Monday, November 18, 2024
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कटनी में माधवराज सिंधिया की प्रतिमा हटाने का विवाद: वीडियो वायरल

मध्यप्रदेश के कटनी जिले में स्व. माधवराज सिंधिया की प्रतिमा हटाने पर विवाद छिड़ा, कांग्रेस नेताओं ने अपमानपूर्ण तरीके से हटाए जाने पर विरोध जताया, कलेक्टर और NHAI ने कार्रवाई की पुष्टि की।

मध्यप्रदेश के कटनी जिले में केंद्रीय मंत्री स्व. माधवराज सिंधिया की प्रतिमा को लेकर एक गंभीर विवाद उत्पन्न हो गया है। यह विवाद एक वायरल वीडियो के बाद सामने आया, जिसमें यह देखा जा सकता है कि माधवराज सिंधिया की प्रतिमा को जेसीबी से उठाया जा रहा था, और उसके गले में पट्टा बांधा गया था। यह घटना कटनी के चाका बाय-पास क्षेत्र में हुई, जहां श्री जी कंपनी द्वारा फ्लाई ओवर ब्रिज का निर्माण कार्य चल रहा है।

वीडियो के वायरल होते ही गरमाई राजनीति

वीडियो में दिखाया गया कि किस तरह से एक मशीन के जरिए सिंधिया जी की प्रतिमा को उठाकर स्थानांतरित किया जा रहा था। कांग्रेस नेताओं ने इस कार्रवाई को एक अपमान के रूप में देखा और सोशल मीडिया पर इसकी कड़ी आलोचना की। युवा कांग्रेस नेता दिव्यांशु मिश्रा ने ट्विटर (अब X) पर इस वीडियो को पोस्ट करते हुए कहा, “स्व. माधवराज सिंधिया जी की प्रतिमा को जिस तरह से गले में रस्सी डालकर हटाया गया, वह न केवल उनके सम्मान के खिलाफ है, बल्कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।” उन्होंने यह भी कहा कि यह प्रतिमा पहले से ही सम्मानजनक तरीके से स्थापित की गई थी, और इसे इस अपमानजनक तरीके से हटाना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है।

कांग्रेस नेताओं की तीखी प्रतिक्रिया

कांग्रेस नेता अमित शुक्ला ने इस घटना पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह कदम बीजेपी के शासित राज्य में उनके पार्टी के पूर्व केंद्रीय मंत्री की अवमानना करने की कोशिश है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या अब भाजपा के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया इस घटना पर प्रतिक्रिया देंगे और अपने पिता की प्रतिमा के अपमान पर सवाल उठाएंगे। उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से इस घटना की जानकारी ज्योतिरादित्य सिंधिया तक पहुंचाई और उनके इस मामले में हस्तक्षेप की उम्मीद जताई।

कलेक्टर की सफाई: प्रोटोकॉल का उल्लंघन

कटनी कलेक्टर दिलीप यादव ने इस घटना पर सफाई देते हुए कहा कि प्रतिमा को हटाने के लिए जेसीबी का उपयोग किया गया था, क्योंकि प्रतिमा का वजन अधिक था, और इसे सुरक्षित रूप से स्थानांतरित करने के लिए मशीन का इस्तेमाल किया गया। हालांकि, उन्होंने यह भी माना कि प्रोटोकॉल का उल्लंघन हुआ है, और इस पर कार्रवाई की जाएगी। कलेक्टर ने कहा कि इस मामले में संबंधित अधिकारियों के खिलाफ जांच की जाएगी, और यदि कोई लापरवाही पाई जाती है, तो कठोर कार्रवाई की जाएगी।

वीडी शर्मा की नाराजगी: माधवराव सिंधिया की प्रतिमा हटाने को लेकर NHAI की आलोचना

राष्ट्रीय राजमार्ग 30 पर कटनी बायपास मार्ग पर स्व. माधवराव सिंधिया की प्रतिमा को हटाने का मामला तूल पकड़ने लगा है। यह घटना तब सामने आई जब NHAI ने मूर्ति को हटाने का काम किया और इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। जैसे ही वीडियो इंटरनेट पर आया, इस पर विवाद शुरू हो गया। कांग्रेस पार्टी ने इसे लेकर भाजपा पर निशाना साधते हुए तंज कसा और इसे भाजपा सरकार की असंवेदनशीलता बताया।

मामला बढ़ने के बाद, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने इस पर नाराजगी जताई और कलेक्टर तथा NHAI के अधिकारियों को कड़ी चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि मूर्ति का विस्थापन सम्मानजनक और सौंदर्यीकरण के साथ किया जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस प्रकार की असंवेदनशीलता बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है।

इस पूरे घटनाक्रम के बाद NHAI ने अपनी तरफ से कार्रवाई करते हुए, संबंधित अधिकारियों को दोषी मानते हुए सीनियर इंजीनियर मनोज वर्मा, इंजीनियर आशीष सिंह परिहार, टीम लीडर राजेश कुमार नेमा और सहायक ब्रिज इंजीनियर दीपक सोनी को तत्काल निलंबित कर दिया। NHAI ने साफ किया कि भविष्य में ऐसी कोई लापरवाही नहीं होनी चाहिए।

कंपनी की ओर से बयान

इस घटना के बाद श्री जी कंपनी की ओर से भी एक बयान जारी किया गया। कंपनी ने कहा कि मूर्ति को हटाने का कार्य निर्माण कार्य के हिस्से के रूप में किया गया था, और उन्हें मूर्ति की सुरक्षा और सम्मान को लेकर किसी प्रकार की कोई लापरवाही नहीं करनी चाहिए थी। कंपनी ने इस मामले को लेकर खेद व्यक्त किया और भरोसा दिलाया कि भविष्य में इस तरह की घटना नहीं होगी।

राजनीति और प्रशासनिक जवाबदेही

कटनी में माधवराज सिंधिया की प्रतिमा के अपमान के मामले ने न केवल कांग्रेस पार्टी को आक्रोशित किया, बल्कि पूरे प्रदेश में इसे लेकर तीखी प्रतिक्रिया हुई। जहां एक तरफ कांग्रेस ने इस घटना को भाजपा सरकार की असंवेदनशीलता के रूप में देखा, वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कटनी प्रशासन ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए त्वरित कार्रवाई की। इस पूरे मामले से यह स्पष्ट होता है कि नेताओं और उनके सम्मान का उल्लंघन किसी भी राजनीतिक विचारधारा से ऊपर होता है, और इस प्रकार की घटनाओं से जनता में गुस्सा और असंतोष फैलता है।

अब यह देखना होगा कि इस घटना के बाद इस तरह की लापरवाहियों से बचने के लिए सरकार और प्रशासन क्या ठोस कदम उठाता है, ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं से बचा जा सके और नागरिकों का विश्वास बनाए रखा जा सके।

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