हाल ही में बुरहानपुर में बनी फिल्म “काला” का विरोध तेज हो गया है। अखिल भारत हिंदू महासभा ने इस फिल्म के प्रसारण पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इस आर्टिकल में हम इस विवाद के विभिन्न पहलुओं, भारतीय फिल्म अधिनियम के नियमों, और इसके पीछे की कानूनी स्थिति का विश्लेषण करेंगे, साथ ही मल्टीप्लेक्स संचालकों की जिम्मेदारियों पर भी चर्चा करेंगे।
काला फिल्म का विवाद
फिल्म “काला” को बुरहानपुर के स्थानीय कलाकारों ने बनाया है। हिंदू महासभा ने आरोप लगाया है कि यह फिल्म बिना सेंसर बोर्ड की अनुमति और कॉपीराइट का उल्लंघन करते हुए प्रदर्शित की जा रही है। महासभा के प्रतिनिधि दिनेश सुगंधी ने कहा कि इस फिल्म ने सरकार को एंटरटेनमेंट टैक्स दिए बिना संचालन किया है, जो एक गंभीर कानूनी उल्लंघन है।
भारतीय फिल्म अधिनियम और नियम
1.सेंसर बोर्ड की अनुमति
भारतीय फिल्म अधिनियम के तहत, किसी भी फिल्म को रिलीज करने से पहले केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) से प्रमाणपत्र प्राप्त करना अनिवार्य है। यह सुनिश्चित करता है कि फिल्म के कंटेंट में कोई भी आपत्तिजनक सामग्री नहीं है।
2.कॉपीराइट नियम
कॉपीराइट अधिनियम 1957 के तहत, किसी भी फिल्म की सामग्री की मौलिकता का संरक्षण होता है। अगर कोई फिल्म किसी अन्य फिल्म की कहानी, पटकथा, या संवाद की नकल करती है, तो यह नियमों का उल्लंघन माना जाएगा।
3. एंटरटेनमेंट टैक्स
हर राज्य में मनोरंजन कर लगाने का प्रावधान है, और फिल्म प्रदर्शकों को इस कर का भुगतान करना आवश्यक है। बिना इस टैक्स का भुगतान किए फिल्म का प्रदर्शन करना अवैध है।
मल्टीप्लेक्स संचालकों की जिम्मेदारियां
नियम और कानूनी दायित्व
मल्टीप्लेक्स संचालकों पर भी यह जिम्मेदारी है कि वे केवल उन फिल्मों का प्रदर्शन करें जो सभी कानूनी मानकों को पूरा करती हैं। उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि:
1. सेंसर बोर्ड से प्रमाण पत्र: संचालकों को यह पुष्टि करनी चाहिए कि फिल्म को CBFC से प्रमाणित किया गया है।
2. कॉपीराइट का पालन: संचालकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि फिल्म का प्रदर्शन कॉपीराइट कानून का उल्लंघन न करे।
3. एंटरटेनमेंट टैक्स का भुगतान: संचालकों को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि फिल्म प्रदर्शक कर का भुगतान कर रहे हैं, अन्यथा उन पर भी कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
संभावित कानूनी कार्रवाई
अगर कोई मल्टीप्लेक्स संचालक बिना आवश्यक प्रमाणपत्र के फिल्म का प्रदर्शन करता है, तो उसके खिलाफ निम्नलिखित कानूनी कार्रवाई की जा सकती है:
1. फिल्म अधिनियम के तहत दंड: सेंसर बोर्ड से बिना प्रमाण पत्र के फिल्म दिखाने पर संचालक के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
2. कॉपीराइट उल्लंघन: यदि फिल्म कॉपीराइट का उल्लंघन करती है, तो मूल निर्माता या लेखक के द्वारा मुकदमा दायर किया जा सकता है।
3. टैक्स चोरी के लिए दंड: अगर एंटरटेनमेंट टैक्स का भुगतान नहीं किया गया है, तो सरकार द्वारा दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है।
विवाद का कानूनी पहलू
बुरहानपुर में फिल्म “काला” के निर्माता पर आरोप है कि उन्होंने स्थानीय कलाकारों का शोषण करते हुए और उन्हें झूठे वादे कर फिल्म में शामिल किया। इसके अलावा, यदि निर्माता ने फिल्म को सेंसर बोर्ड से पास नहीं कराया है, तो यह सीधे तौर पर कानून का उल्लंघन है।
स्थानीय कलाकारों की स्थिति
फिल्म के कलाकार मोहम्मद हनीफ का कहना है कि उनका उद्देश्य नशा विरोधी जागरूकता फैलाना है। हालांकि, यह महत्वपूर्ण है कि कलाकारों और निर्माताओं को फिल्म निर्माण के नियमों का पालन करना चाहिए। स्थानीय कलाकारों को प्रोत्साहित करना चाहिए, लेकिन यह भी आवश्यक है कि वे कानूनी ढांचे का सम्मान करें।
संभावित परिणाम
अगर इस विवाद का समाधान नहीं किया गया, तो यह भारतीय सिनेमा के लिए एक गंभीर उदाहरण बनेगा। इससे भविष्य में स्थानीय निर्माताओं को भी अपने प्रोजेक्ट्स में नियमों का पालन करने की आवश्यकता महसूस होगी।
प्रश्न-उत्तर
प्रश्न 1: फिल्म “काला” पर आरोप क्या हैं?
उत्तर: आरोप है कि फिल्म बिना सेंसर बोर्ड की अनुमति, कॉपीराइट का उल्लंघन करते हुए, और बिना एंटरटेनमेंट टैक्स का भुगतान किए चल रही है।
प्रश्न 2: भारतीय फिल्म अधिनियम के तहत सेंसर बोर्ड की भूमिका क्या है?
उत्तर: सेंसर बोर्ड का काम है फिल्मों की सामग्री का मूल्यांकन करना और उन्हें प्रदर्शित करने के लिए प्रमाणपत्र जारी करना।
प्रश्न 3: क्या स्थानीय कलाकारों का शोषण किया गया है?
उत्तर: फिल्म के निर्माता पर आरोप है कि उन्होंने स्थानीय कलाकारों को बड़े सपने दिखाकर उनका शोषण किया है।
प्रश्न 4: एंटरटेनमेंट टैक्स क्या है?
उत्तर: यह एक कर है जिसे फिल्म प्रदर्शकों को सरकार को देना होता है। बिना इस टैक्स का भुगतान किए फिल्म का प्रदर्शन करना अवैध है।
निष्कर्ष
फिल्म “काला” का विवाद भारतीय फिल्म उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। यह दर्शाता है कि कैसे नियमों का उल्लंघन समाज में कानूनी और नैतिक चिंताओं को जन्म दे सकता है। इसलिए, फिल्म निर्माताओं और कलाकारों को हमेशा कानून का पालन करते हुए अपने कार्यों को अंजाम देना चाहि
ए, और मल्टीप्लेक्स संचालकों को भी इन नियमों का गंभीरता से पालन करना चाहिए।
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