- मालवा–निमाड़ के 10,000 सरकारी दफ्तरों में अगस्त से प्रीपेड बिजली कनेक्शन लागू होगा।
- रिचार्ज खत्म होते ही सप्लाई कट जाएगी, अनावश्यक बिजली खर्च पर लगाम लगेगी।
- सरकार का लक्ष्य दिसंबर तक 50,000 दफ्तरों में यह सिस्टम लागू करना है।
मध्य प्रदेश के मालवा–निमाड़ इलाके के सरकारी दफ्तरों में अब बिजली खर्च का हिसाब सटीक और पारदर्शी होगा, क्योंकि सरकार अगस्त महीने से इन कार्यालयों में प्रीपेड बिजली कनेक्शन शुरू करने जा रही है।
शुरुआत में 10,000 सरकारी दफ्तरों में यह सिस्टम लागू होगा और दिसंबर 2025 तक यह आंकड़ा बढ़ाकर 50,000 कार्यालयों तक ले जाने की योजना है।
यह फैसला न सिर्फ सरकार के खर्चों पर लगाम कसने के लिए है, बल्कि बिजली की बर्बादी रोकने और ऊर्जा संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए भी अहम माना जा रहा है।
क्या है प्रीपेड बिजली कनेक्शन?
जैसे हम मोबाइल रिचार्ज करते हैं और उतनी ही कॉल या इंटरनेट इस्तेमाल कर सकते हैं, ठीक वैसे ही अब सरकारी दफ्तरों को अपनी बिजली के लिए प्रीपेड रिचार्ज करना होगा।
जैसे-जैसे यूनिट खत्म होती जाएगी, वैसे-वैसे मीटर अलर्ट देगा और रिचार्ज न होने पर कनेक्शन ऑटोमैटिक बंद हो जाएगा।
कहां-कहां लागू होगा?
मालवा-निमाड़ क्षेत्र में इंदौर, धार, उज्जैन, देवास, खरगोन, बड़वानी, रतलाम, मंदसौर, नीमच और शाजापुर जैसे जिले आते हैं।
इन्हीं जिलों के सरकारी विभागों, पंचायत कार्यालयों, स्कूलों, अस्पतालों, पुलिस थानों, तहसीलों और अन्य सरकारी भवनों में यह प्रीपेड सिस्टम लगेगा।
क्यों लाया जा रहा है ये बदलाव?
सरकारी दफ्तरों में कई बार बिजली का बेवजह इस्तेमाल होता है। AC, फैन, लाइट, कंप्यूटर दिनभर चलते रहते हैं—even जब कोई मौजूद नहीं होता।
इससे सरकार को सालाना करोड़ों रुपये का बिल भरना पड़ता है।
प्रीपेड सिस्टम से अब खर्च पर लगाम लगेगी। ऑफिस स्टाफ को तय लिमिट में ही बिजली का इस्तेमाल करना होगा, और बजट से ज्यादा रिचार्ज न होने पर सप्लाई अपने आप बंद हो जाएगी।
कितना फायदेमंद होगा?
ऊर्जा विभाग के मुताबिक, एक औसत सरकारी कार्यालय सालाना करीब 1.2 लाख रुपये तक बिजली खर्च करता है।
प्रीपेड मीटर से यह खर्च 15–20% तक घटाया जा सकता है। इससे न सिर्फ पैसे की बचत होगी बल्कि बिजली बचाने की आदत भी पडे़गी।
किस कंपनी को दिया गया जिम्मा?
इस योजना को लागू करने की जिम्मेदारी राज्य सरकार ने मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी को दी है।
वहीं, स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने का टेंडर निजी कंपनी को दिया गया है जो आधुनिक तकनीक से मीटर इंस्टॉल करेगी। इसमें रिमोट कंट्रोल, मोबाइल रिचार्ज, SMS अलर्ट जैसी सुविधाएं भी होंगी।
लोगों की प्रतिक्रिया
इंदौर के एक अधिकारी ने कहा –
“सरकारी सिस्टम में अक्सर बिल बकाया रह जाता है या गलत मीटरिंग होती है। प्रीपेड सिस्टम से ये दिक्कत खत्म हो जाएगी।”
बिजली विभाग के एक अधिकारी ने कहा –
“यह सिर्फ बिजली बचत नहीं, बल्कि जिम्मेदारी तय करने वाला कदम है।”
आगे की योजना
सरकार इस सिस्टम को आगे चलकर शहरी निकायों, सरकारी कॉलोनियों और गांव के सरकारी स्कूलों तक भी पहुंचाने की तैयारी में है।
2026 तक इसे पूरे मध्य प्रदेश के सभी सरकारी दफ्तरों में लागू करने का लक्ष्य है।
खर्च पर कंट्रोल और सिस्टम में पारदर्शिता का रास्ता
सरकार का यह फैसला ऊर्जा बचत की दिशा में एक जरूरी और प्रैक्टिकल कदम है। इससे न केवल खर्च कम होगा, बल्कि सरकारी सिस्टम में पारदर्शिता भी आएगी। अब देखना होगा कि इस बदलाव को जमीन पर कितनी तेजी और सख्ती से उतारा जाता है।