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Gwalior Nasha Mukti Kendra बन रहे यातना घर, मौतों के बाद प्रशासन सख्त

ग्वालियर में नशा छुड़ाने के नाम पर चल रहे Nasha Mukti Kendra अब यातना घर बनते जा रहे हैं। हाल ही में दो मौतों के बाद प्रशासन ने अवैध केंद्रों पर शिकंजा कसना शुरू किया है।

On: August 26, 2025 9:25 AM
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हाइलाइट्स
  • ग्वालियर में अवैध Nasha Mukti Kendra मौत के अड्डे बनते जा रहे हैं
  • बैंक अधिकारी और कॉन्स्टेबल की पिटाई से मौत, प्रशासन में मचा हड़कंप
  • सिर्फ दो केंद्र ही रजिस्टर्ड, बाकी बिना अनुमति लोगों की जान से खिलवाड़
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मध्य प्रदेश के ग्वालियर में नशा मुक्ति केंद्र (Gwalior Nasha Mukti Kendra) इस वक्त सुर्खियों में हैं। नशा छुड़ाने के नाम पर जहां मरीजों को सहारा और देखभाल मिलनी चाहिए, वहीं अब इन केंद्रों से मौत की खबरें आने लगी हैं। बीते कुछ दिनों में दो लोगों की संदिग्ध मौत ने पूरे शहर में हड़कंप मचा दिया है। प्रशासन अब इन केंद्रों की जांच में जुट गया है और सवाल उठ रहा है कि आखिर नशा छुड़ाने की जगह लोग अपनी जान क्यों गंवा रहे हैं?

पहली घटना: बैंक अधिकारी की मौत से खुला राज़

हाल ही में ग्वालियर के महाराजपुरा इलाके की मिनी गोल्डन सोसायटी में चल रहे “संस्कार नशा मुक्ति केंद्र” से एक दर्दनाक खबर आई। यहां बैंक अधिकारी पंकज शर्मा की मौत हो गई। परिजनों और पुलिस जांच में सामने आया कि पंकज को बुरी तरह पीटा गया था। खास बात यह भी है कि यह नशा मुक्ति केंद्र बिना अनुमति के अवैध रूप से चल रहा था।

पुलिस ने इस मामले में पांच आरोपियों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज किया और गिरफ्तार भी किया। इसके बाद ग्वालियर के ज्यादातर नशा मुक्ति केंद्रों पर सवाल खड़े हो गए हैं।

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दूसरी घटना: कॉन्स्टेबल की संदिग्ध मौत

इस हत्याकांड के कुछ ही दिन बाद बिजौली थाना क्षेत्र के “मंथन नशा मुक्ति केंद्र” से एक और दर्दनाक खबर आई। यहां भिंड निवासी और मंदसौर में पोस्टेड कॉन्स्टेबल अजय भदौरिया की मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि केंद्र के कर्मचारियों ने अजय को बुरी तरह पीटा, जिससे उसकी जान चली गई।

अजय शराब की लत से जूझ रहा था और परिवार वालों ने उम्मीद में उसे नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती कराया था। लेकिन उन्हें क्या पता था कि इलाज की जगह यहां हिंसा का खेल चल रहा है।

जब मौत हुई तो केंद्र के संचालकों ने शव का पोस्टमार्टम कराने से भी इनकार कर दिया। लेकिन पुलिस के दखल के बाद पोस्टमार्टम हुआ, जिसमें पूरे शरीर पर चोटों के निशान मिले। रिपोर्ट में साफ हुआ कि अजय की मौत पिटाई से ही हुई है।

प्रशासन हरकत में, जांच शुरू

लगातार हो रही मौतों के बाद ग्वालियर प्रशासन भी अब सख्त हो गया है। कलेक्टर रुचिका सिंह चौहान ने इसे गंभीरता से लेते हुए जांच दल बनाया है। इस दल में एसडीएम, पुलिस और नगर निगम के अफसर शामिल किए गए हैं।

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जांच दल शहर में चल रहे सभी नशा मुक्ति केंद्रों की लिस्ट तैयार कर रहा है और महीने के आखिर तक अपनी रिपोर्ट देगा।

कितने नशा मुक्ति केंद्र रजिस्टर्ड हैं?

सामाजिक न्याय विभाग के रिकॉर्ड के मुताबिक, ग्वालियर में फिलहाल सिर्फ दो नशा मुक्ति केंद्र ही रजिस्टर्ड हैंरमन और अहिंसा संस्थान। ये भी सिर्फ परामर्श और प्रचार-प्रसार के लिए पंजीकृत हैं।

इसके अलावा करीब 10 से ज्यादा संस्थाएं ऐसी हैं, जिन्होंने अब तक अपने डॉक्यूमेंट तक विभाग में जमा नहीं किए हैं। इसका मतलब साफ है कि ये अवैध रूप से चल रही हैं और लोगों की जान से खिलवाड़ कर रही हैं।

सीएमएचओ डॉक्टर सचिन श्रीवास्तव का कहना है कि उनके पास नशा मुक्ति केंद्रों से जुड़े कोई पक्के आंकड़े नहीं हैं। उन्होंने साफ कहा कि इसकी सही जानकारी तो भोपाल की मेंटल हेल्थ सोसायटी से ही मिल पाएगी।

पहले भी उठ चुके हैं सवाल

यह पहली बार नहीं है जब ग्वालियर के नशा मुक्ति केंद्रों पर गंभीर आरोप लगे हों। पहले भी मारपीट और प्रताड़ना की शिकायतें सामने आती रही हैं। कई बार मरीजों की हालत इतनी बिगड़ गई कि उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा। लेकिन इस बार हालात अलग हैं क्योंकि अब मौतें हो रही हैं।

परिजनों का दर्द और सवाल

दोनों घटनाओं के बाद मृतकों के परिजनों का दर्द साफ झलकता है। उनका कहना है कि वह नशे की बुरी आदत से छुटकारा दिलाने के लिए अपने बेटों, भाइयों या रिश्तेदारों को यहां भेजते हैं, लेकिन नशा छुड़ाने के बजाय उन्हें मार डाला जा रहा है।

परिजन यह भी आरोप लगाते हैं कि इन केंद्रों में न कोई डॉक्टरी सुविधा है, न ही कोई निगरानी। मरीजों को बंधक बनाकर रखा जाता है और छोटी-छोटी बात पर पिटाई की जाती है।

बड़ा सवाल: नशा मुक्ति या मौत का अड्डा?

ग्वालियर में नशा मुक्ति केंद्रों का हाल देखकर यही सवाल उठ रहा है कि ये केंद्र नशा छुड़ाते हैं या लोगों की जान लेते हैं? जिन संस्थाओं को देखभाल और सहारा देने की जिम्मेदारी है, वही लोग हिंसा और अवैध तरीके से पैसा कमा रहे हैं।

प्रशासन पर बढ़ा दबाव

दो मौतों के बाद अब ग्वालियर प्रशासन पर दबाव है कि वह सख्त कार्रवाई करे। लोग मांग कर रहे हैं कि अवैध नशा मुक्ति केंद्रों को तुरंत बंद किया जाए और जिम्मेदार लोगों पर कड़ी कार्रवाई हो।

कब लगेगी लगाम?

ग्वालियर (Gwalior Nasha Mukti Kendra) की ये घटनाएं समाज के लिए चेतावनी हैं। नशा छुड़ाने के नाम पर चल रहे केंद्र अगर मौत का कारण बन रहे हैं तो यह पूरे सिस्टम की नाकामी है। जरूरत है कि प्रशासन सख्ती से ऐसे केंद्रों पर शिकंजा कसे और परिजनों को भरोसा दिलाए कि नशा मुक्ति केंद्र सच में इलाज और सुधार के लिए हैं, न कि किसी की जिंदगी बर्बाद करने के लिए।

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