- इंदौर वन विभाग भ्रष्टाचार केस SDO के.के. निनामा पर लोकायुक्त की कार्रवाई
- जांच में 27.86 लाख की अनियमितता, गड्ढे कम खोदे गए, गंभीर लापरवाही उजागर
- कम्पेल रेंज में अवैध कटाई बढ़ी, जिम्मेदार अफसर चिन्हित, कानूनी जांच शुरू
मध्य प्रदेश: Indore Forest Department Corruption का एक बड़ा मामला सामने आया है। लोकायुक्त इंदौर ने एसडीओ (वन) के.के. निनामा और कम्पेल रेंज के अफसरों के खिलाफ भ्रष्टाचार का केस दर्ज किया है। आरोप है कि विभाग की लापरवाही और गड़बड़ी के चलते न सिर्फ अवैध कटाई बढ़ी बल्कि करोड़ों रुपये का नुकसान भी सरकार को हुआ।
शिकायत से शुरू हुई कार्रवाई
इस पूरे मामले की शुरुआत तब हुई जब शिकायतकर्ता शंकर नाईक ने एसडीओ निनामा के खिलाफ लोकायुक्त कार्यालय, इंदौर में आवेदन दिया। शिकायत में आरोप लगाया गया कि वन क्षेत्र में हो रही भारी अवैध कटाई को रोकने के बजाय अफसर चुप्पी साधे रहे और कोई वैधानिक कार्यवाही नहीं की।
शिकायत लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक के पास पहुंची तो जांच अधिकारी ने इसकी संपूर्ण पड़ताल की।
जांच में चौंकाने वाले खुलासे
लोकायुक्त की जांच रिपोर्ट ने वन विभाग की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए। रिपोर्ट में बताया गया कि इंदौर के ग्राम कम्पेल के कक्ष क्रमांक 227 में क्षतिपूर्ति वृक्षारोपण कार्यों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गई।
- स्वीकृत निविदा के अनुसार जहां मजबूत सिमेंट पोल और चैनलिंग वायर लगना चाहिए थे, वहां घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया।
- वृक्षारोपण स्थल की गुणवत्ता, मिट्टी और टोपोग्राफी का ध्यान नहीं रखा गया, जिससे पौधों की बढ़त प्रभावित हुई।
- रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि कुल 9206 गड्ढे कम खोदे गए, जबकि प्रोजेक्ट रिपोर्ट के अनुसार यह काम पूरा होना चाहिए था।
इन अनियमितताओं की वजह से सरकार को करीब 27,86,454 रुपये का अधिक व्यय उठाना पड़ा।
अफसरों पर गिरी गाज
जांच अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में साफ लिखा कि इन गड़बड़ियों के लिए एसडीओ के.के. निनामा और उस समय के कम्पेल रेंज सहायक प्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार हैं।
लोकायुक्त ने इनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण संशोधन अधिनियम 2018 की धारा 13 (1) ए, 13(2) और भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी के तहत केस दर्ज कर लिया है।
अवैध कटाई का भी आरोप
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि जब अफसरों की निगरानी कमजोर पड़ी तो वन क्षेत्र में अवैध कटाई तेज हो गई। आसपास के इलाकों में पेड़ों की धड़ल्ले से कटाई हुई और विभाग इस पर आंख मूंदे बैठा रहा।
क्या है अगला कदम?
लोकायुक्त की कार्रवाई के बाद अब मामला गंभीर हो गया है। एसडीओ और अन्य अफसरों के खिलाफ अनुसंधान (इन्वेस्टिगेशन) शुरू कर दिया गया है। अगर आरोप साबित होते हैं तो इनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्यवाही हो सकती है।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
ग्राम कम्पेल और आसपास के ग्रामीणों का कहना है कि पिछले कई सालों से पौधारोपण का काम कागजों पर ज्यादा और जमीन पर कम नजर आता है। गड्ढे खोदने से लेकर पौधों की देखभाल तक में खानापूर्ति होती रही है।
लोगों का मानना है कि लोकायुक्त की कार्रवाई से सच्चाई सामने आएगी और जिम्मेदार अफसरों को सजा मिलेगी।
क्यों अहम है यह केस?
वन विभाग पर भ्रष्टाचार के आरोप कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस मामले की खासियत यह है कि यहां करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी काम अधूरा रहा और सरकारी धन का दुरुपयोग हुआ। साथ ही, वन क्षेत्र की सुरक्षा दांव पर लग गई।
भ्रष्टाचार पर कड़ी कार्रवाई की मिसाल
Indore Forest Department Corruption केस ने साफ कर दिया है कि सिस्टम की लापरवाही और भ्रष्टाचार की वजह से पर्यावरण और सरकारी खजाने दोनों को नुकसान हो रहा है। लोकायुक्त की कार्रवाई अब एक मिसाल बनेगी कि चाहे पद कितना भी बड़ा क्यों न हो, गड़बड़ी सामने आने पर कार्रवाई तय है।