- पिता ने अपनी 7 साल की बेटी के पैरों में गोली मारी।
- युवक को झूठे केस में फंसाने की रची साजिश।
- कोर्ट ने आरोपी बाप को 3 साल की सजा सुनाई।
Father Shot Daughter: सोचिए, कोई पिता इतना बेरहम कैसे हो सकता है कि अपनी ही मासूम बेटी के पैरों में गोली मार दे! यह घटना मध्य प्रदेश के उज्जैन के चिमनगंज थाना क्षेत्र की है, जहां एक बाप ने युवक को झूठे केस में फंसाने के लिए अपनी ही 7 साल की बच्ची को गोली मार दी। मामला जब कोर्ट पहुंचा तो 7 साल बाद सच सामने आया और आरोपी बाप को जेल की हवा खानी पड़ी।
मामला कैसे शुरू हुआ?
यह पूरी कहानी 31 मार्च 2018 की है। मंगल नगर में रहने वाले रतनलाल मुंडिया (40 वर्ष) नाम के व्यक्ति ने थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि रात में एक युवक चंचल उनके घर आया और उसने उनकी बेटी तुलसी पर गोली चला दी। गोली लगने से बच्ची के पैरों में गंभीर चोट आई और उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया।
पिता ने पुलिस को बताया कि आरोपी युवक चंचल पुरानी दुश्मनी की वजह से इस वारदात को अंजाम देकर भाग गया। यह सुनकर हर किसी के होश उड़ गए। लोग यही मान बैठे कि सचमुच युवक ने यह शर्मनाक वारदात की होगी।
पुलिस जांच में खुला राज
लेकिन चिमनगंज थाना पुलिस ने मामले की बारीकी से जांच की। एसआई आर.बी. सिंह चौहान ने पड़ताल की और सच्चाई सामने आई। जांच में साफ हो गया कि जिस चंचल पर आरोप लगाया गया था, उसका इस घटना से कोई लेना-देना नहीं था।
असल में, रतनलाल का चंचल और उसके पिता से पुराना विवाद था। इसी बदले की भावना में उसने अपनी ही बेटी को गोली मारकर चंचल को फंसाने की योजना बनाई। पुलिस ने जब सबूत जुटाए तो साफ हो गया कि पूरी कहानी रतनलाल ने खुद गढ़ी थी।
कोर्ट में चला केस, आया फैसला
यह मामला विशेष न्यायाधीश पवन कुमार पटेल की कोर्ट में चला। सरकारी वकील और पुलिस की ओर से पेश किए गए सबूत इतने ठोस थे कि आखिरकार कोर्ट ने रतनलाल को दोषी मान लिया।
कोर्ट ने रतनलाल को 3 साल की सजा और 5000 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।
फैसले से सबके उड़ गए होश
जैसे ही कोर्ट का फैसला आया, हर कोई हैरान रह गया। किसी को यकीन ही नहीं हुआ कि एक बाप अपने दुश्मन को फंसाने के लिए इतना खतरनाक कदम भी उठा सकता है। 7 साल तक यह केस चलता रहा और अब जाकर सच दुनिया के सामने आया।
लोगों का कहना है कि यह घटना इंसानियत पर एक सवालिया निशान है। एक बाप का फर्ज अपनी बेटी की हिफाजत करना होता है, लेकिन यहां तो उसने खुद ही उसे गोलियों से जख्मी कर दिया।
पुलिस की भूमिका रही अहम
इस पूरे मामले में चिमनगंज थाना पुलिस ने ईमानदारी और मेहनत से काम किया। अगर पुलिस गहराई से जांच नहीं करती तो निर्दोष युवक चंचल शायद झूठे केस में फंसकर अपनी जिंदगी बर्बाद कर बैठता। पुलिस ने सही समय पर सच्चाई कोर्ट तक पहुंचाई और न्याय दिलाया।
सच देर से सही, लेकिन जीतता जरूर है
यह घटना सिर्फ एक अपराध की कहानी नहीं है, बल्कि समाज के लिए एक बड़ा सबक है। व्यक्तिगत दुश्मनी निकालने के लिए अपनी ही बच्ची पर गोली चला देना इंसानियत को शर्मसार करता है। कोर्ट का यह फैसला बताता है कि सच कितना भी देर से सामने आए, लेकिन न्याय जरूर होता है।