Monday, November 18, 2024
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कृषि उपज मंडी में किसानों का शोषण: ठंड में खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर

बुरहानपुर कृषि उपज मंडी में किसानों की बढ़ती समस्याएँ, ठंड में खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर और प्रशासन की लापरवाही। जानिए कैसे सुविधाओं का अभाव किसानों के शोषण का कारण बन रहा है।

बुरहानपुर जिले के कृषि उपज मंडी में किसानों की समस्याएँ एक गंभीर मुद्दा बन चुकी हैं। यहाँ पर किसान अपनी मेहनत से उगाई गई फसलों को बेचने के लिए मंडी पहुंचते हैं, लेकिन उन्हें वहाँ न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक पीड़ा भी सहनी पड़ती है। कई बार उन्हें कड़ाके की ठंड में रात बितानी पड़ती है, क्योंकि उनकी उपज की तुलाई एक ही दिन में नहीं हो पाती। इसके अलावा, किसानों को उपज की सुरक्षा के लिए भी कोई उचित व्यवस्था नहीं होती। इस पर सवाल उठना लाजिमी है कि यदि कृषि उपज मंडी किसानों के लिए बनी है, तो यहाँ उनके रहने, खाने-पीने और उपज की सुरक्षा की व्यवस्था क्यों नहीं हो रही?

कृषि उपज मंडी में किसानों के लिए क्या सुविधाएँ होनी चाहिए?

कृषि उपज मंडी का मुख्य उद्देश्य किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य दिलाना और बाजार में प्रवेश के अवसर प्रदान करना है। इसके तहत किसानों के लिए कुछ आवश्यक सुविधाएँ होनी चाहिए, जिनमें निम्नलिखित प्रमुख हैं:

  1. रुकने की व्यवस्था: किसानों के लिए मंडी में रुकने की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। यदि किसी कारणवश उनकी तुलाई एक ही दिन में नहीं हो पाती, तो उन्हें रातभर सड़कों पर या खुले आसमान के नीचे न सोने दिया जाए। इसके लिए शरणार्थी या विश्राम गृह की सुविधाएँ प्रदान की जानी चाहिए।
  2. सुरक्षा व्यवस्था: किसानों को अपनी उपज की सुरक्षा के लिए मंडी प्रशासन द्वारा उचित उपाय किए जाने चाहिए। मंडी में उपज रखने के लिए उनके पास कोई सुरक्षित स्थान होना चाहिए। अगर व्यापारियों ने जगह पर कब्जा कर रखा है, तो प्रशासन को इस पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।
  3. खाद्य और पेयजल व्यवस्था: किसानों को भोजन और पानी की उचित व्यवस्था मिलनी चाहिए। ठंडे और गर्मी के मौसम में, उन्हें बिना किसी परेशानी के खाना मिलना चाहिए।
  4. स्वास्थ्य सेवाएँ: मंडी में स्वास्थ्य सेवाओं की व्यवस्था भी सुनिश्चित की जानी चाहिए, ताकि अगर कोई किसान बीमार पड़ जाए तो तुरंत इलाज हो सके।
  5. संवेदनशील प्रशासन: मंडी प्रशासन को किसानों की समस्याओं को प्राथमिकता के आधार पर सुलझाना चाहिए। प्रशासनिक अधिकारियों को किसानों के साथ संवाद करना चाहिए और उनकी समस्याओं को सुलझाने में मदद करनी चाहिए।

मध्यप्रदेश में कृषि उपज मंडी की व्यवस्थाएँ

मध्यप्रदेश में कृषि उपज मंडी का संचालन मध्यप्रदेश कृषि उपज मण्डी अधिनियम के तहत होता है। इस अधिनियम के अनुसार, कृषि उपज मंडी में किसानों को कुछ बुनियादी सुविधाएँ प्रदान करने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होती है। इन सुविधाओं में किसानों को उनकी उपज की तुलाई, बिक्री और वितरण के लिए सुरक्षित स्थान, सुविधाजनक परिवहन व्यवस्था, और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी शामिल हैं।

मध्यप्रदेश सरकार ने विभिन्न योजनाओं के तहत किसानों को लाभ पहुँचाने के लिए मंडी में सुधार करने की कोशिश की है। बावजूद इसके, बुरहानपुर जैसी मंडियाँ इस दिशा में बहुत पीछे हैं। यहाँ की सुविधाओं में कई खामियाँ हैं, जो किसानों के लिए असुविधाजनक हैं।

किसानों का शोषण और प्रशासन की जिम्मेदारी

यह बड़ा सवाल है कि क्यों प्रशासन और अधिकारी किसानों की समस्याओं को अनदेखा कर रहे हैं। जब किसान अपनी फसल लेकर मंडी पहुंचते हैं, तो उन्हें जो सुविधाएँ मिलनी चाहिए, वह पूरी नहीं हो पा रही हैं। ऐसे में, यह साबित होता है कि सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों की उपेक्षापूर्ण नीतियाँ किसानों का शोषण कर रही हैं।

किसानों की समस्याओं को सुलझाने की बजाय उन्हें और भी अधिक परेशान किया जा रहा है। मंडी प्रशासन की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे किसानों को आवश्यक सुविधाएँ प्रदान करें, ताकि वे अपनी मेहनत का फल सही तरीके से प्राप्त कर सकें। इसके लिए उन अधिकारियों और कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, जो किसानों की समस्याओं के प्रति लापरवाह हैं और उनकी मदद करने में विफल हो रहे हैं।

किसानों के लिए कार्रवाई की आवश्यकता

किसानों के शोषण को रोकने और उनकी समस्याओं को सुलझाने के लिए प्रशासन को सख्त कदम उठाने चाहिए। यह सुनिश्चित करना होगा कि:

  1. मंडी में किसानों के लिए सभी सुविधाएँ उपलब्ध हों: यदि कोई अधिकारी या कर्मचारी इन सुविधाओं की अनदेखी करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
  2. किसानों को फसल की तुलाई के समय और जगह के बारे में स्पष्ट जानकारी मिले: इसके साथ ही, उन्हें उनकी उपज की सुरक्षा के लिए उचित उपाय प्रदान किए जाएं।
  3. मंडी प्रशासन को किसानों के प्रति संवेदनशील बनाना होगा: अधिकारियों को किसानों के दृष्टिकोण को समझने की जरूरत है और उनकी समस्याओं को प्राथमिकता के आधार पर हल करना चाहिए।
  4. सतर्क निगरानी और मूल्यांकन: कृषि उपज मंडी में हर महीने निगरानी और मूल्यांकन की प्रक्रिया होनी चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी आवश्यक सुविधाएँ किसानों को समय पर मिल रही हैं।

ठंड में सोने को मजबूर और शोषण की बढ़ती शिकायतें

कल रात बुरहानपुर कृषि उपज मंडी में एक और दुखद घटना सामने आई, जहां किसान अपनी फसल लेकर मंडी पहुंचे, लेकिन दिन में तुलाई न होने के कारण उन्हें रात में खुले आसमान के नीचे अपनी उपज की सुरक्षा करते हुए कड़क ठंड में सोना पड़ा। इस घटना ने मंडी प्रशासन की संवेदनहीनता और किसानों के प्रति लापरवाही को एक बार फिर उजागर किया है। जब प्रशासन किसानों को उनकी मेहनत का सही फल देने में नाकाम है, तो यह स्थिति बताती है कि मंडी सचिव और जिला प्रशासन, दोनों ही अन्नदाता के प्रति कितना असंवेदनशील हैं।

हालांकि, यह कोई नई समस्या नहीं है। बुरहानपुर की कृषि उपज मंडी में अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा किसानों का शोषण पिछले कुछ सालों से लगातार सुनने को मिल रहा है। इसके बावजूद अब तक प्रशासन ने किसी भी अधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की है, जो किसानों की समस्याओं को नजरअंदाज कर रहे हैं।

कपास की मंडी का संकट और मंडी टैक्स का बोझ

निमाड़ क्षेत्र में, खासकर बुरहानपुर में कपास का उत्पादन एक प्रमुख कृषि गतिविधि रहा है। पहले बुरहानपुर कृषि उपज मंडी में बड़ी संख्या में महाराष्ट्र और गुजरात के व्यापारी अपनी कपास लेकर आते थे, लेकिन अब बुरहानपुर से कपास के व्यापारी और किसान धीरे-धीरे कम हो रहे हैं। इसका कारण मंडी टैक्स का अधिक होना बताया जा रहा है, जिसके कारण किसान अपनी उपज बेचने के लिए अन्य मंडियों का रुख कर रहे हैं। इस स्थिति का असर मंडी टैक्स पर भी पड़ा है, जिससे बुरहानपुर कृषि उपज मंडी की आय में कमी आई है।

प्रशासन और अधिकारियों की गलत नीतियाँ, और उनकी उपेक्षा से बुरहानपुर मंडी की कपास का व्यापार सिमटता जा रहा है। अब तक इस समस्या का कोई हल नहीं निकाला गया है, और यदि स्थिति इसी तरह बनी रही तो आने वाले समय में बुरहानपुर कृषि उपज मंडी में कपास की खरीद-फरोख्त पूरी तरह से बंद हो सकती है।

किसानों के शोषण और प्रशासन की निष्क्रियता

कृषि उपज मंडी में किसानों को मिलने वाली सुविधाओं की स्थिति भी अत्यंत खराब है। यहां पर मक्का और सोयाबीन का समर्थन मूल्य भी किसानों को नहीं मिल पा रहा है। यही नहीं, तीन सेटों पर व्यापारियों ने अवैध रूप से कब्जा कर रखा है, जिससे किसानों को अपनी उपज को सुरक्षित रखने के लिए कोई उचित स्थान नहीं मिल रहा।

प्रगतिशील किसान संगठन के रघुनाथ पाटिल ने भी इस मुद्दे को उठाया और कहा कि मंडी प्रशासन को व्यापारी कब्जे को हटाकर किसानों को उचित स्थान मुहैया कराना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि अगर स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो किसानों के हित में उग्र आंदोलन किया जाएगा।

अगला कदम: प्रशासन का त्वरित संज्ञान

अब यह देखना होगा कि बुरहानपुर प्रशासन और मंडी प्रशासन किसानों की समस्याओं को गंभीरता से लेकर, क्या उन्हें मूलभूत सुविधाएँ प्रदान कर पाते हैं या नहीं। क्या प्रशासन इस ठंड में खुले आसमान के नीचे सो रहे किसानों के दुखों को समझेगा, और क्या उन पर कार्रवाई करके उनकी समस्याओं का समाधान करेगा? आने वाले समय में प्रशासन की कार्रवाई और निर्णय ही यह तय करेंगे कि किसान को उसके अधिकार मिलते हैं या नहीं।

यह तो समय ही बताएगा, लेकिन यह स्पष्ट है कि अगर जल्द ही कोई कदम नहीं उठाया गया, तो बुरहानपुर कृषि उपज मंडी में किसानों के शोषण की स्थिति और बदतर हो सकती है, और इसका असर न सिर्फ किसानों बल्कि पूरे क्षेत्र की कृषि व्यवस्था पर पड़ेगा।

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