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यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा: ISI कनेक्शन, पहलगाम हमला और पाकिस्तान यात्रा – सच या साजिश?

यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा की गिरफ्तारी ने पहलगाम हमले और ISI जासूसी के सवालों को और गहरा दिया। क्या वह साजिश का हिस्सा थीं या महज इत्तेफाक? पढ़िए पूरी कहानी।

On: July 30, 2025 10:29 PM
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हाइलाइट्स
  • ज्योति मल्होत्रा की संदिग्ध पहलगाम यात्रा और पाकिस्तान दौरे ने हमले से कनेक्शन के सवाल खड़े किए
  • ISI से कथित संपर्क और दानिश-मरियम नवाज से मुलाकात ने जासूसी के आरोपों को हवा दी
  • 17 मई 2025 को गिरफ्तारी के बाद देशद्रोह और गोपनीयता उल्लंघन के तहत जांच जारी है
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जनवरी का महीना, जब कश्मीर का पहलगाम बर्फ की चादर से ढका होता है और सैलानी वहां कम ही नजर आते हैं। लेकिन उस वक्त एक महिला यूट्यूबर, ज्योति मल्होत्रा, वहां मौजूद थी। फिर मार्च में वह पाकिस्तान चली गई और अप्रैल में पहलगाम में एक खतरनाक आतंकी हमला हो गया। क्या यह सब बस एक संयोग था या इसके पीछे कोई बड़ी साजिश छिपी थी? आइए, इस कहानी को थोड़ा करीब से देखते हैं और समझते हैं कि आखिर माजरा क्या है।

पहलगाम की ठंडी यात्रा और फिर हमला: टाइमिंग पर सवाल

सर्दियों में पहलगाम जाना कोई आम बात नहीं है। ज्यादातर लोग गर्मियों में ही वहां घूमने जाते हैं। लेकिन ज्योति मल्होत्रा जनवरी में वहां थी। इसके दो महीने बाद, मार्च में, वह पाकिस्तान पहुंची। और फिर अप्रैल में पहलगाम में एक ऐसा हमला हुआ, जिसने सबको हिलाकर रख दिया। इस टाइमलाइन को देखकर मन में सवाल उठता है—क्या ज्योति का वहां होना महज इत्तेफाक था? या फिर वह किसी बड़ी योजना का हिस्सा थी? सर्दियों में पहलगाम की उस यात्रा का मकसद क्या था? यह सवाल अब भी हवा में लटका हुआ है।

दो साल में तीन बार पाकिस्तान: कैसे मुमकिन हुआ?

अब बात करते हैं ज्योति की पाकिस्तान यात्राओं की। एक साधारण इन्फ्लुएंसर के लिए दो साल में तीन बार पाकिस्तान का वीजा हासिल करना कोई छोटी बात नहीं है। पहली बार शायद कोई कहे कि वह घूमने गई, लेकिन दूसरी और तीसरी बार? यह थोड़ा अजीब नहीं लगता? आमतौर पर भारत से लोग पाकिस्तान जाने की इतनी जल्दी नहीं दिखाते। ज्योति ने अपने यूट्यूब चैनल पर इन यात्राओं के वीडियो भी डाले, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह सब सिर्फ कंटेंट बनाने के लिए था? या फिर इसके पीछे कुछ और छिपा था?

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मरियम नवाज और दानिश से दोस्ती: संयोग या सेटिंग?

ज्योति की पाकिस्तान में कुछ बड़े लोगों से मुलाकात भी इस मामले को और रहस्यमय बनाती है। वहां उसकी मुलाकात मरियम नवाज से हुई, जो पाकिस्तान की एक बड़ी सियासी शख्सियत हैं। इसके अलावा, ज्योति की दोस्ती एक पाकिस्तानी अधिकारी दानिश से भी थी। दानिश को बाद में भारत सरकार ने जासूसी के आरोप में देश से निकाल दिया था। अब सोचिए, एक साधारण यूट्यूबर इन बड़े लोगों से कैसे मिल लेती है? क्या यह सब बस इत्तेफाक था, या फिर इसके पीछे कोई प्लानिंग थी?

ISI का शकीर और “जाट रंधावा”: छिपाने की कोशिश?

इस कहानी में सबसे बड़ा ट्विस्ट तब आया, जब पता चला कि ज्योति ने अपने फोन में ISI के एक अधिकारी शकीर का नंबर “जाट रंधावा” के नाम से सेव किया था। यह बात साफ दिखाती है कि वह अपने कॉन्टैक्ट्स को छिपाने की कोशिश कर रही थी। ऐसा क्यों? अगर उसका इरादा साफ था, तो नंबर को फर्जी नाम से बचाने की क्या जरूरत थी? यह सवाल सीधे उसकी मंशा पर उंगली उठाता है। क्या वह सच में ISI से जुड़ी थी? और अगर हां, तो क्या पहलगाम हमले में उसकी कोई भूमिका थी?

ज्योति पर लगे गंभीर आरोप और कानूनी स्टेटस

इस रहस्य में एक नया मोड़ तब आया, जब 17 मई 2025 को हरियाणा के हिसार में पुलिस ने ज्योति मल्होत्रा को गिरफ्तार किया। उन पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के लिए जासूसी करने का आरोप लगा है। अगले दिन, 18 मई को, उन्हें हिसार की अदालत में पेश किया गया, जहां उन्हें पांच दिन की पुलिस रिमांड में भेज दिया गया। ज्योति पर लगे आरोप बेहद गंभीर हैं:

  • ISI के लिए जासूसी: उन पर आरोप है कि वह ISI के अधिकारियों के संपर्क में थीं और भारत की संवेदनशील सैन्य जानकारी साझा कर रही थीं।
  • देशद्रोह: उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (BNS) की धारा 152 (देशद्रोह) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
  • गोपनीयता उल्लंघन: आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम, 1923 की धारा 3, 4, और 5 के तहत भी उन पर केस चल रहा है।

पुलिस का कहना है कि जांच में उनके ISI कनेक्शन और संदिग्ध गतिविधियों के सबूत मिले हैं। हालांकि, अभी तक पहलगाम हमले से उनका सीधा संबंध साबित नहीं हुआ है। कल, 18 मई 2025 को, वह पुलिस हिरासत में हैं, और जांच जारी है।

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आखिर सच क्या है?

ज्योति मल्होत्रा का यह पूरा मामला सवालों से भरा हुआ है। उनकी पहलगाम की सर्दियों वाली यात्रा, बार-बार पाकिस्तान जाना, बड़े लोगों से मुलाकात, ISI से कथित कनेक्शन, और अब उन पर लगे गंभीर आरोप—यह सब मिलकर एक बड़ी तस्वीर बनाते हैं। लेकिन यह तस्वीर अभी पूरी तरह साफ नहीं है। क्या वह वाकई एक जासूस थी, जो पहलगाम की खूनी साजिश का हिस्सा बनी? या फिर वह सिर्फ गलत वक्त पर गलत जगह मौजूद थी? क्या उनकी गिरफ्तारी से पहलगाम हमले का रहस्य सुलझ जाएगा, या यह कहानी और उलझेगी? सच जो भी हो, जांच पूरी होने पर ही पता चलेगा कि ज्योति की असली मंशा क्या थी और क्या वह वास्तव में इस साजिश का हिस्सा थीं। तब तक, यह सवाल अनसुलझे ही रहेंगे।

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