बुरहानपुर में कलेक्टर सुश्री भव्या मित्तल के मार्गदर्शन में आज एक महत्वपूर्ण प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य सोयाबीन उपार्जन की प्रक्रिया को समझाना और किसानों को सही दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करना था। यह कार्यशाला कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में आयोजित की गई, जिसमें विभिन्न समिति प्रबंधक, ऑपरेटर, और सर्वेयर सहित जिला स्तरीय उपार्जन समितियों के सदस्य उपस्थित रहे।
प्रशिक्षण का संचालन नेशनल को-ऑपरेटिव कन्जूमर फेडरेशन (एन.सी.सी.एफ) भोपाल द्वारा किया गया, जिसमें कलस्टर हेड श्री धरमवीर सिंह ने उपस्थित सदस्यों को सोयाबीन खरीदी की प्रक्रिया और एफएक्यू मानकों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। इस कार्यशाला में चर्चा की गई कि कैसे किसान अपनी उपज का सही तरीके से उपार्जन कर सकते हैं और इसके लिए किन-किन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है।
एफएक्यू मानक क्या है?
एफएक्यू का अर्थ है “फेयर क्वालिटी”। यह एक मानक है जिसका उपयोग किसानों द्वारा लाई गई सोयाबीन की गुणवत्ता का मूल्यांकन करने के लिए किया जाता है। प्रशिक्षण में बताया गया कि किसान द्वारा लाई गई सोयाबीन की गुणवत्ता की जांच करने के लिए कम से कम 10-12 स्थानों से एक किलोग्राम सोयाबीन का नमूना लिया जाएगा। इसके बाद इस नमूने की नमी मापने के लिए सेन्ट्रल वेयरहाउस में उपलब्ध नमी मापक यंत्र का उपयोग किया जाएगा। यदि खरीदी जाने वाली सोयाबीन में 12 प्रतिशत से अधिक नमी या कचरा, धूल मिट्टी, या कटफटा दाना पाया गया, तो इसे नॉन एफएक्यू माना जाएगा।
कृषि विभाग की भूमिका
इस प्रशिक्षण में कृषि विभाग के उप संचालक श्री एम.एस. देवके, प्रभारी डीएमओ श्री संदीप इंगले, खाद्य आपूर्ति अधिकारी श्रीमती अर्चना नागपूरे, सहायक संचालक श्री दीपक मण्डलोई, उप परियोजना संचालक आत्मा श्री आर.एस. निगवाल, और मंडी सचिव श्री सिकरवार ने भी भाग लिया। इन सभी अधिकारियों ने सोयाबीन उपार्जन की प्रक्रिया में किसानों को सहायता प्रदान करने के लिए अपने अनुभव साझा किए और आवश्यक जानकारी दी।
प्रशिक्षण का महत्व
यह प्रशिक्षण कार्यशाला किसानों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उन्हें सही तरीके से अपनी उपज को बेचने की प्रक्रिया को समझने में मदद करती है। किसानों को यह जानकारी मिलती है कि उन्हें किस प्रकार से अपनी फसल को तैयार करना है, ताकि वे अधिकतम लाभ प्राप्त कर सकें। साथ ही, इस तरह की कार्यशालाएं किसानों में जागरूकता बढ़ाने और उन्हें नवीनतम कृषि तकनीकों से अवगत कराने में भी मदद करती हैं।
नॉन एफएक्यू की समस्याएं
नॉन एफएक्यू सोयाबीन की खरीदी में कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। जैसे कि, यदि सोयाबीन की गुणवत्ता मानकों को पूरा नहीं करती है, तो न केवल किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पाता, बल्कि इससे उनके आर्थिक स्थिति पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसलिए, प्रशिक्षण में किसानों को यह समझाने का प्रयास किया गया कि कैसे वे अपनी उपज की गुणवत्ता को बेहतर बना सकते हैं।
आने वाले कार्यक्रम
इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम आगे भी जारी रहेंगे, ताकि किसानों को समय-समय पर आवश्यक जानकारी और कौशल प्रदान किया जा सके। कलेक्टर सुश्री भव्या मित्तल ने इस दिशा में और प्रयास करने की बात कही, जिससे बुरहानपुर के किसान अधिक सक्षम बन सकें और अपनी फसल का सही मूल्य प्राप्त कर सकें।
किसानों के लिए प्रशासन की सकारात्मक पहल
सोयाबीन उपार्जन हेतु आयोजित यह प्रशिक्षण कार्यशाला किसानों के लिए एक सकारात्मक कदम है। इसे देखकर यह स्पष्ट होता है कि प्रशासन किसानों के कल्याण और उनकी आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए प्रतिबद्ध है। किसानों को चाहिए कि वे इस प्रकार के अवसरों का लाभ उठाएं और अपनी फसल की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए आवश्यक कदम उठाएं।
इस प्रशिक्षण कार्यशाला ने न केवल किसानों को मूल्यांकन प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी, बल्कि उन्हें उनके अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति भी जागरूक किया। इस प्रकार, बुरहानपुर का यह प्रयास निश्चित रूप से क्षेत्र के कृषि विकास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।
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