को उसके परिजन सरकारी अस्पताल लेकर पहुंचे, जहाँ आरोपियों ने फिर से वहां पहुंचकर परिजनों के साथ बुरी तरह मारपीट की। इस नज़ारे को देखकर डॉक्टर और नर्स भी भयभीत हो गए। यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि न केवल पुलिस, बल्कि स्वास्थ्य विभाग की सुरक्षा भी सवालों के घेरे में है।
नागरिकों का आक्रोश
धरना प्रदर्शन के दौरान नगरवासियों ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि जब भी किसी झगड़े के आरोपी को अस्पताल में लाया जाता है, तो डॉक्टरों द्वारा पुलिस को सूचित किया जाता है। लेकिन इस बार ऐसा क्यों नहीं हुआ? लोग जानना चाहते हैं कि घटना के बाद पुलिस मौके पर क्यों नहीं पहुंची।
चक्का जाम का निर्णय
धरना प्रदर्शन के बाद, जब नगरवासियों को अधिकारियों द्वारा दिए गए आश्वासन से संतोष नहीं मिला, तो उन्होंने शाम 5:00 बजे से छीपाबड़ महाराणा चौक पर चक्का जाम शुरू कर दिया। उनका मुख्य लक्ष्य यह सुनिश्चित करना था कि पुलिस तुरंत कार्रवाई करे और आरोपियों के खिलाफ उचित कदम उठाए।
नागरिकों की मांगें
चक्का जाम कर रहे प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि:
- आरोपियों की शिकायत को तुरंत खारिज किया जाए।
- जिन पुलिस अधिकारियों ने आरोपियों की एफआईआर दर्ज की है, उन्हें निलंबित किया जाए।
- पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर आएं और मामले की गंभीरता को समझें।
स्थानीय प्रशासन की प्रतिक्रिया
स्थानीय प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और घटनास्थल पर पुलिस बल तैनात किया है। अधिकारियों का कहना है कि वे मामले की जांच कर रहे हैं और जल्द ही उचित कार्रवाई की जाएगी।
हरदा में हुई यह घटना न केवल एक हत्या का मामला है, बल्कि यह पुलिस और स्वास्थ्य सेवाओं की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़ा करती है। नगरवासियों का यह आक्रोश इस बात का संकेत है कि स्थानीय प्रशासन को अधिक सतर्क रहना होगा और नागरिकों के विश्वास को पुनः स्थापित करना होगा। आगे देखना यह है कि क्या प्रशासन इन मांगों पर ध्यान देगा और दोषियों को सजा दिलाएगा या यह मामला ऐसे ही दबा रहेगा।
हरदा के नागरिकों की इस लड़ाई को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उन्हें न्याय की आवश्यकता है, और इसके लिए वे आगे भी संघर्ष करने के लिए तैयार हैं।
( इनपुट शंकर सिंह सोलंकी )
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